8 अगस्त 2017 की शाम 04.32 से पंचक शुरू हो चुका है और यह 13 अगस्त 2017 तक रहेगा. इसकी वजह से इसे अग्नि पंचक कहा जा रहा है. अग्नि पंचक अपेक्षाकृत ज्यादा घातक हो सकता है. ज्योतिष में कुछ नक्षत्रों में शुभ कार्य करना सही माना जाता है वहीं कुछ नक्षत्र ऐसे भी होते हैं जिन्हें बेहद अशुभ माना जाता है. इन नक्षत्रों के किसी भी चरण में शुभ कार्य करने से या तो उसमें बाधा उत्पन्न होती है या फिर उसमें सफलता मिल पाना मुश्किल हो जाता है.
धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद एवं रेवती कुछ ऐसे ही अशुभ नक्षत्रों के नाम है, जिन्हें काफी अशुभ माना जाता है. धनिष्ठा के प्रारंभ से लेकर रेवती के अंत तक का समय काफी अशुभ माना गया है, इसे पंचक कहा जाता है.
पांच दिनों का यह समय, वर्ष में कई बार आता है. इसलिए सामान्य जन को यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी जरूरी कार्य इन पांच दिनों में संपन्न ना किया जाए तो ही बेहतर है. इसके लिए आप किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं. जानकारों की मानें तो इन पांच दिनों में ना तो दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करनी चाहिए, ना घर की छत या खाट बनवानी चाहिए और ना ही ईंधन का सामान इकट्ठा करना चाहिए.
– पंचक के प्रकार
ज्योतिषाशास्त्रियों के अनुसार पंचक भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं.
रोग पंचक : अगर पंचक का प्रारंभ रविवार से हो रहा होता है तो यह रोग पंचक कहा जाता है. इसके प्रभाव में आकर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करता है. इस दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य निषेध माना गया है. मांगलिक कार्यों के लिए यह पांच दिन अनुपयुक्त हैं.
राज पंचक : सोमवार से शुरू हुआ पंचक राज पंचक होता है, यह पंचक काफी शुभ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान सरकारी कार्यों में सफलता हासिल होती है और बिना किसी बाधा के संपत्ति से जुड़े मसलों का निदान होता है.
अग्नि पंचक : मंगलवार से शुरू हुए पंचक के दौरान आग लगने का भय रहता है जिसकी वजह से इस पंचक को शुभ नहीं कहा जा सकता. इस दौरान औजारों की खरीददारी, निर्माण या मशीनरी का कार्य नहीं करना चाहिए. हां, इस दौरान कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों और अधिकार हासिल करने जैसे मसलों की पहल की जा सकती है, क्योंकि उनमें सफलता मिलने की संभावना होती है.
मृत्यु पंचक : शनिवार से शुरू हुआ पंचक सबसे ज्यादा घातक होता है क्योंकि इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है. अगर इस दिन किसी कार्य की शुरुआत की गई तो व्यक्ति को मृत्यु तुल्य परेशानियों से गुजरना पड़ता है. शनिवार से शुरू हुए पंचक के दौरान कोई भी जोखिम भरा कार्य नहीं करना चाहिए. व्यक्ति को चोट लगने, दुर्घटना होने और मृत्यु तक की आशंका रहती है.
चोर पंचक : ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार शुक्रवार से शुरू हुए पंचक, जिसे चोर पंचक कहा जाता है, इस पंचक के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा धन से जुड़ा कोई कार्य भी पूर्णत: निषेध ही माना गया है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान धन की हानि होने की संभावनाएं प्रबल रहती हैं.
– बुधवार या बृहस्पतिवार से शुरू हुआ पंचक : अगर पंचक बुधवार या बृहस्पतिवार से प्रारंभ हो रहे हैं तो उन्हें ज्यादा अशुभ नहीं कहा जाता. पंचक के मुख्य निषेध कर्मों को छोड़कर कोई भी कार्य किया जा सकता है. विद्वानों के अनुसार पंचक के समय चारपाई नहीं बनवानी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कोई बड़ा संकट आ सकता है.
धनिष्ठा नक्षत्र : धनिष्ठा नक्षत्र के दौरान आग से जुड़े कोई भी कार्य करने से बचना चाहिए, इससे आग लगने का खतरा रहता है.
यम द्वार : दक्षिण दिशा को यम द्वार कहा जाता है. पंचक के समय दक्षिण की ओर यात्रा करना अशुभ है, ऐसा करने से हानि होना लगभग तय है.
रेवती नक्षत्र : रेवती नक्षत्र के दौरान कभी घर की छत नहीं बनवानी चाहिए, इससे धन की हानि के साथ ही साथ अन्य जोखिमों का भी भय रहता है.
गरुण पुराण : गरुण पुराण के अनुसार पंचक के दौरान शव का अंतिम संस्कार करते समय किसी योग्य जानकार से पूछकर आटे या कुश (एक प्रकार की घास) के पांच पुतलों को भी अर्थी पर रखकर पूरे विधान के साथ अंतिम संस्कार करने से पंचक के दोष से मुक्ति मिलती है. जानकारों के अनुसार पंचक को बहुत अशुभ माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद शादी-विवाह जैसे कार्य करने में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती.
तीन नक्षत्र : पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद व रेवती, रविवार को होने से 28 योगों में से 3 शुभ योग चर, स्थिर व प्रवर्ध, बनाते हैं. इस समय शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त करने का विचार किया जा सकता है.
विशेष शुभ कार्य : अशुभ होने के बावजूद पंचक में कई विशेष शुभ कार्य किए जा सकते हैं, जोकि अलग-अलग नक्षत्रों पर निर्भर करते हैं.
घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चल संज्ञक माने जाते हैं, इसमें आप वाहन से जुड़ी खरीददारी या यात्रा जैसे कार्य कर सकते हैं.
उत्तरभाद्रपद नक्षत्र को स्थिर संज्ञक नक्षत्र कहा गया है, इसमें आप अचल संपत्ति से जुड़े कार्य कर सकते हैं. आप नया घर खरीद सकते हैं, भूमि से जुड़े कार्य, गृह प्रवेश और खेत में बीज रोपण करने जैसे कार्य कर सकते हैं.
रेवती नक्षत्र को मैत्री संज्ञक माना गया है, इस दौरान आप नए कपड़े या गहने खरीदने के साथ-साथ व्यापारिक समझौता भी कर सकते हैं.