धरणगांव (तेज़ समाचार प्रतिनिधि ):समाल में कैसे रहना चाहिए, कैसे जिना और कैसे सेवा देना चाहिए, यहं परिवार व्यवस्था से मनुष्य सिखता हैं। सामाजिक संस्कार यहां से मिलते हैं। इसलिए हिंदू धर्म में परिवार व्यवस्था को महत्व का स्थान हैं। ऐसा प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने धरणगाव में किया। धरणगांव में सोमवार की सुबह आयोजित एक विवाह समारंभ के लिए वहं मौजुद थे। वहां वधू-वर को शुभेच्छा देते समय वहं कहं रहे थे। इस समारंभ से पहले मोहन भागवत ने धरणगांव के रा.स्व.संघ के पूराने कार्यकर्तोयों गुप्त बैठक हेडगेवार नगर के संघ के पूराने कार्यकर्ते स्व. देवेंद्र पाटील के निवासस्थ पर ली गई। इसमें रा.स्व. संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी इनकी मौजुदगी थी।
सामाजिक परिवर्तन की गती बढाए-मोहन भागवत
संघविचारों के कार्य का प्रभाव सभी ओर बढ रहा हैं। उसमें से हुए परिवर्तन भी दिख रहा हैं। संघ की ओर से समाज की अपेक्षा बढ रही हैं। इसलिए सामाजिक परिवर्तन की गती बढाने का आवाहन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने किया।
महाराष्ट्र के संघ परिवार के विविध संस्था एवं संगठन के कामों की समिक्षा, संगठनात्मक बाढ, सेवा कार्य की स्थिती, आगे का संकल्प इस बारे में चचा्र करने के लिए आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राज्यस्तरीय समन्वय बैठक के समारोप समय वहं कह रहे थे।
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