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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जिन्ना थे महात्मा गांधी की पहली पसंद : दलाई लामा

Tez Samachar by Tez Samachar
August 8, 2018
in Featured, देश
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भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जिन्ना थे महात्मा गांधी की पहली पसंद : दलाई लामा

नेहरू के आत्‍मकेंद्रित रवैये के चलते हुआ बंटवारा

पणजी (तेज समाचार डेस्क). तिब्बतियों के अध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने आज अपने एक बयान से पूरे देश में सनसनी फैला दी है. दलाई लामा ने अपने बयान में कहा कि जवाहरलाल नेहरू के ‘आत्म केंद्रित रवैया’ के कारण ही भारत का बंटवारा हुआ. वह देश के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, जबकि महात्‍मा गांधी भी यह चाहते थे कि मोहम्‍मद अली जिन्ना को पीएम बनाया जाए. दलाई लामा ने दावा किया कि अगर महात्मा गांधी की जिन्ना को पहला प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा को अमल में लाया जाता तो देश का बंटवारा नहीं होता.
दलाई लामा ने यह बात गोवा इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के एक कार्यक्रम में कही. एक छात्र ने जब सही फैसला लेने के बारे में दलाई लामा से प्रश्‍न पूछा तो उन्‍होंने जवाब दिया कि लोकतांत्रिक प्रणाली बहुत अच्छी होती है. सामंती व्यवस्था में कुछ लोगों के हाथों में निर्णय लेने की शक्ति होती है, जो खतरनाक है. दलाई लामा ने आगे कहा, ‘भारत की तरफ देखिए. मुझे लगता है कि महात्मा गांधी, जिन्ना को प्रधानमंत्री का पद देने के बेहद इच्छुक थे. लेकिन पंडित नेहरू ने इसे स्वीकार नहीं किया. मुझे लगता है कि खुद को प्रधानमंत्री के रूप में देखना पंडित नेहरू का आत्मकेंद्रित रवैया था. यदि महात्मा गांधी की सोच को स्वीकारा गया होता तो भारत- पाकिस्तान आज एक होते.’ दलाई लामा ने आगे कहा, ‘मैं पंडित नेहरू को बहुत अच्छी तरह जानता हूं, वह बेहद अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन कभी-कभी गलतियां हो जाती हैं.’
जीवन में भय का सामना करने के प्रश्‍न का जवाब देते हुए दलाई लामा ने उस दिन को याद किया जब उन्हें समर्थकों के साथ तिब्बत से निष्कासित कर दिया गया था. उन्होंने याद किया कि कैसे तिब्बत और चीन के बीच समस्या बदतर होती जा रही थी. दलाई लामा ने बताया कि स्थिति शांत करने के सभी प्रयास बेकार हो गए थे. इसके बाद 17 मार्च 1959 की रात उन्होंने निर्णय किया वह यहां नहीं रहेंगे. दलाई लामा ने बताया कि उस दौर में वह सोचते थे कि वह कल देख पाएंगे या नहीं. उन्‍होंने बताया कि जिस रास्‍ते से वह तिब्‍बत छोड़कर निकले थे, वह रास्‍ता चीनी सेना के बेस से बेहद करीब था. जब वह नदी के रास्‍ते गुजर रहे थे, तब वह चीनी सैनिकों को देख पा रहे थे. हम सब चुप थे, लेकिन घोड़ों की टाप की आवाज को रोकना हमारे हाथ में नहीं था. दलाई लामा ने अगली सुबह वह एक पहाड़ से गुजर रहे थे. वहां दो तरफ से चीनी सैनिकों के आने का खतरा था. वह बेहद डरावना सफर था. दलाई लामा ने आगे कहा, ’16 साल की उम्र में मैंने आजादी खो दी. 24 साल की उम्र में देश छोड़ना पड़ा. 17 साल तक देश के हालात बेहद खराब रहे, लेकिन हमने धैर्य रखा.

Tags: Born of PakistanChinedalai lamaJawaharlal NeharuMahatma GandipakistanPartition of IndiaPt
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