– स्टेशन कार्यालय से लेकर निवासस्थान का काम पूरा
– कुछ ही दिनों में हो सकता है स्टेशन कार्यालय का उदघाट्न
– सिर्फ केबल वायरिंग का काम शेष
जलगांव (तेज समाचार प्रतिनिधि). मध्य रेल के भुसावल मंडल में तथा मूर्तिज़ापुर बडनेरा के बीच आनेवाले ब्रिटिश कालीन रेलवे स्टेशन के आखिर अच्छे दिन आ ही गए. ब्रिटिश सरकार जाने के डेढ़ सौ साल बाद कुरुम रेलवे स्टेशन की किस्मत जगमगाई है.
बता दे कि कई अखबारों में कुरुम रेलवे स्टेशन की समस्याओं के बारे में बार-बार खबरें प्रकाशित करने से आज अच्छा असर यहां के रेल कर्मचारियों को एवं रेल प्रवासियों को देखने मिल रहा है. रेलवे स्टेशन कार्यालय से लेकर तो कर्मचारियों के लिए नए निवास स्थान, प्रवासियों को बैठने के लिए शेडवाले आसन, प्लैटफॉर्म पर पानी की व्यवस्था, प्रवासी महिलाओं को शौचालय का काम भी पूरा किया गया. बस स्टेशन कार्यालय के केबल वायरिंग का काम अधूरा बाकी है. कुछ ही दिनों में यह भी काम पूरा हो सकता है. क्योकि वायरिंग का काम भी अंतिम चरण में चल रहा है. बस थोड़े इंतजार के बाद स्टेशन कार्यालय का उद्घाटन होकर कामकाज नई बिल्डिंग में शुरू किया जाएगा.
– रेल से ही सफर करते हैं अधिकतर ग्रामीण
कुरुम रेलवे स्टेशन छोटा जरूर है और यहां केवल पैसेंजर गाड़ियां ही रुकती हैं, लेकिन इस स्टेशन के आस-पास कई देहातों का समावेश हैं. गरीब देहातियों को सबसे सस्ता एवं अच्छा यहीं एक रेल मार्ग है. इन देहातों में आज भी एसटी बस का अभाव होने से हर कोई यात्री मूर्तिज़ापुर, अकोला, शेगांव तथा बडनेरा, अमरावती के लिए रेल से ही सफर करता है.
– असुविधाओं की थी भरमार
यहां आने के बाद यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता था. शौचालय से लेकर यात्रियों को पीने के पानी की व्यवस्था नहीं थी, ना ही बारिश एवं गर्मी में बैठने के लिए आसन और शेड का इंतजाम था. साथ ही साथ रेल कर्मियों के ब्रिटिश कालीन निवासस्थान तथा स्टेशन कार्यालय का खस्ताहाल हो चुका था, जिसमें आए दिन रेल कर्मी और उनके परिजन खतरे में जी रहे थे. इन सभी गंभीर समस्याओं को करीब 5 साल से कई अखबारवालों ने बार-बार छापकर यात्री और रेल कर्मचारियों को समस्याओ से निजात दिलाई.
– पादचारी पुल की कमी
बस मलाल अब इसी बात का रहा कि एक पदचारी पुल और प्लेटफार्म की ऊंचाई बढ़ जाये, तो सोने पर सुहागा हो जाये. ताकि रेल यात्रीयों की जान की हिफाजत हो सके.