पुणे (तेज समाचार डेस्क). गलत दिशा से आए ट्रेलर की टक्कर से कार में सवार युवक स्थायी रूप से अपंग हो गया. इस मामले में युवक को 2 करोड़ 17 लाख 14 हजार रुपए का मुआवजा देने का आदेश मोटर दुर्घटना न्याय प्राधिकरण के सत्र न्यायाधीश एस.के. कर्हाले ने दिया. इस रकम पर दावे के समय से यानी वर्ष 2013 में 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज देने का आदेश ट्रेलर मालिक और रिलायन्स जनरल इन्श्योरेंस कंपनी को कोर्ट ने दिया है. ब्याज पर विचार करने पर यह रकम तीन करोड़ से अधिक होती हैं. यह घटना 24 अगस्त 2013 के दिन घटी थी. इस घटना में स्थायी रूप से दिव्यांग हो चुके युवक का नाम प्रसाद प्रकाश दौंडकर (20, संत तुकारामनगर, पिंपरी) है.
– बेकाबू ट्रेलर ने मारी थी टक्कर
– बेकाबू ट्रेलर ने मारी थी टक्कर
प्रसाद अपने दोस्त के साथ तलेगांव से कार से चाकण की तरफ जा रहा था. इसी दौरान तेज गति से सामने से आ रहे ट्रेलर चालक का नियंत्रण छूट गया और ट्रेलर ने उल्टी दिशा में जाकर कार को टक्कर मार दी. इसमें कार चालक अंकुश सातपुते की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि प्रसाद गंभीर रूप से जख्मी हो गया. उसे तुरंत पवना हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इसके बाद यहां से जहांगीर हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया. वहां उसका करीब साढ़े तीन साल तक इलाज चला. इस घटना में प्रसाद स्थायी रूप से दिव्यांग हो गया. उसके मज्जा रज्जु में गहरी चोट लगी थी जिसकी वजह से उसका चलना-फिरना पूरी तरह बंद हो गया. जहांगीर हॉस्पिटल के बाद उसे मुंबई के कोकिलाबेन हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया. उसके इलाज में करीब 80 लाख रुपए का खर्च आया. जब दुर्घटना हुई थी तब प्रसाद बी. कॉम के तीसरे वर्ष का छात्र था. इस घटना से वह हमेशा के लिए दिव्यांग हो गया. डॉक्टरों का कहना है कि वह अब कभी इससे बाहर नहीं निकल पाएगा. इसके मद्देनजर मुआवजे के लिए मोटर दुर्घटना न्याय प्राधिकरण के पास एड. अतुल गुंजाल के जरिए दावा किया गया. उन्होंने कोर्ट में इस मामले में चार डॉक्टरों को गवाह के तौर पर पेश किया.
– राज्य में पहली बार इतना बड़ा मुआवजा
जख्मी व्यक्ति के मामले में राज्य में पहली बार किसी पीड़ित को इतनी बड़ी रकम देने का आदेश मोटर दुर्घटना न्याय प्राधिकरण ने दिया है. उसे हमेशा फिजियोथेरेपिस्ट और केयरटेकर की जरुरत होगी और वह अपनी दिव्यांगता से कभी बाहर नहीं आ पाएगा. उसका जीवन आम इंसानों की तरह नहीं होगा. वह पढ़ाई नहीं कर पाएगा. वैवाहिक जीवन के लिए योग्य नहीं. उसके पूरे जीवन की तकलीफों को देखते हुए मुआवजे देने की मांग एड़. अतुल गुंजाल ने की थी. इसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की मिसाल पेश की. इसी आधार पर भारी भरकम मुआवजा देने का आदेश दिया गया है.