
दरअसल, ‘साहेब’ का वक्त खराब चल रहा है. अब तक दबे हुए सारे नौकरशाह मुंह खोलने लगे हैं. सीबीआई कांड उसी का नतीजा है. लगता है, उन्हें भी गुब्बारे की विदाई की आहट हो गई है. सो, गुब्बारा बौखला रहा है. वह कभी भी फूट सकता है, फट सकता है. खबर तो यहां तक आयी कि सीबीआई चीफ, राफेल मामले की जांच के सिलसिले में पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) पर छापे मारने वाले थे. इसलिए आधी रात को मीटिंग बुलवाकर ‘चीफ’ को जबरन छुट्टी पर भेजा गया. यह भी कहा जा रहा है कि आलोक वर्मा, कांग्रेस के इशारों पर मोदी को घेरने और चुनाव से पहले बदनाम करने का षड्यंत्र कर चुके थे, इसलिए उनको तत्काल हटा दिया गया. न रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी! मगर बांसुरी में भी छेद ही छेद होते हैं. तो वह भी बजने लगी है. मजा यह कि कांग्रेस ही आलोक वर्मा की बांसुरी बजाने लगी है.
‘गुजरात मॉडल’ ने उस राकेश अस्थाना को सीबीआई में ‘दो नंबर’ पर लाकर बिठा दिया, जिसने गुजरात दंगों के मामले में ‘साहेब’ को क्लीन चिट दी थी. जाहिर है, ‘साहेब’ उसे उपकृत कर रहे हैं. ‘साहेब’ को पहले उसने बचाया था, अब ‘साहेब’ उसको बचाने में लगे हैं. यह देश ऐसा ही चलता है. इस हाथ ले, उस हाथ दे ….यानी ‘टेक एंड गिव!’ खबर तो यह भी है कि इसी अस्थाना को नियुक्ति के समय ‘शाही’ अंदाज में पार्टी के लिए 200 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य दिया गया था. इसलिए अस्थाना रिश्वत की रकम यहां-वहां से जुटा रहे थे. लेकिन मोईन कुरैशी कांड में रिश्वत लेते पकड़े गए. नतीजतन उनके खिलाफ एफआईआर हो गई. बदले में ‘दो नंबरी’ अस्थाना ने ‘एक नंबरी’ आलोक वर्मा पर भी रिश्वत लेने के आरोप लगा दिए. सीबीआई में गृहयुद्ध छिड़ गया. महाभारत मच गया. कीड़े मारने वाली दवा में ही कीड़े पड़ गए. देश तमाशा देखने लगा. कांग्रेस सड़क पर उतर गई ….और ‘साहेब’ की बोलती बंद हो गई!
शायद राजनीति इसी का नाम है. कभी पानी पर नाव चलती है, तो कभी नाव में पानी घुस जाता है. राजनीति के समंदर में शोहरत की नाव किनारे तक पहुंच गई तो ठीक, वरना डूबना तय है. चारों तरफ से ‘साहेब’ घिर गए हैं. राहुल गांधी तो अपनी रैलियों में ‘चौकीदार… हाय-हाय’ और ‘चौकीदार चोर है, चोर है’ के नारे लगवा रहे हैं. फिलहाल चौकीदार चुप है, मगर उसके साथी कांग्रेस के गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं. नेशनल हेराल्ड केस में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर गांधी परिवार को एक बार फिर घेरा जा रहा है. ‘तोते’ की जंग में करप्शन के केस उड़ रहे हैं. अभी दोनों तरफ के कुछ और घोटाले सामने आने की उम्मीद है, लेकिन यह कैसी विडंबना है कि रुपया पाताल तक और भ्रष्टाचार सीबीआई तक पहुंच गया है! करप्शन की इस गंगा में सब के सब नंगे दिखने लगे हैं! भरोसा करें तो किस पर? क्या होगा देश का?
‘इस सड़क पर इस कदर कीचड़ बिछी है,
हर किसी का पांव घुटनों तक सना है।’
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