पुणे. लोकसभा चुनाव की हलचल तेज हो चुकी है. पुलवामा अटैक के बाद देश का चुनावी परिदृश्य पूरी तरह से बदल चुका है. अब तक जो लोग भाजपा की बुराई किया करते थे व उसे बदलने की मांग करते थे वे भ अब भाजपा का समर्थन करने लगे हैं. बात अगर लोस चुनाव की करें तो पुणे शहर देश की ऐसी गिनी चुनी सीटों में से एक है, जिसपर पूरे देशवासियों की नजरें टिकी होती है. पर ताज्जुब की बात यह है कि चुनाव में एक महीने से भी कम समय होने के बावजूद अब तक किसी भी पार्टी ने अपना उम्मीदवार तक तय नहीं किया है. पुणे शहर की लड़ाई हमेशा से सीधा भाजपा बनाम कांग्रेस रही है. दोनों पार्टियों के उम्मीदवार कौन होंगे, इसको लेकर अटकलें तेज हो गई है. भाजपा की ओर से जहां मौजूदा सांसद अनिल शिरोले का नाम सबसे आगे है तो पालकमंत्री गिरिश बापट, शहराध्यक्ष योगेश गोगावले, नगरसेवक मुरलीधर मोहोल व विधायक जगदीश मुलिक का नाम भी उछाला जा रहा है. तो कांग्रेस की ओर से प्रवीण गायकवाड का नाम सबसे आगे है. पर राज्यसभा सांसद संजय काकडे आघाडी के नेताओं से मिलकर अपनी फिल्डिंग लगा रहे हैं. इस वजह से काकडे का भी नाम आगे आ रहा है. माना जा रहा है कि लोकसभा की यह लड़ाई शिरोले व काकडे के बीव हो सकती है.
– केंद्र में शिरोले की अच्छी पकड़
नगरसेवक के तौर पर काम कर चुके मौजूदा सांसद अनिल शिरोले ने भाजपा शहराध्यक्ष का भी काम करते हुए बेहतर छाप छोड़ी थी. विगत लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में शिरोले चुनकर आए. दरअसल शहर के लिए उन्होंने जो काम किए हैं, उसके बारे में आम लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन शिरोले ने अपनी काम की रिपोर्ट के माध्यम से केंद्र के व राज्य के पदाधिकारियों को खुश करने का काम किया है. साथ ही लोकसभा में उन्हें एक सिन्सियर सांसद के तौर पर जाना जाता है. क्योंकि अब तक कोई गलत वक्तव्य या गलत काम करने काम काम शिरोले ने नहीं किया है. साथ ही लोकसभा में उनकी हाजिरी पूरी तरह से रहती थी व जब समय मिलता था, तब शिरोले ग्रंथालय में जाकर अध्ययन करते थे. ये बात केंद्र के लोगों को भायी है. साथ ही स्थानीय लेवल पर भी अब तक उनके नाम का किसी ने विरोध नहीं किया है. उनके खिलाफ भी अब तक कोई नहीं गया है. आमतौर पर कहा जाता है कि लोस का टिकट मौजूदा सांसद को ही मिलता है. उसका टिकट तब तक नहीं कटता जब तक कि उसके खिलाफ माहौल खराब न हो या किसी बड़े भ्रष्टाचार में उसका नाम न सामने आया हो. शिरोले को लेकर ऐसा कुछ भी नहीं है.
– बापट, गोगावले, मोहोल व मुलिक का भी नाम चर्चा में
शिरोले के अलावा बीच बीच में पालकमंत्री गिरिश बापट, शहराध्यक्ष योगेश गोगावले, नगरसेवक मुरलीधर मोहोल व विधायक जगदीश मुलिक का नाम भी उछल रहा है. कहा जा रहा है कि भाजपा किसी मराठा उम्मीदवार को ही टिकट देगी. इस वजह से गिरिश बापट को टिकट मिलने की संभावनाएं कम हैं. गोगावले भी विगत कई सालों से शहराध्यक्ष के तौर पर अच्छा काम कर रहे हैं. इसलिए उनका भी नाम लिया जा रहा है. तो उधर युवा नेता के तौर पर मुरलीधर मोहोल व विधायक जगदीश मुलिक का भी नाम आगे आ रहा है.
– आघाडी में अब भी भ्रम
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस व एनसीपी ने आघाडी कर ली है. लेकिन आघाडी की ओर से अब तक किसी का नाम आगे नहीं आया है. कांग्रेस की ओर से संभाजी ब्रिगेड के प्रवीण गायकवाड का नाम आगे चल रहा है. लेकिन राज्यसभा के सांसद संजय काकडे आघाडी के नेताओं से मिलकर अपनी फिल्डिंग लगा रहे हैं. इस वजह से काकडे का भी नाम आगे आ रहा है. अहमदनगर की सीट को लेकर कांग्रेस व एनसीपी में विवाद चल रहा था. लेकिन अब तय हो गया है कि नगर की सीट एनसीपी जहां कांग्रेस को देगी तो पुणे की सीट एनसीपी लेगी. लेकिन अभी तक इसपर मुहर नहीं लग पाई है. काकडे भी अजित पवार से मिले थे. इस वजह से अटकलें लगायी जा रहीं थी कि काकडे कांग्रेस की ओर से लड़ेंगे. फिर भी आघाडी में अभी तक भ्रम बना हुआ है.