पुणे (तेज समाचार प्रतिनिधि) हर पुरानी चीज फेकने लायक नहीं होती, बल्कि वह सबसे अहम होती है, इसका सबूत आयुर्वेद ने दिया है. आयुर्वेद की इलाज पद्धति मरीज की बीमारी को स्थाई स्वरूप से मिटाने की क्षमता रखती है. इसलिये सामान्य मरीज तक आयुर्वेद का प्रसार होना जरूरी है. यह मत महाराष्ट्र के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट ने व्यक्त किया.
कोल्हापुर स्थित श्री सद्गुरु विश्वनाथ महाराज रुकडीकर ट्रस्ट कि ओर से बालगंधर्व रंगमंदिर में आयुर्वेर्दीय सिद्धांत की मदद से चिकित्सक प्रणाली कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर श्री विश्व व्याख्यानमाला का उद्घाटन पालकमंत्री गिरीश बापट के हाथों किया गया. इस समय वे बोल रहें थे.
बापट ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय संस्कृति का इतिहास देनेवाली परंपरा है, लेकिन आधुनिक मेडिसीन और पुराने कानून के कारण इसे नजरंदाज कर दिया गया था. लेकिन अब हमारी सरकार इस पर ध्यान दे रही है. उसके लिए कानून में भी बदलाव किया जाएगा. श्री धूतपापेश्वर लि. के रणजीत पुराणिक ने कहा कि आजादी के बाद स्वदेशी का नारा गूंज उठा है. लेकिन, आज भी आयुर्वेद को प्रतिबंधात्मक उपचार प्रणाली कहा जाता है. उसको प्रथम स्थान पर लाने और दर्जात्मक दवाओं का निर्माण करना हमारा दायित्व है.