क्या देवता देहधारी होते हैं और दुराचार भी करते हैं। क्या यह सच है ।
सनातन धर्म की मान्यता अनुसार देवता भी मनुष्य योनि में आने को तरसते हैं.ताकि इस योनि में आकर मोक्ष प्राप्त कर सकें। गीता में भी लेख है कि ईश्वरीय विधान अनुसार अलग अलग शक्तियों के नाम ही देवताओं के नाम हैं.यह भी लेख है कि जो जिस देवताओं के प्रतीक को भजते हैं वह मेरे ही किसी एक अंश की पूजा करते हैं। श्री राम शर्मा जी का भी मानना है कि चित्रों में दिखाये गये देवता केवल सांकेतिक भाषा है. यह ईश्वर की दिव्य शक्तियों के नाम हैं। किसी अंग्रेज विचारक ने भी कहा है कि यह पावर आफ गाड है।
अतः अब यह विचार करने योग्य है कि नीचे लिखी कथायें कहां तक सच हैं और इतना अंधविश्वास क्यों हैं ।
1 – ब्रम्हा जी ने पुष्कर राजस्थान में यज्ञ कराना था। मुहूर्त का समय निकला जा रहा था उनकी पत्नी गायत्री समय पर नहीं पहुंच पाई तो उन्होंने तुरन्त सावित्री से शादी कर ली और यज्ञ को संपन्न कराया।
जबकि गायत्री केवल एक छन्छ है वहां ब्रम्हाजी का मंदिर भी है जो विश्व में ब्रम्हा जी का केवल एकमात्र मन्दिर है।
2 – विष्णु जी को किसी राक्षस से युद्ध करना पड़ा वह मारा नहीं जा पा रहा था.उन्हें पता चला कि उस राक्षस की पत्नी वृन्दा एक पतिव्रता नारी है उसके प्रभाव से वह राक्षस नहीं मारा जा रहा तो विष्णु जी ने छल से वृंदा का शील भंग किया तभी वह राक्षस मारा जा सका।
आज भी हिन्दू दीवाली के बाद ग्यारस के दिन इस उपलक्ष्य में तुलसी व सालिगराम का विवाह उत्सव मनाते हैं जबकि तुलसी एक औषधीय पौधा है।
3 – वैंकटेश भगवान जी विष्णु जी हैं तीनों लोकों के मालिक हैं उन्हें अपनी शादी के लिये कर्ज लेना पड़ा और हुण्डी लिखी.आज लाखों साल बीतने के बाद भी उनको मानने वाले सोना चांदी तिरूपति बाला जी में जाकर चढ़ाते हैं और हुण्डी का पेमेन्ट कर रहे हैं। यह किसी को नहीं पता कि कितना पैसा लिया, किससे लिया, कितना चुकाया कितना शेष देना है कितना अंधविश्वास।
4 – महेश और शंकर क्या दो हैं क्योंकि शंकर जी ने हर जन्म में पार्वती से शादी की थी वास्तव में ब्रम्हा विष्णु महेश यह तीनों ईश्वरीय विधान अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति स्थिति और प्रलय के नाम से देवताओं के नाम हैं।
5 – गायत्री.सावित्री.सरस्वती और लक्ष्मी यह नारियां नहीं है फिर इनकी शादियां देवताओं के साथ कैसे हुई वास्तव में यह शक्तियां हैं।
6 – इन्द्र देवता क्या मनुष्य थे जो अहिल्या के साथ दुराचार कर गये।
7 – कुन्ती ने कौन से देवताओं के साथ सहवास किया। छह पुत्र पैदा किये सत्यार्थ प्रकाश में लेख है कि किसी जमाने में नियोग प्रथा थी। यदि कोई पुरूष बच्चे पैदा नहीं कर पाता तो उनकी पत्नी अपने ही कुल के किसी योग्य पुरूष या किसी महात्मा के साथ सहवास करके बच्चे पैदा कर सकती थी।
8 – पार्वती ने नहाते समय उबटन का गणेश बनाकर के बाहर बैठा दिया। जिस की आज हर शुभ कार्य करने के पहले पूजा होती है। शंकर जी के साथ युद्ध भी हुआ। गणेश व गणपति का अर्थ गणों का ईश या गणों का पति होता है। जो ईश्वर ही है और उसी की सर्वप्रथम पूजा होती है।
9 – ग्राम देवता कुल देवता की भी पूजा होती है यह कौन हैं।
10 – हनुमान जी ने कभी शादी नहीं की वनवास पूरा होने में भी एक दो माह रह गये थे। फिर हनुमान जी के समुद्र पार करते समय पसीना आया और मछली के मुंह में पसीने की बूंदें गिरीं और बच्चा पैदा हो गया। जिनका नाम मकरध्वज था और हनुमान जी को इसी युद्ध के बीच ही राम लक्ष्मण को रावण के पुत्र अहिरवारण से छुड़ाने के लिये मकरध्वज से युद्ध करना पड़ा। क्योंकि मकरध्वज अहिरावण के द्वारपाल थे। ये सब एक दो माह में कैसे हो गया। बच्चा पैदा भी हो गया जवान भी हो गया और पिता से युद्ध भी हो गया।
11 – आज शिक्षा तथा विज्ञान के युग में भी हमारा पढ़ा लिखा समाज उन पंडितों सी मनघड़ंत कहानियों पर विश्वास करता है।
12 – हजरत मुहम्मद साहब ने भी इन झूठे अंधविश्वासों के विरूद्ध आवाज उठाई उनके साथ भी युद्ध हुआ उनका पूरा परिवार मार दिया गया। प्रभु यीशु ने भी कहा तो उन्हें सूली पर चढ़ा दिया।
13 – स्वामी दयानन्द ने भी इन भ्रान्तियों व कुरीतियों को मिटाने का प्रयत्न किया उन्हें भी जहर देकर मार दिया गया।
आज इन पंडितों और धर्माचार्य जो केवल उपदेश के नाम पर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। उनके भरोसे सत्य को उजागर नहीं किया जा सकता। समाज को स्वयं सोचना है अंधविश्वास व कुरीतियों को मिटाना होगा नहीं तो हिन्दू धर्म व हिन्दू मिटते जा रहे हैं व लोग अन्य धर्म अपनाते जा रहे हैं।
लाल चन्द्र चड्ढा, सरिता स्टील के पास, नौगांव रोडए छतरपुर
लेखक छतरपुर मध्यप्रदेश में लेखन क्षेत्र का एक बड़ा नाम हैं. आप चिंतक, मुक्तलेखक, वक्ता, समीक्षाकार, के अलावा अध्यात्म के लिए प्रख्यात हैं. आप वेदों में महारत हासिल रखते हैं प्रस्तुत लेख उनके निज़ी विचार है- तेज़समाचार प्रबंधन )