पुणे (तेज समाचार डेस्क). रायगढ़ जिले की 9वीं कक्षा की छात्रा निकिता कृष्ण मोरे घने जंगलों के बीच 7 किलोमीटर चल कर पलचिल गांव स्थित स्कूल पढ़ने जाती है. घने जंगल तथा तेंदुओं, सापों एवं जंगली सुअरों से सामना होने की आशंका भी उसके पढ़ने के हौसले को डिगा नहीं पाते हैं. उसका अदम्य साहस तारीफे काबिल है.
– कोई दूसरा रास्ता भी नहीं
निकिता रायगढ़ जिले के मोरेवाड़ी गांव में रहती है और वह डॉक्टर बनना चाहती है. उसके इस दृढ़ निश्चय ने सभी बाधाओं को पीछे छोड़ दिया है. स्कूल पहुंचने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है. इसलिए निकिता ने जंगल से ही दोस्ती कर ली. पलचिल हाईस्कूल की छात्रा निकिता ने कहा कि उसे अक्सर रास्ते में जंगली सुअर और सांप मिलते हैं. कुछ माह पूर्व उसने जंगल में तेंदुआ देख, लेकिन वह काफी दूर था. वह डर गई थी. उसके माता-पिता चावल की खेती करते हैं.
– भाई का साथ भी छूटा
पिछले साल तक उसका भाई उसके साथ स्कूल आता था. लेकिन जूनियर कॉलेज में पढ़ने के लिए पोलादपुर तहसील चला गया और अब वह अकेले स्कूल जाती है. निकिता ने कहा कि पिछले साल तक भाई का बड़ा समर्थन मिला. अब उसे अकेले स्थिति से निपटना पड़ता है. उसके घर के पास दूसरा कोई स्कूल नहीं है.
– होगी गांव की पहली डॉक्टर
वह डॉक्टर बनना चाहती है. वह अपने गांव में पहली डॉक्टर बनेगी. उसके गांव के लोगों को मेडिकल सुविधा के लिए मीलों चलकर दूर जाना पड़ता है. उसका घर स्कूल से 7 किलोमीटर दूर है. वह रोज 2 घंटे पैदल चलकर स्कूल पहुंचती है. सुबह 10.45 बजे स्कूल पहुंचने के लिए सुबह 8.45 बजे घर से रवाना होती है.
– बारिश में चलना कठिन
निकिता ने कहा कि शनिवार को स्कूल सुबह 8 बजे शुरू होता है. इसलिए उस दिन वह सुबह 6 बजे घर से निकल जाती है. इस इलाके में भारी वर्षा होती है और बारिश में चलना बड़ा कठिन होता है. अधिकांश दिन उसे कमरभर पानी से होकर गुजरना पड़ता है. वह कभी-कभी स्कूल पूरी तरह भीगी हुई पहुंचती है. निकिता ने कहा कि सर्दियों के दिनों में स्कूल से घर लौटना काफी जोखिम भरा होता है. वह स्कूल से शाम 4.30 बजे घर के लिए रवाना होती है. लेकिन आधे रास्ते में ही अंधेरा हो जाता है और वह काफी डरावना हो जाता है. वह कम से कम 2 किलोमीटर घोर अंधेरे में चलती है.
– विज्ञान-गणित में अच्छे नंबर लाती है
कई बार वह इस दौरान दौड़ लगाती है ताकि इस दूरी को तेजी से पार कर ले. पूरे रास्ते में जंगली जानवरों पर भी नजर रखनी पड़ती है. सभी कठिनाइयों के बावजूद निकिता विज्ञान एवं गणित में अच्छे नंबर लाती है. उसके शिक्षक उसके साहस से काफी प्रभावित हैं. उनका कहना है कि निकिता ने इलाके के दूरदराज के कस्बों की अन्य लड़कियों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित किया है.
– एथलीट भी है निकिता
उसके स्कूल के फिजिकल ट्रेनर सुखदेव मोरे ने कहा कि पढ़ाई के लिए निकिता की कठिन पदयात्रा ने उसे एथलीट बना दिया है और उसने पोलादपुर तहसील में कई प्रतियोगिताएं भी जीती हैं. वह लगातार दो सालों से अंतर विद्यालय स्पर्धाओं की विजेता रही है, उसकी उपलब्धियां दंग कर देती हैं. स्कूल पढ़ने जाने और आने में 14 किलोमीटर चलना एवं उसकी अन्य दिनचर्या ने उसे शारीरिक रूप से तंदुरुस्त बनाया है. सुखदेव मोरे को निकिता से काफी उम्मीदें हैं. उनका मानना है कि उचित प्रशिक्षण से निकिता राज्यस्तरीय एवं राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.
– घर लौटना काफी जोखिम भरा
निकिता ने कहा कि शनिवार को स्कूल सुबह 8 बजे शुरू होता है, इसलिए उस दिन वह सुबह 6 बजे घर से निकल जाती है इस इलाके में भारी वर्षा होती है और बारिश में चलना बड़ा कठिन होता है, अधिकांश दिन उसे कमरभर पानी से होकर गुजरना पड़ता है. वह कभी-कभी स्कूल पूरी तरह भीगी हुई पहुंचती हैनिकिता ने कहा कि सर्दियों के दिनों में स्कूल से घर लौटना काफी जोखिम भरा होता है, वह स्कूल से शाम 4.30 बजे घर के लिए रवाना होती है.