नई दिल्ली ( तेज़ समाचार प्रतिनिधि ) – ह्रदय के मर्म को झकझोर देने वाली, ज़मीनी हकीक़त लिए शब्दों के जाल पिरोते हुए बुंदेलखंड की युवा कवियत्री डॉ ऋतु दुबे द्वारा अक्षरों के रूप में सहेजे गए कविता संग्रह ‘तेरी मेरी बातें’ का विमोचन समपन्न हुआ .
गत 15 दिसम्बर को वैशाली गाज़ियाबाद स्थित निस्कोर्ट मीडिया संस्थान में सम्पन्न हुए इस पुस्तक विमोचन समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य समीक्षक अनंत विजय एवं लोकसभा चैनल के अनुराग पुनेठा मौजूद थे.
विमोचन कार्यकम के प्रारंभ में कवियित्री डॉ ऋतु दुबे ने बुन्देलखंड में पलते बढ़ते समय बहुत छोटी सी उम्र में कविता लेखन के संस्मरण को सुनाया. उन्होंने अपनी इस विधा के लिए सारा श्रेय अपनी मां को देते हुए कहा कि मां को बचपन से किताबों के इर्ग गिर्द पा कर अच्छा लगता था. पिताजी का संगीत प्रेम एक जुड़ाव पैदा करता था . बस उसी परिवेश को अपना कर मुझे भी विरासत में लेखनी का मानो वरदान मिल गया हो.
इसी दौरान कवियित्री डॉ ऋतु दुबे ने ‘मां तुम निराली हो’ कविता सुना कर माहौल को भावनात्मक बना दिया!
कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए लोकसभा चैनल के अनुराग पुनेठा ने कहा कि कविताओं में परिपक्वता के अभाव से जूझता साहित्य जगत एक नई कवयित्री से इतनी परिपक्व कविताओं की उम्मीद नही कर रहा था!
वहीं साहित्य समीक्षक अनंत विजय ने फ़ेसबुकिया कविओं की दिशा हीनता और गिरते स्तर पर चर्चा के साथ ही “तेरी मेरी बातें” की कुछ कविताओं को प्रस्तुत करते हुए कवियत्री की गहरी सोच, सटीक लेखन एवं ह्रदय स्पर्शिता पर संतोष ज़ाहिर किया. उन्होंने कहा कि डॉ ऋतु की रचनाओं को पढ़ कर उन्हें एक संतोष मिला है ,उन्होंने ’क्योंकि बेटियां तो सांझी हैं’ कविता की सराहना करते हुए आने वाले समय मे कवियित्री के अलग रचने के अंदाज़ को यूं ही बरकरार रखनें की बात कही!
निस्कोर्ट के डायरेक्टर फादर जोस ने भी कविता संग्रह के नाम को बहुत दिलचस्प बताया!
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने कविता की एक नई परिभाषा की जरूरत पर जोर दिया..समाज मे महिलाओं की रचनात्मकता को कुचलने की मानसिकता पर प्रकाश डाला और उनके बढ़ते हुए रचनात्मक योगदान को सराहा ! तेरी मेरी बातें कविता संग्रह की कविता ‘नया पैबंद’को सराहा और उसकी रचना धर्मिता की व्याख्या की ।
कार्यक्रम के अंत में डॉ ऋतु दुबे ने अतिथियों का धन्यवाद दिया और वरिष्ठों के मार्गदर्शन और आशीर्वाद की कामना की!
कार्यक्रम में कैलाश सत्यार्थी फॉउंडेशन के अनिल पांडेय, ऑल इंडिया रेडियो के वीरेन गोहिल, दूरदर्शन के ख़ालिद आजमी , संजीव रजनी नागपाल, डॉ ओझा जी,सूर्य प्रकाश ,माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय की मीता उज्जैन,डॉ शरद गोयल,अमिया मोहन,कमलेश सिंह , राम प्रताप, हिन्दयुग्म प्रकाशन के शैलेश रघुवंशी ,फादर जोस, आई पी विश्वविद्यालय की डॉ रजनी राठी, प्रवक्ता डॉट कॉम समाचार पोर्टल के संजीव सिन्हा ,ज़ी टीवी के कमलेश सिंह , लोक कला अकादमी के हिमांशु डबराल आदि अनेक पत्रकार , शिक्षा विद, साहित्यकार और कवि मौजूद थे .
कार्यक्रम का संचालन डॉ अभिलाषा द्विवेदी ने किया. डॉ अभिलाषा द्विवेदी ने कविता संग्रह ‘तेरी मेरी बातें’ की बूढ़े अमरुद के पेड़ कविता का उल्लेख करते हुए कवियत्री के भावों को यथार्थ के रूप में प्रस्तुत किया, उन्होंने कहा की किस तरह से यह कविता खुद की एक कहानी लगने लगती है, कविता में प्रस्तुत भाव कि ” मैं और भैया उसी बूढ़े अमरुद के पेड़ के नीचे बैठ कर भाई के साथ क्या-क्या न बनाया हमने” को प्रस्तुत करते हुए उपस्थितों की जिज्ञासा तीव्र कर दी.
प्रोफेसर साबू कोशी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए खुशनुमा उपस्थिति से कार्यक्रम को यादगार बताया.