दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). कश्मीर में हालात काफी गंभीर है. लेकिन सरकार द्वारा सेना को आतंकवादियों से निपटने की खुली छूट देने के कारण सेना के हौसले बुलंद है. इसी के तहत सेना ने 15 साल बाद फिर से आक्रामक रुख का संकेत देते हुए आतंकवादियों के खिलाफ अपने अभियान में एक स्थायी विशेषता के तौर पर ‘घेरा डालना और तलाशी अभियान’ यानी (कासो) एक बार फिर से शुरू करने का फैसला किया है.
गौरतलब है कि 15 साल पहले यह कार्य प्रणाली छोड़ दी गई थी. सेना में मौजूद सूत्रों ने बताया कि कासो का इस्तेमाल कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगांम, पुलवामा, तराल, बडगाम और शोपियां में बड़े पैमाने पर किया जाएगा.
सूत्रों ने बताया कि कासो 15 साल के अंतराल के बाद आतंकरोधी अभियानों के तहत एक स्थायी विशेषता होगी. सेना ने स्थानीय आबादी के सख्त विरोध के बाद कासो को बंद कर दिया था और 2001 के बाद सिर्फ विशेष खुफिया सूचना मिलने पर ही घेरा डालने और तलाशी अभियान चलाया गया.
हालांकि, सुरक्षा प्रतिष्ठानों को लगता है कि ऐसे अभियानों के दौरान होने वाली दिक्कतों की वजह से सुरक्षा बल स्थानीय आबादी से अलग-थलग पड़ गये थे. हाल ही में युवा और सेना के निहत्थे अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फयाज की शोपिया में हत्या के मद्देनजर कासो को फिर से शुरू करने का फैसला किया गया है.
सशस्त्र बलों ने पिछले हफ्ते दक्षिण कश्मीर में 4000 सैनिकों के सहारे एक बड़ा अभियान चलाया था जिससे रणनीति में बदलाव का संकेत मिलता है. भारत के दो सुरक्षाकर्मियों का सिर काटे जाने के बाद सेना नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी गोलीबारी का भी मुंहतोड़ जवाब दे रही है.
सूत्रों ने बताया, ‘‘पाकिस्तान की ओर पिछले तीन महीने में आठ लोग मारे गए हैं जबकि 17 अन्य घायल हुए हैं.’’