सुदर्शन चक्रधर महाराष्ट्र के मराठी दैनिक देशोंनती व हिंदी दैनिक राष्ट्र प्रकाश के यूनिट हेड, कार्यकारी सम्पादक हैं. हाल ही में उन्हें जीवन साधना गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अपने बेबाक लेखन से सत्ता व विपक्ष के गलियारों में हलचल मचा देने वाले सुदर्शन चक्रधर अपनी सटीक बात के लिए पहचाने जाते हैं. उनके फेसबुक पेज से साभार !
रेलगाड़ियों से सफर करने वाले यात्रियों ने अक्सर रेलमार्ग के आसपास की दीवारों पर डॉक्टर लाल के ‘शादी से पहले शादी के बाद’ वाले विज्ञापन (वॉल पेंटस) जरूर पढ़े होंगे. धीरे-धीरे डॉ ‘लालों’ का ऐसा कमाल (प्रचार-प्रसार) कम होता गया और उनका स्थान ‘डॉ भगवा’ लेने लगे! ये ‘डॉ भगवा’ अब देश के हर प्रदेश में पाए जाने लगे हैं. कम से कम 21 राज्यों में इनका वर्चस्व बना हुआ है. ये लोग ‘चुनाव से पहले और चुनाव के बाद’ कुछ भी कर सकते हैं! करवा सकते हैं! बिहार के अररिया में हुआ ‘नफरती नारों का कांड’ इन्हीं के ‘बोलवचनों’ की एक बानगी है.
इस सप्ताह लोकसभा की तीन सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम आए. तीनों में भगवा दल बुरी तरह पिट गया. हार गया. अररिया, गोरखपुर और फूलपुर की हार से ‘नागपुर’ (संघ) भी चिंतित हो गया. तभी बिहार के एक ‘डॉ भगवा’ गिरिराज सिंह का विवादास्पद बयान आया – “अररिया अब आतंकवादियों का गढ़ बन जाएगा. यह बिहार ही नहीं, देश के लिए भी खतरा होगा!” इसी दिन एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें लालू की पार्टी राजद से जीते अररिया के सांसद सरफराज आलम के कुछ समर्थक जश्न के जोश में देशद्रोही नारे लगाते देखे-सुने गए. ये लड़के ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे…’ जैसे खतरनाक नारे लगा रहे थे! स्वाभाविक है कि इस पर बवाल मचना था, मचा भी. सियासत होनी थी, हुई भी.
यहां दोनों पक्षों से उठने वाले सवाल पेश है. पहला पक्ष पूछता है – “जीत के जश्न में देशद्रोही नारे क्यों? पाकिस्तान का जयकारा क्यों? भारत को गाली और धमकी क्यों? ये खाते हिंदुस्तान का है और गाते क्यों पाकिस्तान का है?” दूसरे पक्ष का आरोप है – “यह वीडियो एक षड्यंत्र का हिस्सा है. भगवा दल के आईटी सेल का प्रोडक्ट है. इस वीडियो की फोरेंसिक जांच होनी चाहिए.” दोनों पक्षों की बात अपनी-अपनी जगह सही है. मगर हम तीसरा पक्ष (पत्रकार) हैं. हम पूछना चाहते हैं कि ऐसे वीडियो बनाने और उसे फैलाने की नौबत और जरूरत क्यों आई? चालाकी किसी की भी हो, किंतु यह एक बहुत गंभीर मसला है. इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. मगर दुर्भाग्य से हो रही है. जबकि सियासत की चिन्गारी जलाने के लिए देश से गद्दारी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. अपनी ‘राजनीतिक दुकान’ चलाने के लिए ये लोग देश को दांव पर लगा रहे हैं! अरे भाई,… देश रहेगा, तो दल रहेगा. यदि देश ही टूट जाएगा, बिखर जाएगा, तो दल को कौन चाटेगा?
क्या भाजपाइयों को इस कांड का पूर्वाभास था? क्योंकि चुनाव से पहले ही एक और ‘डॉ भगवा’ (भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय) ने कहा था – “अगर अररिया में बीजेपी की हार हुई, तो यहां आईएसआईएस का अड्डा बनेगा और जीत हुई तो यह इलाका देशभक्तों का गढ़ बनेगा!” मजा यह कि जो सरफराज आलम यहां से राजद की ‘लालटेन’ पर चुनाव जीते हैं, वो मात्र 25 दिन पहले तक भाजपा की सत्ता-साथी जदयू (नीतीश कुमार) के विधायक थे. तो क्या हम ये मान लें कि सरफराज के वे समर्थक, जो वीडियो में देशद्रोही नारे लगा रहे हैं, 25 दिन पहले तक (यानी चुनाव से पहले तक) तो ‘देशभक्त’ थे मगर चुनाव के बाद एकाएक ‘देशद्रोही’ हो गए? मित्रों,… बात कुछ हजम नहीं हो रही है. फिर भी वीडियो में दिख रहे सुल्तान आजमी और शहजाद नामक युवकों की गिरफ्तारी हुई. संपूर्ण जांच के बाद ही इस प्रकरण की सच्चाई सामने आएगी, लेकिन हमारा यही कहना है कि “ना अब घर-घर मोदी चाहिए, ना घर-घर से अफजल निकलना चाहिए! अगर हिंदुस्तान बचाना है, तो हर घर से ‘इन्सान’ निकलना चाहिए!
– सुदर्शन चक्रधर 96899 26102
