इंदौर (तेज समाचार डेस्क). भोलेभाले लोगों की जमीन को खरीदने के नाम पर उस जमीन को बैंक में गिरवी रख कर कर्ज उठानेवाले जालसाज गिरोह का पर्दाफाश क्राइम ब्रांच ने किया है. आरोपियों ने कई जमीन मालिकों को धोखा देकर करोड़ों रुपए का लोन उनकी जमीन के नाम पर बैंकों से ले रखा है. ये लोग ऐसे लोगों को अपना निशाना बनाते थे, जो कम पढ़े लिखे हों. मुख्य सरगना के परिवार के सदस्यों और दोस्तों के नाम पर 25 से भी ज्यादा फर्जी कंपनियां व फर्म रजिस्टर्ड हैं. पुलिस को इनके पास से 112 करोड़ से अधिक का टर्नओवर मिला है. बताया जाता है कि आरोपी विदेश भागने की तैयारी में थे, लेकिन इससे पहले वे क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ गए.
एसएसपी रुचि वर्धन मिश्र ने बताया कि क्राइम ब्रांच में आवेदक मुकेश कलोता ने शिकायत की थी कि उसके पुत्र अनमोल को कैंसर की बीमारी होने के कारण उसने अपनी जमीन का सौदा क्रेता मेसर्स वेंकटेश सिलीकॉन एण्ड इन्फ्रारिअल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संजय द्विवेदी पिता स्व. शेषमणी द्विवेदी पता युजी-20, चेतक चेम्बर प्लॉट नंबर 13-14 आरएनटी मार्ग इन्दौर के के साथ किया था. चार करोड़ 76 लाख रुपए में सौदा तय होने के बाद 25 फरवरी 2016 को अनुबंध पत्र तैयार करवाया गया था. अनुबंध के एवज में पार्टी ने 32 लाख रुपए, जिसमें एक लाख रुपए टोकन मनी भी शामिल है, दिए थे. जमीन मालिक को जमीन खरीदने वाले की ओर से दिए गए थे. इसमें उसने साढ़े 15 लाख रुपए के दो अलग-अलग चेक दिए गए थे. इसके अलावा बची राशि के लिए खरीदार ने तीन अलग-अलग चेक दिए थे. इस चेक को बैंक में लगाने पर वह बाउंस हो गया.
डील के बाद आरोपी संजय ने परिजनों के साथ मिलकर षडयंत्रपूर्वक मध्यप्रदेश वित्त निगम को अपना ऑफिस बताते हुए उससे रजिस्ट्री के नाम पर साइन करवा लिए. मप्र वित्त निगम में जमीन गिरवी रखकर उसने मध्य प्रदेश वित्त निगम ने मेसर्स अमिताय ट्रेडिंग कम्पनी (प्रो. अमित द्विवेदी तथा रोहित शर्मा ) तथा मेसर्स श्री व्यक्टेंश इंज. प्रोजेक्ट कम्पनी (प्रो. अमित द्विवेदी ) को 1.25 – 1.25 करोड़ कुल 2.50 करोड रुपए का लोन करवा लिया.
जमीन मालिक को विश्वास दिलाने के लिए आरोपी संजय के साथी राजेश शुक्ला, अमित द्विवेदी, विजय द्विवेदी, रोहित शर्मा ने भी मध्य प्रदेश वित्त निगम में डिड ऑफ ग्यारंटी पर हस्ताक्षर किए. आरबीएल बैंक द्वारा जांच करने पर पाया गया कि अमिताय ट्रेडिंग कम्पनी का स्थापना पंजीयन का प्रमाण पत्र में स्टेशनरी एवं जनरल मटेरियल के क्रय व विक्रय के संबंध में है, जबकि उसने मध्य प्रदेश वित्त निगम को दी गई जानकारी में स्वयं को परिवहन व्यवसाय, लोडिंग, ग्रेडिंग, कोल संबंधित कार्य आदि के बारे में बताया था.
मकान मालिक को जमीन गिरवी संबंधी जानकारी पता नहीं चल जाए इसलिए आरोपी ने उसे शेष राशि के तीन चेक और दे दिए. कंपनी द्वारा लोन की राशि नहीं भरने पर वसूली का नोटिस जमीन मालिक के पास पहुंचने पर मामले का खुलासा हुआ. उसे बताया गया कि उसने जमीन गिरबी रखी हुई है और उससे करोड़ों रुपए का लोन लिया गया है.
इसी तरह अन्य पीड़ितों ने भी आरोपी संजय के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है, जिसमें आरेापियों ने संबंधित भूमियों को विभिन्न बैंकों में मोडगेज रखते हुए मध्य प्रदेश वित्त निगम नवरतन बाग, बैंक ऑफ इंडिया मुंबई, बैंक ऑफ इंडिया इंदौर, आन्ध्रा बैंक इन्दौर, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक आदि शाखाओं से भी करोडों रुपए का लोन स्वीकृत कराया है.
आरोपियों संजय द्विवेदी, अमित द्विवेदी, नेहा द्विवेदी, रोहित शर्मा, विजय द्विवेदी, राजेश शुक्ला की कम्पनियों के संबंध में पुलिस को पता चला है कि संजय के नाम से समर्थ इन्फ्रा बील्ड(इंडिया) प्रालि. नाम की कम्पनी है, उक्त कम्पनी के व्दारा-बैंक ऑफ इंडिया तारदेव रोड मुंबई से 6.52 करोड़ रुपए, 13 करोड़ तथा 15 करोड़ रुपए लोन लिया गया है, जो बकाया है. स्टेट बैंक आफ इंडिया का 8.75 करोड़ रुपया तथा बैंकक ऑफ बड़ौदा का 2.70 करोड़ रुपए का लोन बकाया है.
आरोपी की पत्नि नेहा द्विवेदी के नाम से 7 कंपनियां रजिस्ट्रर्ड होना पाया गया है. इसके जरिए उन्होंने कई बैंकों से लोन ले रखा है. पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.