धुलिया (वाहिद काकर ). 16 नवंबर हस्ती संस्थान के आधार स्तंभ प्रेरणा के स्रोत स्व. हस्तीमलजी भोमराजजी जैन की पावन स्मृतियों को विनम्र श्रद्धांजलि. दोंडाईचा शहर के सुप्रसिद्ध आदर्श सामाजिक व्यक्तित्व की श्रेणी में उद्योगपति स्व. हस्तीमलजी भोमराजजी जैन का नाम बड़े ही आदर से लिया जाता है.
हस्तीमलजी जैन का जन्म ५ अप्रैल १९१८ को राजस्थान स्थित जोधपुर ज़िले के लोहावट गांव में हुआ था. उनकी शिक्षा मात्र तीसरी कक्षा तक हुई थी. लड़कपन की उम्र 14 वर्ष में ही उन्होंने कारोबार की शुरुआत शहादा, जि. नंदुरबार में कपड़ों के व्यवसाय से की. १९५० तक शहादा में रहे. उसके बाद उन्होंने धुलिया ज़िले के दोंडाईचा को अपनी कर्मभूमि बनाया. कृषि उत्पन्न बाजार समिति से कारोबार किया. यहां से उन्होंने व्यापार जगत में एक अलग अपना स्थान बनाया.
व्यापारियों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उन्होंने 1971 में हस्ती बैंक की बुनियाद रखी. उस समय सरकारी बैंकों से कारोबारियों को लोन बड़ी दिक्कतों से मिला करता था. इस ख्याल से उन्होंने हस्ती बैंक बनाने का विचार किया, लेकिन लोगों ने उनका प्रखर विरोध किया. उन्होंने विरोध की परवाह किये बिना बैंक की नींव डाली और प्रगति पथ पर चलते गए.
बैंक का कारोबार करते वक्त उनके सामने एक ही बात थी कि आम आदमी व ग्राहक की सेवा ही परमेश्वर की सेवा, इस विचार से प्रेरित होकर उनके सुपुत्र स्व. कांतिलालजी जैन ने हस्ती बैंक को प्रगति के शिखर तक पहुंचाया. संपूर्ण महाराष्ट्र में आधुनिक कंप्यूटर डिजिटल सामग्रियों से लैस २१ शाखा का परिचालन किया जा रहा है.
हस्ती परिवार ने बैंक के व्यवसाय के साथ ही अपने पारंपरिक कारोबार को भी संभाल रखा, जिसमें उनके दोनों सुपुत्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. किसानों के हितों को देखते हुए उन्होंने खेती पूरक शीत गृह यानी कोल्ड स्टोरेज दोंडाईचा, नंदुरबार, शहादा व जलगांव में शुरुआत की और सफल हुए.
स्व. हस्तीमल जैन ने बैंक का व्यवसाय करते समय सामाजिक दायित्व को भी बखूबी निभाया. सामाजिक नैतिकता के तहत हमें जो समाज देता है, उसका ऋण चुकाने की भवाना से उन्होंने १९७२ व १९८४ के भीषण अकाल के वक्त अनेक गरीब परिवार को 25 पैसे में रोटी सब्जी दान की व्यवस्था की. दाल मिल व शीतगृह में मशीनों के स्थान पर परिसर में बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास से भूमि को समतोल कराया. अनेक बेरोजगारों को रोजगार सृजन आर्थिक सहायता प्रदान किया.
परिवार में बिना भेदभाव से सभी को साथ में लेकर उन्होंने विकास किया. इस विकास की गंगा में सुपुत्र स्व. शांतीलालजी जैन व स्व. कांतिलालजी जैन तथा संपूर्ण परिवार का साथ उन्हें मिला. इसमें मदनलालजी जैन, अशोक जैन, किशोर जैन, कैलास जैन व प्रदीप जैन आदि की अनमोल मेहनत रही.
इसी विश्वास पर पारदर्शक माहौल में के. एस. ग्रुप के बैनर के नीचे हस्ती चैरिटेबल ट्रस्ट व हस्ती पब्लिक स्कूल, हस्ती बहुउद्देशीय सांस्कृतिक भवन-मंगल कार्यालय आदि आज भी प्रगति के पथ पर सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. हस्तीमलजी जैन के विश्वास को बनाए रखा है, हस्तीमल जी यह एक व्यक्ति नही बल्कि एक विचार प्रवाह, वैचारिक मूल्य हैं. उनकी यादों को नम आंखों से अभिवादन. महान कर्तव्यनिष्ट आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और धार्मिक दायित्व से परिपूर्ण पवित्र आत्मा को 16 नवंबर को पावन-पवित्र स्मृतियों को विनम्र अभिवादन.