नई दिल्ली – खान्देश के फ़ैज़पुर मे संपन्न हुआ कॉंग्रेस का 50 वां अधिवेशन इस मायने मे महत्वपूर्ण था की, ग्रामीण इलाक़े मे होनेवाला यह पहला अधिवेशन था। विपरित परिस्थिती, धन की कमी, ब्रिटीश हुकुमरानो और उनके हस्तको΄ के कडे विरोध के बावजूद फ़ैज़पुर के ग्रामीण अधिवेशन को सफल बनाया गया। इस सफलता के पीछे इलाक़े के लोगो΄ के अथक परिश्रम व कडी लगन देखी गयी थी। महात्मा गांधी, अधिवेशन के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना आझाद, डा. राजे΄द्रप्रसाद, खान अब्दुल गफ्फार खान, सरोजिनी नायडू, आचार्य विनोबा भावे, गोविंद वल्लभ पंत, राजगोपालाचारी जैसे राष्ट्रीय नेताओ΄ की उपस्थिती मे इस अधिवेशन को ग्रामीण जनता, कॉंग्रेस को स्वाधीनता आंदोलन से जोडने के लिए संस्मरणीय माना गया।
वर्ष 1935 मे तत्कालीन कॉंग्रेस अध्यक्ष डा. राजेद्र प्रसाद एवं शंकरराव देव पूर्व खानदेश के दौरेपर आए थे। इसी समय फैजपुर मे ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। इस आयोजन मे हजारो लोग सम्मिलित हुए थे। इतनी बडी संख्या मे एकत्रित हुए ग्रामीण लोगो΄ को देखकर डा. राजेद्र प्रसाद प्रभावित व भावविभोर हो गए। फैजपुर की उस स्थिती को देखकर डा. प्रसाद के मन मे फैजपुर परिसर छा गया। इस ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का सफल आयोजन स्वतंत्रता सैनानी धनाजी नाना चौधरी व्दारा किया गया था।
महात्मा गांधी का हमेशा से कहना था की भारत की आत्मा ग्रामो मे बसती है। लखनऊ मे कॉंग्रेस अधिवेशन के दौरान ही महात्मा गांधी ने सुझाव दिया था की कॉंग्रेस का अगला अधिवेशन देहातो मे आयोजित किया जाए। ताकि देश की ग्रामीण जनता, कॉंग्रेस एवं स्वाधीनता आंदोलन से जुड सके। भारत के लगभग 7 लाख गांव मे से पूर्व खानदेश के फ़ैज़पुर को कॉंग्रेस का पहला ग्रामीण अधिवेशन आयोजित करने का सम्मान प्राप्त हुआ। इस परिसर के लोगो΄ का संगठन व 1932 के आंदोलन मे इलाके के लोगो΄ का प्रत्यक्ष योगदान इसका प्रमुख कारण था। ब्रिटीश शासक व उनके हस्तको΄ के दबाव के बावजूद फैजपूर के किसानो΄ ने अधिवेशन को सफल बनाने के लिए अपनी जमीन उपलब्ध करा दी। माधवराव देशपांडे, सेठ राजमल लखीचंद जैसे दान दाताओ΄ व्दारा मुक्त हांथ से सहयोग करते हुए अधिवेशन को यादगार बना दिया।
फैजपुर के ग्रामीण अधिवेशन की तैय्यारिओ΄ के साथ स्वागत समिती का चयन किया गया। स्वागत अध्यक्ष के रूप मे प्रांतीय कॉंग्रेस के अध्यक्ष शंकररावजी देव, सचिव पदपर खिरोदा के धनाजी नाना चौधरी एवं कोषाध्यक्ष पदपर जलगांव के शेठ राजमल लखीचंद को चुना गया। व्यवस्थाओ΄ के लिए रावसाहब पटवर्धन को स्वयंसेवक दल का प्रमुख बनाया गया।
