पिंपरी (तेज समाचार डेस्क). बच्चों को घर से स्कूल तथा स्कूल से घर के बीच की यात्रा सुरक्षित हो, इसके लिए अभिभावक व स्कूल प्रशासन संबंधित स्कूल बसों को फिटनेस सर्टीफिकेट मिला है या नहीं, इसकी जांच करें. यदि बस को फिटनेस सर्टीफिकेट न मिला हो, तो बच्चों को उसमें न बैठने दें.’ यह अपील आरटीओ आनंद पाटिल ने की.
पाटिल ने आगे कहा कि पिंपरी-चिंचवड़ आरटीओ कार्यालय के कार्यक्षेत्र में पिंपरी-चिंचवड़ शहर के साथ खेड़, मंचर व लोनावला आदि ग्रामीण भागों के शहर एवं परिसर के गांव शामिल हैं. इन भागों में बड़ी-बड़ी शिक्षा संस्थाओं के स्कूल, कॉलेज एवं रेसीडेंशियल स्कूल हैं. स्टूडेंट्स का ट्रांसपोर्टेशन करनेवाली प्राइवेट बसों के ड्राइवर अक्सर ट्रैफिक के नियमों को तोड़ते देखे जाते हैं. इस पर नियंत्रण हेतु प्रादेशिक परिवहन विभाग द्वारा नियुक्त किए गए स्क्वॉड के माध्यम से कड़ी कार्रवाई की जाती है. यह जिम्मेदारी स्कूल बसों से बच्चों को स्कूल भेजने वाले अभिभावकों की भी है. उन्हें यह देखना चाहिए कि संबंधित स्कूल बस को फिटनेस सर्टीफिकेट मिला है या नहीं?’
– पिंपरी-चिंचवड में 2065 बसें
आनंद पाटिल ने बताया कि पिंपरी चिंचवड़ में 2,065 स्कूल बसें दौड़ रही हैं. इनमें से सिर्फ 614 बसे संबंधित स्कूलों के स्वामित्व वाली हैं. शेष 1,451 बसें प्राइवेट कंपनियों द्वारा ठेके पर चलाई जाती हैं. इनके अलावा आरटीओ ऑफिस में रजिस्ट्रेशन करवाए बिना भी सैकड़ों बसें चलाई जा रही हैं. इनमें अन्य जिलों से यहां पहुंची जर्जर बसें भी शामिल हैं. मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के आदेशानुसार इन बसों के लिए 31 मई तक फिटनेस ‘सर्टीफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य था, मगर इस आदेश की उपेक्षा की गई. फिटनेस सर्टीफिकेट प्राप्त न करनेवाली गाड़ियां खतरनाक साबित होती हैं. स्कूल के स्टूडेंट्स इस बात से अनभिज्ञ हैं. अभिभावक भी जागरुक नहीं हैं. स्कूल मैनेजमेंट को इसकी जानकारी होने के बावजूद इस विषय में कोई कार्रवाई नहीं की जाती.
– नियम तोड़ने वाले बस मालिकों पर होगी कड़ी कार्रवाई होगी
आरटीओ आनंद पाटिल ने कहा कि नियमावाली के अनुसार बसों में आवश्यक बदलाव किए जाएं. सुरक्षा से संबंधित सभी शर्तों को पूर्ण करे व रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी से सर्टीफिकेट प्राप्त करें. इन नियमों का उल्लंघन करने वाले तथा अवैध रूप से स्टूडेंट्स का ६ वहन करने वाले बस मालिकों के खिलाफ जुर्माना, रजिस्ट्रेशन रद्द करने व बसें स्क्रैप करने जैसी कार्रवाई की जाएगी.
– अभिभावकों की मजबूरी का उठाते हैं फायदा
काली-पीली, टाटा मैजिक, मारुति वैन, निजी वैन, टेम्पो ट्रैवलर आदि गाड़ियों में क्षमता से ज्यादा स्टूडेंट्स को बिठाया जाता है. इस पर नियंत्रण हेतु आरटीओ स्क्वॉड्स के माध्यम से मुहिम चलाई जा रही है. इन वाहनों में स्टूडेंट्स बैठे होने की वजह से कार्रवाई में बाधा पहुंचती है. दापोड़ी, पिंपले गुरव, सांगवी व चिंचवड़ आदि जगहों से कब्जे में ली जाने वाली स्कूल बसों को यदि मोशी प्राधिकरण स्थित आरटीओ कार्यालय में लाया जाए तो इसमें बैठे स्टूडेंट्स परेशानी में पड़ सकते हैं, इसके अलावा वे दूसरे दिन भी स्कूल नहीं पहुंच सकते. प्राइवेट बसों के मालिक अभिभावकों एवं स्टूडेंट्स की इसी मजबूरी का लाभ उठाते हैं, आरटीओ आनंद पाटिल ने बच्चों की सुरक्षा हेतु स्कूल बसों के फिटनेस सर्टीफिकेट के विषय में जांच करने की अपील अभिभावकों व स्कूल प्रशासन से की है.