नई दिल्ली. हमारा प्यारा भारत देश अंग्रेजों की गुलामी से 15 अगस्त 1947 केा आज़ाद हुआ था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय 15 अगस्त को नहीं बल्कि 26 जनवरी को आजादी चाहते थे. लेकिन कैसे भारत को मिली आजादी की 15 अगस्त की तारीख्ा? इस बारे में इतिहास के तथ्यों के अनुसार जनवरी 1930 के आखिरी रविवार यानी 26 तारीख को आजादी का दिन घोषित करने के प्रस्ताव को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में पारित किया गया था. यही वह शहर था, जहां नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था. अपनी बायोग्राफी में भी नेहरू लिखते हैं कि कैसे 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाने का प्रण लिया गया था. 1930 के बाद हर साल कांग्रेस से जुड़े लोग 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाते थे. बहरहाल, अंग्रेजों ने जब भारत छोड़ने का फैसला किया तब उन्होंने इसके लिए 15 अगस्त 1947 की तारीख चुनी. यह तारीख लॉर्ड माउंटबेटन ने चुनी थी. यह सेकंड वर्ल्ड वॉर में अलाइड फोर्सेस के आगे जापान के घुटने टेक देने का दिन था. भारतीय तो 26 जनवरी 1948 के दिन आजादी चाहते थे लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्त से ज्यादा देर नहीं करना चाहते थे. आखिरकार हमें आजादी अंग्रेजों को गर्व महसूस कराने वाले दिन पर मिली, न कि राष्ट्रवादी भावना के तहत मांगे गए दिन पर.
– 15 अगस्त को अशुभ तिथि मानते थे ज्योतिषी
दूसरी ओर उस समय के विद्वान ज्योतिषियों ने एलान कर दिया था कि 15 अगस्त अशुभ दिन है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 15 अगस्त 1947 को पूर्ण काल सर्पयोग था. इस कारण ज्योतिषियों ने इसे अशुभ तिथि करार दिया था. लेकिन अंग्रेजों को फैसला टल न सका. लिहाजा, यह फैसला किया गया कि जश्न 14 अगस्त आधी रात से शुरू किया जाए. संविधान सभा का स्पेशल सेशन बुलाया गया. सदन की कार्यवाही रात 11 बजे वंदे मातरम्ा् के साथ शुरू हुई. आजादी की लड़ाई में अपनी जान देने वालों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया. महिलाओं के एक समूह ने नेशनल फ्लैग पेश किया.