गांधीजी का आग्रह था कि अधिवेशन मे पूरी तरह से ग्रामीण भारत का प्रतिबिंब दिखाई देना चाहिए। धनाजी नाना चौधरी ने इस जिम्मेदारी को उठाने का संकल्प लेते हुए कार्य की शुरूआत की। फैजपुर व आसपास के गांव मे ग्रामीण अधिवेशन का माहौल निर्माण होने लगा। और सेकडो लोग नि:स्वार्थ ही तैय्यारिओ΄ मे जुट गए।
अधिवेशन मे सम्मिलित होनेवाले नेताओ΄ के आवास, सभामंडप, मुख्य प्रवेशव्दार, सभा संबोधन मंच, प्रदर्शनी आदि के निर्माण व सजावट के लिए महात्मा गांधी ने शांति निकेतन के कलाकार नंदलाल बोस पर जिम्मेदार सौपी।
नंदलालजी ने गांधीजी की ग्रामीण भारत की कल्पना के अनुसार बांस, लकडी आदि का प्रयोग कर अकल्पनीय तिलक नगर का निर्माण किया। तिलक नगर के मुख्य प्रवेशव्दार पर महाराष्ट्र की सांस्कृतिक छबि के अनुरूप छत्रपति शिवाजी महाव्दार का निर्माण किया। इस महाव्दार ने हर आने जानेवाले को आकर्षित किया। नंदलालजी ने इस कार्य के लिए मुंबई के प्रसिध्द कलाकार श्री म्हात्रे का सहयोग भी प्राप्त किया।
फैजपुर मे अधिवेशन की तैय्यारीया पूरे चरमपर थी। आचार्य विनोबा भावे, साने गुरूजी एवं श्रीपाद अमृत डांगे, फैजपुर के निकट के कई गावो΄ मे संपर्क के लिए गए। वहां इन लोगो΄ ने महात्मा गांधी व कॉंग्रेस के संदेश को लोगो΄ तक पहुंचाया। सभी गांव वासियो΄ को कॉग्रेस के पहले ग्रामीण अधिवेशन मे सम्मिलित होने का आग्रह भी किया। संत तुकडोजी महाराज व्दारा परिसर मे कीर्तन करते हुए अपने प्रस्तुती करण से अधिवेशन व गांधीजी के संदेशो΄ का प्रसार किया। खान्देश के विभिन्न इलाको΄ मे इन नेताओ΄ व्दारा व्यापक जनसंपर्क करते हुए हर इंसान के मन मे अधिवेशन को लेकर उत्साह निर्माण किया। परिणाम स्वरूप फैजपुर के ग्रामीण अधिवेशन मे कल्पना से परे हजारो΄ की संख्या मे लोग उपस्थित हुए।
वर्ष 1936 मे 27, 28 एवं 29 दिसंबर को होनेवाले इस अधिवेशन के लिए महात्मा गांधी 20 दिसंबर को ही वर्धा से फैजपूर पहुंच गए। उन्होने 22 दिसंबर को धनाजी नाना चौधरी के खिरोदा गांव मे स्थित स्वराज्य आश्रम मे अपनी उपस्थिती दर्ज करायी। आश्रम का कार्य व व्यवस्थापन देखकर गांधीजी अत्याधिक प्रसन्न हुए। अब तक भारत की आत्मा को गांव मे बसने की बात कहनेवाले गांधीजीने आश्रम के कार्यो को देखकर सहजता से कहा की खिरोदा तो मेरे लिए तीर्थ क्षेत्र है। गांधीजी के सुझाव पर फैजपुर के अधिवेशन स्थल पर ग्रामोद्योग प्रदर्शनी लगायी गयी। ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए महात्मा गांधी ने अधिवेशन की तैय्यारिओ΄ पर धनाजी नाना चौधरी का धन्यवाद किया।
