रांची (तेज समाचार डेस्क). नक्सली आर्गेनाइजेशन भाकपा माओवादी के झारखंड रीजनल कमेटी के सेक्रेटरी कुंदन पाहन ने रविवार को यहां आत्मसमर्पण कर दिया है. कुंदन पाहन पर हत्या और लूट सकते 128 संगीन मामले दर्ज हैं. इसके साथ ही पाहन पर 15 लाख रुपए का इनाम था.
सरेंडर करने के बाद पाहन ने मीडिया को बताया कि सन 2000 में नेपाल के पीएम पुष्पकमल दहाल उर्फ प्रचंड ने उसके साथ बोकारो जिले के झुमरा पहाड़ पर ट्रेनिंग ली थी. कुंदन ने यह भी बताया कि उन्हें वेस्ट बंगाल के टॉप माओवादी लीडर मनीष, किशन, भास्कर उर्फ मिसिर बेसरा और नंदलाल ने झुमरा पहाड़ में वॉर की ट्रेनिंग दी थी. ऑर्गनाइजेशन के बाकी टॉप लीडर्स भी मौके पर मौजूद थे. यह ट्रेनिंग 15 दिन चली थी. इसमें प्रचंड के साथ करीब 20 लोग शामिल थे.
बता दें कि प्रचंड नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी और इसकी आर्म्ड विंग जनमुक्ति सेना के टॉप लीडर हैं. कुंदन 2000 में भाकपा माओवादी में शामिल हुआ. इसके बाद उसने झारखंड में कई वारदातों को अंजाम दिया. 38 साल के इस नक्सली पर सांसद सुनील महतो, पूर्व मंत्री और विधायक रमेश सिंह मुंडा, बुंडू डीएसपी प्रमोद कुमार समेत छह पुलिसकर्मी और स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या के आरोप हैं. इस पर एक प्राइवेट बैंक से पांच करोड़ रुपए और एक किलो सोना लूटने का भी आरोप है.
– विवादों के कारण छोड़ा ऑर्गनाइजेशन
कुंदन ने बताया कि उसे लगने लगा था कि ऑर्गनाइजेशन में टॉप लीडर्स तानाशाही रवैया अपनाते हैं. नीचे वाले कैडर का शोषण करते हैं. इसी वजह से वह आर्गनाइजेशन से अलग हो गया. हालांकि, सेंट्रल कमेटी ने कुंदन को कई बार लेटर लिखकर दोबारा आर्गनाइजेशन में शामिल होने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया. कुंदन ने बताया कि ऑर्गनाइजेशन में रहते हुए वह खूंटी, रांची के बुंडू, तमाड़ के अलावा पोड़ाहाट, सोनुआ, गोइलकेरा और मनोहरपुर इलाकों में एक्टिव था.
कुंदन ने बताया कि आर्गनाइजेशन के मौजूदा सुप्रीम लीडर गणपति और झारखंड में नक्सल आर्गनाइजेशन के लीडर इन्चार्ज अरविंद से कई बार मिल चुका है. उसने बताया कि जितने भी नेताओं और पुलिसवालों की हत्या की गई, उसका ऑर्डर नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी से आया था, जिसे आर्गनाइजेशन के मिलिट्री कमीशन ने अंजाम दिया. ऐसे ऑपरेशंस में सैकड़ों नक्सली शामिल रहते थे. कुंदन ने बताया कि उसने स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या तालिबानी तरीके से की गई थी. इंस्पेक्टर का सिर बॉडी से 10 फीट दूर एनएच 33 पर रख दिया गया था. इसके बाद कुंदन काफी कुख्यात हो गया था.
– चाचा के कारण बना नक्सली
कुंदन पाहन ने बताया कि खूंटी जिले में उसके पास 2700 एकड़ पुश्तैनी जमीन है. इसमें से 1350 एकड़ पर चाचा ने जबरन कब्जा कर लिया था. इसी से परेशान होकर उसने अपने दो बड़े भाईयों के साथ हथियार उठा लिया. 1996 में उसके इलाके में टॉप नक्सल लीडर्स आए थे और उनसे कुंदन का परिवार काफी इंस्पायर हुआ था. नेताओं ने कुंदन के परिवार को भरोसा दिलाया था कि आर्गनाइजेशन में शामिल होने के बाद उसकी जमीन वापस दिलवा देंगे. उन्होंने वादा पूरा भी किया.
– पेन ड्राइव में छिपे है राज
कुंदन पाहन टेक्निकली बेहद स्ट्रॉन्ग है. वह लैपटॉप चलाना जानता है. इंटरनेट का इस्तेमाल करता है. अंग्रेजी बोल लेता है. बताया जाता है कि उसके पास एक पेन ड्राइव है, जिसे पुलिस बरामद करने की कोशिश कर रही है. इस पेन ड्राइव में नक्सलियों के विदेशी लिंक, नेताओं से कॉन्टैक्ट, लेवी वसूलने के डिटेल्स, किन ऑपरेशन में कितने पैसे खर्च हुए, आर्गनाइजेशन से मिले पैसे का हिसाब, नक्सलियों के मददगारों की लिस्ट और उनके फोन नंबर मौजूद हैं.