यावल से सुदूर 85 की मी आदिवासी गांव साग्यादेव पहुचा प्रशासन : टिकाकरण तथा सहायता सामग्री का वितरण
जामनेर ( नरेंद्र इंगले ): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वेबसाइट लिन्क्डइन पर रविवार को ‘कोविड-19 के दौर में जीवन’ शीर्षक से एक पोस्ट में लिखी ” जिसमे प्रधानमंत्री ने कोविड से जुड़े खतरे से निपटने के लिए देशवासियो को दिए अपने संदेश मे देश की एकात्मता को बनाए रखने के लिए नस्ल, धर्म, जाति, समुदाय, भाषा, सीमा को लेकर जो विचार व्यक्त किए उसमे भौगोलिकता का जिक्र सीमा तक सीमित रहा न कि देश की अंदरूनी जैविक विविधता पर !
महाराष्ट्र कोविड 19 से सबसे अधिक प्रभावित राज्यो मे पहले नंबर पर है ! सुबे के भंडारा , चंद्रपुर , गडचिरोली , नंदुरबार , पालघर , अमरावती , ऐसे जिले है जो दुर्गम इलाको मे शुमार है ! जलगांव जिले के रावेर लोकसभा क्षेत्र का यावल , रावेर तहसिल इन्ही आदिवासी सुदूर इलाको का एक हिस्सा है ! सातपुड़ा पहाडियो मे बसे इन इलाकों के आदिवासी गांवो तक पहुच पाना प्रशासन को उतना आसान नही जितना की मुंबई , पुणे , नासिक , नागपुर इन महानगरो तक ! कई किस्म के मानवी प्रघातो के बावजूद पावरा आदिवासी जमात के निवास के कारण बचा सातपुड़ा का जंगल प्रकृति की नायाब धरोहर है ! कोरोना के कारण लागु राष्ट्रीय तालाबंदी से यहा का आदिवासी समुदाय तहसिल मुख्यालयो से कट चुका है ! न कोई दिहाड़ी मजदुरी है , न कामकाज है और न हि राशन , घर मे जो कुछ दानापानी जमा कर के रखा था वह अब खत्म हो रहा है ! प्रशासन की ओर से घने जंगलो मे बसे गांवो तक जाने के लिए संसाधन तो है लेकिन सड़के नही !
किनगांव स्वास्थ केंद्र की रिलीफ टीम यावल से 85 की मी दूर सातपुड़ा पहाड़ के उन आखिरी आदिवासी गांव साग्यादेव और माथान पहुची जो महाराष्ट्र की सीमा मे है ! केंद्र प्रमुख डॉ मनीषा महाजन की अगवाई मे आशा वर्कर और निरभ्र निर्भय फाउंडेशन के सदस्य स्वास्थ कर्मीयो के साथ मोटर साइकिल पर राशन , फल सब्जियो की बोरिया लेकर आदिवासीयो के कस्बो तक पहुचे ! आशा दीदियो को अनाज की बोरिया सिर पर ढोकर कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा ! साग्यादेव मे ग्रामीणो का मेडिकल चेकअप किया गया ! बच्चो और बुढो को जरूरी टिके लगवाए ! गर्भवती महिलाओ की विशेष सुविधा के लिए हर संभव सुविधाओ को मुहैय्या करवाया गया ! कोरोना की महामारी ने जैसे हि पाव पसारना शुरू किया वैसे किनगांव केंद्र ने उनके अधीनस्थ उपकेंद्रो के गांवो मे जाकर जनता के बीच कोरोना को लेकर जनजागृती की ! आदिवासी गांवो तक पहुचे वहां लोगो का आत्मबल बढ़ाया ! डॉ महाजन जो कि जुनूनी और कर्तव्य के प्रति कर्मठ अधिकारी के रूप मे पहचानी जाती है उनके इस जज्बे ने सभी सेवाभावीयो को इस काम के लिए प्रेरित किया !
डॉ महाजन कहती है आदिवासी गांवो मे बच्चो के लिंगानुपात मे लड़कियो की संख्या अधिक है इन सभी बच्चो को उनके गांवो के निकट हि अच्छी शिक्षा बेहतर स्वास्थ सुविधा मिले तो यह बच्चे देश का नाम रौशन करने मे सक्षम बन सकते है ! जरूरत है कि बच्चो के अभिभावको को तहसिल स्तर पर शाश्वत रोजगार के अवसर प्राप्त हो ताकि इनपर रोजीरोटी के लिए अन्य राज्यो मे भटकने की नोबत न आए ! कोरोना विपदा के बीच निरभ्र निर्भय ने सामाजिक सहायता के काम मे अग्रणी रहकर अपनी भुमिका का निर्वहन कर रहा है ! सातपुड़ा पहाड़ की उत्तरी छोर से मध्य प्रदेश है ! पहाड़ मे कुल सात टीले है जिसमे कुछ 2 मध्य प्रदेश मे आते है और अन्य 5 महाराष्ट्र मे ! इन्ही टीलो मे पावरा आदिवासियो के दर्जनो गांव है जो आज भी सड़को से जुड़ नही सके है !