पुणे (तेज समाचार डेस्क). भीमा कोरेगांव हिंसा से पहले एल्गार परिषद आयोजन के कार्यकर्ता सुधा भरद्वाज, वरवरा राव सहित पांच लोगों के खिलाफ गुरुवार को पुणे शहर पुलिस द्वारा एक पूरक आरोप पत्र दायर किया गया. भारद्वाज, माओवादी विचारक वरवारा राव, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसाल्विस और भाकपा (माओवादी) के महासचिव गणपति उर्फ चंद्रशेखर के खिलाफ विशेष न्यायाधीश किशोर वडाने की अदालत में 1837 पृष्ठों की चार्जशीट दायर की गई.
– जून 2018 में हुई थी गिरफ्तारियां
– जून 2018 में हुई थी गिरफ्तारियां
इससे पहले नवंबर 2018 में, पुलिस ने वकील सुरेंद्र गडलिंग, प्रो शोमा सेन, कार्यकर्ता रोना विल्सन, महेश राउत और सुधीर धवले के खिलाफ मामले में पहली चार्जशीट दायर की थी. इन सभी को जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था. चार्जशीट में नामजद अन्य पांच आरोपी माओवादी नेता दीपक उर्फ मिलिंद तेलतुम्बडे, किशन दा उर्फ प्रशांत बोस, प्रकाश उर्फ रितुपरन गोस्वामी, कामरेड दीपू और कामरेड मंगलू हैं, चार्जशीट में सभी पांचों फरार बताए गए हैं. चार्जशीट के अनुसार, वरवारा और अन्य आरोपी व्यक्ति प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के लिए धन जुटाने में कथित रूप से शामिल थे. वह हथियारों और गोला-बारूद की खरीद के लिए नेपाली माओवादी नेता बसंता के संपर्क में भी था. फरेरा, गडलिंग और भारद्वाज इंडियन एसोसिएशन फॉर पीपुल्स वकीलों (IAPL) के सदस्य भी हैं, जो माओवादियों का अगला संगठन है.
– गोस्वामी के पत्र से हुई थी पुष्टि
चार्जशीट के अनुसार, प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) (माओवादी) के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो (ERB) के निर्देश पर, धवले, हर्षाली पोद्दार सहित दलित समुदाय को जुटाने और एकजुट करने के लिए ‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान’ मनाया गया था. साथ ही इस मुद्दे को बनाये रखने के लिए, राउत के माध्यम से धवले, गैडलिंग और सेन को 5 लाख रुपये दिए गए थे, जिन्हें सीपीआई माओवादी से मिला था. राउत ने CPI माओवादी के लिए काम करने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS), मुंबई के दो छात्रों की भर्ती की और उन्हें सशस्त्र माओवादियों के साथ प्रशिक्षण के लिए जंगल भेज दिया. गोस्वामी द्वारा विल्सन को लिखे गए पत्र से इस बात की पुष्टि हुई है.