सुदर्शन चक्रधर महाराष्ट्र के मराठी दैनिक देशोंनती व हिंदी दैनिक राष्ट्र प्रकाश के यूनिट हेड, कार्यकारी सम्पादक हैं. हाल ही में उन्हें जीवन साधना गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अपने बेबाक लेखन से सत्ता व विपक्ष के गलियारों में हलचल मचा देने वाले सुदर्शन चक्रधर अपनी सटीक बात के लिए पहचाने जाते हैं. उनके फेसबुक पेज से साभार !
अगर चौकीदार ही किसी चोर के साथ कहीं फोटो खिंचवाते मिल जाए, और कालांतर में वह चोर ही किसी बैंक डकैती का नामजद आरोपी हो जाए, तो शक की उंगलियां निस्संदेह ‘चौकीदार’ पर ही उठेंगी! पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के खजाने से 11,356 करोड़ रुपए लेकर नीरव मोदी नामक डकैत विदेश भाग गया,… और हमारा चौकीदार सोया रहा! आखिर क्यों? चौकीदार, तुम कहां हो? कुछ तो बोलो! या तो तुमने ‘चौकीदारी’ ही छोड़ देनी चाहिए, या फिर उस डकैत को पकड़ लेना चाहिए. क्योंकि यह डकैती तुम्हारी नाक के नीचे ही हुई है. अब तुम्हारे संगी-साथी कह रहे हैं कि यह बैंक डकैती पिछले चौकीदारों के समय में हुई. चलो यह भी मान लिया जाए, तो तब भी यह नीरव मोदी नामक महाडकैत, भागा तो तुम्हारी ही ‘ड्यूटी’ के दौरान! जिस तरह ललित मोदी और विजय माल्या तुम्हारी आंखों में धूल झोंककर भागे, उसी तरह ये भी भाग गया! ऐसे में लगता है कि तुम ‘चौकीदारी’ करने के लायक नहीं हो! कम से कम अब तो खुद को ‘चौकीदार’ बोलना छोड़ दो!
इस पूरे खेल का निचोड़ यही है कि कांग्रेस के राज में देश को मनचाहे तरीके से लूटो, जम कर घोटाले करो …और भाजपा के राज में देश छोड़कर भाग जाओ! कहीं कोई रोक-टोक नहीं, कोई बैरीकेड नहीं! अगर आप सत्ता या राजनीति से जुड़े उद्योगपति हैं, तो किसी भी बैंक का हजारों करोड़ों रुपया खा-पचा और डकार कर विदेश भाग सकते हो! अगर आप घोटालेबाज राजनेता हैं, तो लालू यादव या छगन भुजबल की तरह जेल यात्रा कर सकते हो! अथवा बैंक डिफॉल्टर हो, तो रणजीत देशमुख की तरह अपनी संपत्ति जप्त करवा सकते हो! मगर यदि आप कर्जदार किसान हैं, तो आप न विदेश भाग सकते हो, न जेल जा सकते हो! आप सिर्फ मर सकते हो! देश के हजारों किसानों ने सिर्फ इसलिए अपनी जान दे दी, क्योंकि वे नीरव मोदी या विजय माल्या नहीं थे. वे प्रधानमंत्री के साथ न फोटो खिंचवा सकते थे, न उनके साथ दावोस (विदेश) जा सकते थे. कमाल है ये तो! जो 11,356 करोड़ का डुबाऊ कर्ज़दार हो, वह प्रधानमंत्री के साथ विदेश घूम सकता है,… जबकि मात्र 2-4 लाख का कर्जदार किसान फांसी पर लटक जाता है, या जहर गटक लेता है! यह तस्वीर बदलनी ही चाहिए.
यह कैसा सिस्टम है कि देश के लाखों-करोड़ों रुपए डकारने वाले ‘डकैतों’ को विदेश भागने का मौका दे दिया जाता है,… और मामूली कर्जदार किसानों को मरने के लिए मजबूर किया जाता है. इस पर हमारे चौकीदार के ‘भक्तगण’ कह सकते हैं कि जब नीरव मोदी विदेश भाग रहा था तब हमारा चौकीदार भी विदेश दौरे में मगन था. काश! कि इस चौकीदार को भारत में रहने की,… देश की दशा -दिशा देखने की फुरसत मिल जाती,… तो हमें देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले में दुनिया के सामने लज्जित होने की नौबत नहीं आती! अब ‘चौकीदार-चौकड़ी’ कह रही है कि हमने उस बैंक डकैत के ठिकानों से 6-7 हजार करोड़ के हीरे-जवाहरात जप्त कर लिए हैं. लेकिन मित्रों,… इसके लिए ज्यादा खुशी मनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि किसी भी हीरे की कीमत सिर्फ ‘शोरूम’ तक ही सीमित होती है. उसे बेचने जाओ तो हजार – दो हजार रुपये में भी लाखों का हीरा कोई अन्य हीरा व्यापारी नहीं खरीदता! आखिर देश को क्यों उल्लू बना रहे साहब!
यकीन मानिए, देश के बैंकिंग सिस्टम में थोड़ी बहुत नहीं, बहुत बड़ी गड़बड़ है. मामूली-सा लोन पाने के लिए आम आदमी की एड़ियां घिस जाती हैं …और माल्या व नीरव जैसे बड़े-बड़े ‘डकैतों’ को सरकार के एक इशारे पर हजारों करोड़ों रुपयों का लोन आसानी से मिल जाता है. यह सौ फ़ीसदी सच है कि पिछले कुछ वर्षों में देश के सार्वजनिक (सरकारी) बैंक पूरी तरह अरबपतियों की चरागाह बन चुके हैं. गरीबों, किसानों को बजट में किए गए प्रावधानों के अनुसार लोन मिलता है, जबकि अरबपतियों को कर्णधारों के इशारे पर ही सरकारी खजाना लुटा दिया जाता है. अब कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर राजनीतिक आरोप लगा रहे हैं, मगर जनता के धन की हो चुकी ‘डकैती’ पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है. पहले 9000 करोड़ …और अब 11,356 करोड़! …आगे ये आंकड़े और बढ़ते जाएंगे,… लेकिन कोई नहीं बताएगा कि यह ‘जन-धन’ कब वापस आएगा? यही इस देश की विडंबना है. जय हो चौकीदार की! – सुदर्शन चक्रधर 9689926102