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जब गायब हो गई नाबालिग के शव की आंखें!!!

Tez Samachar by Tez Samachar
July 14, 2019
in Featured, प्रदेश
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जब गायब हो गई नाबालिग के शव की आंखें!!!

इंदौर (तेज समाचार डेस्क). पोस्टमार्टम कर रहे फारेंसिक एक्सपर्ट उस समय चौक गए, जब वे एक फांसी लगाने वाले नाबालिग का पोस्टमॉर्टम कर रहे थे, क्योंकि शव की आंखें नहीं थीं. जबकि पुलिस की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र कहीं भी नहीं था, कि लाश की आंखें गायब है. तुरंत ही उन्होंने पोस्टमॉर्टम रुकवा दिया. बाद में पूछताछ में पता चला कि परिजनों ने रात को ही उसकी आंखें दान करवा दी थीं. पुलिस द्वारा इस बात की पुष्टि करने के बाद उसका पोस्टमॉर्टम कर शव परिजन को सौंप दिया गया.
एरोड्रम पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार भोलेनाथ कॉलोनी में रहने वाले 17 वर्षीय अनुराग अशोक ने शुक्रवार रात को फांसी लग ली थी. बताया जाता है कि वह बेरोजगारी से परेशान था और नौकरी नहीं मिल पाने के कारण उसने ऐसा कदम उठाया है. रात को ही पुलिस ने शव बरामद कर जिला अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए रखवा दिया था. सुबह परिजन जिला अस्पताल पहुंचे और पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया के लिए लिखा पढ़ी शुरू करवाई.
दोपहर 12.50 बजे एरोड्रम थाने के एएसआई यादव ने फारेंसिक एक्सपर्ट डॉ. भरत वाजपेयी को पंचनामे के कागज सौंपे. जब डॉ. वाजपेयी ने शव देखा तो वे हैरान थे. शव की आंखें गायब थी और पुलिस के पंचनामे में इसका जिक्र भी नहीं था. डॉक्टर चौंक गए कि आखिर आंखें गई कहां. उन्होंने पोस्टमॉर्टम रोक दिया तो परिजन हंगामा करने लगे. डॉक्टर ने एएसआई और परिजन से पूछा. एएसआई ने भी इसकी जानकारी होने से इंकार कर दिया. तब परिजन बोले कि हमने रात को इसकी आंखें दान की है. हमने थाने पर कहा था कि आंखें दान करना चाहते हैं. इसके बाद मुस्कान ग्रुप से चर्चा कर उसकी आंखें दान करवा दी. परिजन ने रात को जिला अस्पताल के ड्यूटी डॉ. दिनेश आचार्य को आवेदन देकर आंखें दान करवाई थी.
– परिजनों ने पुलिस को भी नहीं बताया
इस मामले में पुलिस का कहना है कि उन्हें सुबह न तो परिजन ने बताया और न ड्यूटी डॉक्टर की तरफ से कोई जानकारी मिली. जब पूछताछ हुई तो परिजन ने आंखें दान करने की बात कही. जब परिजन को आंखें दान करवाना थी तो पुलिस के सामने आंखें दान करवाना थी.
– पुलिस की जानकारी में होना चाहिए था नेत्रदान
डॉ. भरत वाजपेयी का कहना है आंखें दान करना अच्छी बात है, लेकिन कानूनन पुलिस के पंचनामे में इसका जिक्र होना चाहिए. साथ ही उसका प्रमाण पत्र लगवाना चाहिए था. पुलिस केस में बिना पुलिस के जानकारी के शव का कोई भी अंग दान नहीं किया जा सकता है.

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