अधिवेशन के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू का खंडवा होते हुए सावदा रेलवे स्टेशन पर आगमन हुआ। रेलवे स्टेशनपर पंडित नेहरू का गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हुए 50 बैलगाडिओ΄पर भव्य स्वागत जुलूस निकाला गया। पंडित नेहरू एवं शंकररावजी देव ने बैलगाडीपर खडे होकर फैजपुर तक लोगो΄ का अभिवादन स्वीकार किया। सावदा शहर से स्वागत जुलूस को निकालने के लिए स्थानीय नगराध्यक्ष एवं अंग्रेजी हुकुमरानो ने पहले से ही पाबंदी लगा दी थी। किंतु कॉंग्रेसी कार्यकर्ताओ΄ ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए रातो रात शहर के बाहर से नया रास्ता बनाते हुए जुलूस को फैजपुर तक पहुंचाया।
अधिवेशन के लिए मुंबई के गोकुलदास संस्कृत पाठशाला से विशेष रूप से ध्वज ज्योत को निकालते हुए कॉंग्रेस कार्यकर्ताओ΄ व्दारा पैदल ही उसे फैजपुर तक लाया गया। पूर्व खानदेश की सीमा जलगांव मे पूज्य साने गुरूजी व्दारा इस ध्वजज्योत को थामा और कार्यकर्ताओ΄ के उत्साह के साथ ध्वजज्योत को फैजपुर तक लाया। ग्रामीण अधिवेशन के लिए बनाए गए तिलकनगर मे पंडित नेहरूने इस ज्योत को स्वीकार कर उसे 127 फुट उंचे ध्वजस्तंभपर स्थापित करने के लिए दिया। अधिवेशन का समापन होने तक ध्वजज्योत को निरंतर प्रज्वलित रखा गया।
कॉंग्रेस के पहले ग्रामीण अधिवेशन का शुभारंभ पंडित जवाहरलाल नेहरू के हांथो से ध्वजवंदन फहराकर किया गया। इसी दौरान 127 फुट उंचे ध्वजस्तंभपर ध्वज को बांधनेवाली रस्सी अटक गयी थी। खान्देश के एक 15 वर्षीय युवा किसनसिंह राजपूत ने बडी फुर्ती के साथ ध्वजस्तंभ पर चढकर रस्सी को ठीक कर दिया। खान्देश की संस्कृति व सभ्यता मे स्वाधीनता व देश प्रेम का नजारा देख पंडित नेहरू ने बाद मे स्वयं आगे बढकर अपनी अचकन मे लगा गुलाब का फूल किसनसिंह राजपूत की कमीज पर लगा दिया। युवा किसनसिंह राजपूत धुलिया जिले की शिरपुर तहसील के रहने वाले थे । लोगों में बंदा पाटिल के नाम से प्रख्यात किसन सिंह पाटिल वर्ष 1925 में डाक्टर केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे । बंदा पाटिल के राष्ट्र के प्रति इस आदर को देखते हुए धुलिया में एक शिविर के दौरान आए डाक्टर हेडगेवार ने उनको चाँदी का एक दीपक दे कर सम्मानित भी किया ।
अधिवेशन स्थलपर लाखो लोग इकठ्ठा हुए थे। संत गाडगेबाबा ने स्वयं आगे बढते हुए अधिवेशन स्थल की स्वच्छता का जिम्मा उठा रखा था। फैजपुर व आसपास के गांवो से अधिवेशन मे उपस्थित हुए लोगो΄ के लिए खाना बनाकर लाया जा रहा था। जिसे कस्तुरबा गांधी व जानकी देवी बजाज ने स्वयं अपनी निगरानी मे परोसने की जिम्मेदारी उठा रखी थी। उस समय इंदिरा गांधी एक स्वयं सेवक के रूप मे कार्यरत थी।
इस अधिवेशन की सबसे बडी खासियत यह रह की किसान और खेत मजदूरो΄ के बारे मे कॉंग्रेस के मंच से पहली बार एक प्रस्ताव पारित किया गया। अधिवेशन मे ग्रामीण संकल्पना के साथ विचार विमर्श करते हुए ग्रामोद्योगो΄ को बढावा देने के लिए प्रयास करने का संकल्प भी दिया गया। कॉंग्रेस के अधिवेशन मे घटना समिती के लिए एक कौन्सिल का गठन करने की मांग भी सबसे पहले इसी अधिवेशन मे की गयी।