पुणे (तेज समाचार डेस्क). राज्य सरकार के आदेशानुसार जिला परिषद के 131 शिक्षकों में से 50 शिक्षक पिंपरी चिंचवड़ मनपा स्कूल में वर्ग किये जाने है. बुधवार को मनपा की शिक्षा समिति की बैठक में ऐन मौके पर इसका प्रस्ताव पेश किया गया. इस पर विपक्षी दल के सदस्यों ने पुरजोर विरोध किया, हालांकि सत्तादल भाजपा ने बहुमत के जोर पर उसे पारित कर लिया. हड़बड़ी में प्रस्ताव पेश करने और उसे तत्काल मंजूरी देने के पीछे भारी गोलमाल होने की टिप्पणी विपक्ष ने की है. साथ ही एक सीट के लिए सात लाख रुपये का भाव लगने का गंभीर आरोप लगाकर मनपा गलियारे में खलबली मचा दी है.
– राकां-शिवसेना ने जताई आपत्ति
शिक्षा समिति की अध्यक्ष सोनाली गव्हाणे की अध्यक्षता में संपन्न हुई इस बैठक में उपरोक्त प्रस्ताव पारित किया गया. इसी बैठक में मनपा स्कूलों के लिए ग्रीन बोर्ड खरीदने का फैसला किया गया. जिला परिषद के शिक्षकों के वर्गीकरण के प्रस्ताव पर राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवसेना के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई. बैठक के बाद एक पत्रकार वार्ता में अपनी भूमिका विशद करते हुए विपक्ष के सदस्यों ने बताया कि, जिस तरीके यह प्रस्ताव ऐन मौके पर लाया गया और हड़बड़ी में मंजूर किया गया, उससे गोलमाल का संदेह पैदा हो रहा है. इस प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए सत्तादल ने सभी नियमों को ताक पर रख दिया है.
– प्रशासन के जरिए नहीं रखा गया प्रस्ताव
राष्ट्रवादी कांग्रेस की विन्या तापकीर, राजू बनसोडे और शिवसेना की अश्विनी चिंचवडे ने बताया कि, यह प्रस्ताव सदस्यों के जरिये बैठक में लाया गया जबकि जरूरत थी कि ऐसे प्रस्ताव प्रशासन के जरिये पेश किये जाय. अचानक से 131 शिक्षकों के वर्गीकरण का पूरा प्रयोजन ही संदिग्ध है. इस प्रस्ताव पर अध्ययन के लिए समय मांगा गया था, मनपा आयुक्त ने वैसा आश्वासन भी दिया. इसके बावजूद सत्तादल ने प्रस्ताव मंजूरी को लेकर जल्दबाजी की. शिक्षकों के वर्गीकरण की इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हुआ है, एक सीट के लिए सात लाख रूपये का भाव फूटा है, यह आरोप भी इन सदस्यों ने लगाया है. विपक्ष के नेता दत्ता साने ने भी इस आरोप को दोहराते हुए इस मामले की तह तक जाकर सत्तादल की पोलखोल करने की घोषणा भी उन्होंने की.