सूरत (तेज समाचार डेस्क). 2016 में अपने बेटे-बहू सहित परिवर के 9 लोगों को एक दुर्घटना में खो देने के बाद मानसिक रूप से टूट चकी एक दंपति को उनकी ही बेटी ने जीने का एक नया मार्ग दिखाया और 62 साल की उम्र में मधुबेन गहलोत नामक महिला ने टेस्टट्यूब की मदद से स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. मधुबेन के पति श्यामभाई गहलोत की उम्र इस समय 66 वर्ष है.
– बेटी मनीषा की बात मान कर उठाया यह कदम
बेटे के जन्म के बाद पिता श्यामभाई गहलोत कहते हैं कि मेरी बेटी मनीषा ने टेस्ट ट्यूब बेबी का सुझाव दिया था. पहले तो मैंने इनकार किया. हम सोचते थे कि समाज क्या कहेगा? पत्नी मधुबेन से बेटी मनीषा ने कहा कि छोड़ो ये सब! यह सोचो कि परिवार का भला किसमें है? इसके बाद हम ट्रीटमेंट के लिए तैयार हुए. मैं खुश हूं कि बेटे का जन्म हुआ है.
– मानसिक रूप से टूट गए थे माता-पिता : मनीषा
मनीषा एक स्टूडेंट हैं. वह बताती है कि जिस घर में पलक झपकते ही नौ व्यक्तियों की मौत हो जाए, उस पर क्या बीतती है, यह मैं जानती हूं. यह दु:ख हमें झेलना पड़ा. नवंबर 2016 में सूरत में हुए हादसे में मेरे पिता ने 28 साल का बेटा, 26 साल की पुत्रवधू, पौत्र-पौत्री, दामाद और एक बेटी समेत नौ लोगों को खो दिया था. इसके सदमे से मां घुट-घुट कर जी रही थीं. मां और पिता को देखते ही लगता था कि उनके अंदर से जीने की चाह चली गई है.
मनीषा बताती हैं कि हादसे के छह महीने बाद मैं एक सेमिनार का हिस्सा बनी. यह आईवीएफ के बारे में था. इसके बारे में जानने समझने के बाद मां से बात की. भरोसे के साथ कहा कि घुटन से उबरो. प्रयास करो. भगवान ने चाहा तो घर में दोबारा किलकारी गूंजेगी. हुआ भी ऐसा ही. आईवीएफ के पहले ही प्रयास में सफलता मिली.
– लोक-लाज छोड़ कर उठाया साहसी कदम
मनीषा कहती हैं कि पहली बार जब मां से बात की थी तो उन्होंने कहा था कि ऐसा संभव नहीं हो सकता. पिता तक बात पहुंची तो वे कुछ बोले नहीं, लेकिन उनकी आंखों में आए आंसुओं से मैंने पीड़ा भांप ली. तय किया कि प्रयास करने में क्या दिक्कत है. मन में एक ख्याल ये भी आया कि मैं खुद 24 साल की हूं. लोग और समाज क्या कहेंगे? तभी विचार आया कि समाज तो दो-चार दिन से ज्यादा साथ नहीं देत. यह भी कहता है कि बेटियों को मत पढ़ाओ. ऐसे में मैं समाज की चिंता क्यों करूं?
– डॉक्टर ने भी दिया पूरा सहयोग
सूरत की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा नाडकर्णी ने बताया कि मधुबेन जब शुरुआत में आईं तो मैं उनकी बात सुनकर चौंक गई थी. हालांकि उनकी बात जानने के बाद तय कर लिया कि 100 प्रतिशत प्रयास करूंगी. सामान्यत: 50 साल तक की महिलाएं इस तकनीक के जरिए संतान प्राप्ति की चाहत के साथ आती हैं.