अकोला(अवेस सिद्दीकी): नगर निगम के सामने विगत १ फरवरी से चल रहे छठे वेतन आयोग की जमापूंजी मिलनेके लिए जारी पूर्व सफाई कर्मचारियोंके आमरण अनशन को अनेक सामाजिक संघटनाओ ने साथ देने का फैसला लिया था.कर्ज और तंगहाली से गुजर बसर कर रहे महिला और पुरुष पूर्व सफाई कर्मचारी अपनी प्रलंबित मांग के लिए मनपा के सामने आमरण अनशन पर विगत १ फरवरी से बैठे थे इतने दिनों के बाद भी मनपा प्रशासन ने इस गंभीर मसले पर ध्यान नहीं देनेसे समस्या गंभीर हुई जारही थी नगर निगम प्रशासन गेहरी निंद मे थी .आमरण अनशन से दो कर्मचारियोंकी हालत गंभीर होकर उन्हें उपचार के लिए शासकीय रुग्णालय में रवाना किया गया था।अपनी ए-सी की गाडीयो एवं कार्यलय का सुख ले रहे महापौर एवं आयुक्त ने करीब 23 दिन कोई निर्णय नही लिया। क्या प्रशासन को कोई अनुचित घटना घटने का इंतेजार था? या अंशन करताओ से कोई जिद्द लगा रखी थी? या महापौर के सत्ता सर मे चढने से अंशन करताओ की ओर ख्याल ही नही गया।अपनी पूर्ण आयु नगर निगम की सेवा मे देने वाले इन बुजूर्गो को करीब 23 दिन इंतेजार कारवाया गया। उधर अपनी जमा पूंजी नहीं मिलने से रिटायर्ड कर्मचारियोंकी खस्ता हालत बनकर तंगहाली शुरू होनेका सिलसिला अनवरत शुरू है.
अकोला सेवानिवृत्त कर्मचारी असो. तथा वाल्मिक समाज सुधारक मंडल के स्वामित्व में चल रहे इस अनशन में जबतक छठे वेतन की जमा राशि नहीं मिलती तबतक आमरण अनशन जारी रखने की बात असो.के नेता ओमप्रकाश ताडम ,जी आर खान, वाल्मिक मंडल के कांतीलाल पटोने ने निवेदन देकर कही थी तथा करीब 23 दिन आमरण अन्शन जारी रखा लेकीन जैसे अन्य कार्यो के लिए महापौर केवल आश्वासन का चॉकलेट देते है इसी प्रकार उपोषणकर्ताओ को भी मार्च महीने के बाद छटे आयोग वेतन की थकीत रकम देने का आश्वासन दे उपोषण खतम कारवाया।इसी प्रकार के मनमाने कार्य महापौर द्वारा नगर निगम मे किए जाने का आरोप आए दिन पार्षद लगाते रेहते है और कुबल भी करते है तथा तांत्रिक गलतीयो के नाम पर किए गए अपने मनमाने कर्यो पर परदा दालने का प्रयास करते है।महापौर महाशय से ऐसे ही गलतीया होती रही तो शहर का विकास कार्य कब होंगा?