पुणे (तेज समाचार डेस्क). मौजूदा वक्त में कोरोना की इस लड़ाई में मास्क एक बड़ा हथियार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि मास्क या मुंह पर कपड़ा बांध कर ही घर से बाहर निकलें. लेकिन क्या बाजार में जो मास्क मौजूद है वह वाकई सेफ है? इसका पता लगाने के लिए पुणे के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौरभ नजारकर ने एक ऐसा ऐप बनाया है, जो यह बता सकता है कि पहना हुआ मास्क कितना सेफ है.
– सिर्फ 7 दिन में पुणे के सौरव नजारकर ने बनाया ऐप
यह ऐप वर्तमान समय पर गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है. इसे यूजर्स ने 4.1 की रेटिंग दी है. ‘सुरक्षा कवच’ नाम के इस ऐप को पुणे के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौरव नजारकर ने सिर्फ 1 सप्ताह में तैयार किया है. सौरभ ने बताया कि एप से उन्होंने एन-95 से लेकर 3 प्लाई मास्क और गमछे को भी टेस्ट किया है, जिसकी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कई बार की जा चुकी है. सौरभ ने अपने इस ऐप को रिकमेन्डेशन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को भी भेजा है. सौरभ के मुताबिक, ज्यादातर ब्रांडेड कंपनियों के एन-95 मास्क को इस ऐप ने पास किया है. हालांकि, जिस गमछे की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई उसके बारे में सौरव ने बताया कि अगर उसे सिंगल लेयर में चेहरे पर लपेटा जाए तो वह सेफ नहीं है. वहीं, अगर उसे दो या तीन फोल्ड कर चेहरे पर लपेटा जाए तो वह मास्क की तरह सेफ बन जाता है. इसी तरह नई रुमाल को बिना फोल्ड किए बांधा जाए तो वह सेफ है, लेकिन धोने के बाद यह उतना सुरक्षित नहीं रह जाती है. इस ऐप को इस्तेमाल के दौरान मोबाइल फोन को सही दूरी पर रखना होता है. फूंक मारने के बाद यह साउंड और डेसिबल के आधार पर बताता है कि आपका ऐप कितना सेफ है.
– कैसे काम करता है यह ऐप?
सौरभ ने बताया कि यूजर्स को मास्क पहनकर मोबाइल फोन पर फूंकना है. जब हवा मोबाइल के माइक पर पड़ेगी तब उससे साउंड तैयार होगा. इस साउंड को ऐप डेसिबल मे कन्वर्ट करता है. जब यूजर नॉर्मल मास्क यूज करता है, तब उसमें से ज्यादा मात्रा मे हवा बाहर निकलती है. इस कारण ज्यादा मात्रा मे साउंड और डेसिबल तैयार होता है और इसका मतलब मास्क सुरक्षित नही है. जितनी कम हवा मास्क से बाहर निकलेगी उतनी मास्क की क्वालिटी अच्छी है. ऐसे मास्क ही कोरोनावायरस से बचा सकते हैं.