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महाराष्ट्र : पेरोल और फर्लो पर रिहा किए 665 कैदी फरार!

Tez Samachar by Tez Samachar
November 12, 2018
in Featured, पुणे, प्रदेश
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महाराष्ट्र : पेरोल और फर्लो पर रिहा किए 665 कैदी फरार!

पुणे (तेज समाचार डेस्क).  राज्य के विभिन्न जेलों में सजा काट रहे कैदियों में से पेरोल और अन्य छुट्टियों या फर्लो पर बाहर आए 655 कैदियों के फरार होने की चौंकाने वाली खबर सामने आई हैं. फरार कैदियों में हत्या, बलात्कार जैसे गंभीर मामलों के आरोपी शामिल हैं. इनमें सबसे अधिक संख्या आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों की है. ये सभी 2013 से पहले फरार हुए हैं, लेकिन इन कैदियों को पुलिस द्वारा फिर से पकड़ने में असफल रहने की जानकारी जेल प्रशासन ने दी है.

राज्य में 9 सेंट्रल जेलों, 51 डिस्ट्रिक्ट जेलों सहित कुल 60 जेल हैं. इनमें से 19 ओपन जेल हैं. राज्य की जेलों में कैदियों की क्षमता 24 हजार है. फिलहाल इन जेलों में 35 हजार 723 कैदियों को रखा गया है. इनमें से 75 प्रतिशत कैदी न्यायिक कस्टडी में हैं. जबकि 25 प्रतिशत को सजा सुनाई जा चुकी है. सजा पाए कैदियों को जेल प्रशासन द्वारा फर्लो पर जेल से बाहर आने का मौका देती है. जबकि विभागीय आयुक्त कार्यालय के द्वारा कैदियों की पेरोल मंजूर की जाती है. नये नियमानुसार फर्लो की अवधि 14 दिनों की है जबकि पेरोल की अवधि 21 दिनों की होती है. फर्लो पर बाहर आना कैदियों का अधिकार है. सजा के दौरान कैदियों के व्यवहार और अन्य बातों को ध्यान में रखते हुए उसकी फर्लो के आवेदन को मंजूर किया जाता है. जबकि स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट, जेल प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर विभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा पेरोल दी जाती है.

राज्य में वर्ष में दो से ढाई हजार कैदियों की विभिन्न कारणों से फर्लो और पेरोल की छुट्टियां मंजूर की जाती है. इनमें से अधिकांश कैदी बाहर जाने के बाद खुद वापस आ जाते हैं, लेकिन कुछ कैदी बाहर आने के बाद फरार हो जाते हैं और उसके बाद नजर नहीं आते हैं. राज्य में वर्ष 2013 से पहले तक छुट्टी पर बाहर आए सर्वाधिक कैदी फरार बताए जा रहे हैं. इनमें हत्या, बलात्कार की तरह गंभीर मामलों के आरोपी शामिल हैं. पिछले दो वर्षों में फरार हुए कैदियों के खिलाफ संबंधित पुलिस स्टेशनों में केस दर्ज कर गिरफ्तार करने के मामले कम देखने को मिले हैं. नयी धारा के तहत कॉग्नीजबल पेश छुट्टी पर बाहर आए फरार कैदियों के खिलाफ धारा 124 के अनुसार केस दर्ज किया जाता है. यह केस नॉन कॉग्नीजेबल की तरह होता है. फरार हुए कैदियों को पकड़ने के बाद उनसे पांच सौ रुपए का जुर्माना और अधिक से अधिक छह महीने की सजा दी जाती थी. इसलिए फरार कैदियों के पकड़े जाने के बाद भी उनमें कोई डर नहीं होता था. जेल प्रशासन के ध्यान में यह बात आने के बाद तत्कालीन जेल प्रमुख मीरा बोरवणकर ने धारा 224 के अनुसार फरार कैदियों के खिलाफ संबंधित पुलिस स्टेशनों में केस दर्ज कराने का आदेश दिया था. इस धारा में दर्ज हुई शिकायत कॉग्नीजेबल होती है. इसमें दो वर्ष की सजा का प्रावधान है. इसलिए इस धारा के अनुसार राज्य के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में केस दर्ज किए गए. पिछले तीन वर्षों में पेरोल और फर्लो पर बाहर आए कैदियों में 428 कैदी फरार हो गए. इनमें से 413 कैदियों को पकड़ लिया गया. इनमें से कुछ कैदी कार्रवाई के डर से खुद हाजिर हो गए थे.
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Tags: 665 prisoner not come back in prison in maharashtraFurloPayrollPune NewsPune samachartezsamachar
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