जलगाँव – एक प्रसिद्ध कविता के अंश हैं की लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती, कुछ किए बिना ही जयजयकार नहीं होती.. कुछ इस तरह की हिम्मत को साकार किया है चालीसगांव तहसील नागद के किसान विनोद परदेशी ने . खानदेश की भीषण पानी किल्लत को नज़रंदाज़ करते हुए विनोद परदेशी ने अपनी खेती से लाखों रूपए की मोसंबी पैदा करके दिखाई. मात्र पांच एकड़ की खेती पर विनोद ने परम्परागत खेती से परे रहते हुए मोसंबी की पैदावार प्रारंभ की . प्रारंभ में उन्हें भी पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा. फिर विनोद परदेशी ने आधुनिक खेती को स्वीकार करते हुए मल्चिंग पेपर का प्रयोग किया. मल्चिंग खेती से तापमान, वाष्पीकरण व अतिरिक्त पानी का नियोजन करते हुए उन्होंने मोसंबी की खेती के साथ तरबूज , प्याज आदि की सहायक फसल का लाभ भी उठाया. विनोद ने पहली फसल से चार लाख रूपए कमाया, जबकि इस वर्ष उन्होंने कुल सत्ताईस लाख रूपए कमाए . इस सारी रकम में से यदि खर्च के तीन लाख निकाल दिए जाने तो भी विनोद के पास चौबीस लाख रूपए का शुद्ध मुनाफा बचा है .