दिल्ली (तेज समाचार प्रतिनिधि). 11 मार्च को चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद यूपी का मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बात को लेकर पूरे देश में चर्चाओं का बाजार गर्म था. टीवी मीडिया और प्रिंट मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक सभी ने अपने-अपने तरीके से कई लोगों को मुख्यमंत्री की रेस में लाकर खड़ा कर दिया था. जबकि सभी जानते है कि भाजपा में पदों का चयन कमेटी करती है, लेकिन फिर अपने-अपने तरीके से सभी कयास लगा रहे थे. लेकिन शनिवार की रात को प्रधानमंत्री मोदी ने सभी कयासों पर विराम लगाते हुए योगी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने पर मुहर लगा दी. रविवार को योगी ने अपने दो सहयोगियों केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा जिन्हें मीडिया ने सीएम की रेस में शामिल किया था, के साथ 47 मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ शपथ ले ली है. भाजपा के लिए यह मौका बेहद उत्साहवर्धक रहा.
राज्य में पार्टी 14 सालों के वनवास के बाद सत्ता में लौटी है. भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर काफी मंथन चला, आखिरकार पार्टी ने राज्य की कमान हिंदुत्व छवि के प्रतीक योगी आदित्यनाथ को सौंपी. उम्मीद जताई जा रही है कि मोदी और योगी की यह जोड़ी राज्य को विकास के नए शिखर तक ले जाएगी.
– पहले ही हो चुका था संत समाज का निर्णय
योगी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपने का फैसला गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ में बहुत पहले हो चुका था. इस पर आरएसएस और संत समाज ने अपनी मुहर लगाई थी. लेकिन चुनाव बगैर मुख्यमंत्री चेहरे के लड़ा गया था, लिहाजा इस बात का खुलासा नहीं किया गया. शीर्ष नेतृत्व ने योगी को सामने लाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. दिल्ली में मोदी और यूपी में योगी राज आ गया. योगी को राज्य की सत्ता सौंप पीएम मोदी और शाह के आलावा आरएसएस ने अपना मंतव्य साफ कर दिया है. राज्य में पार्टी निगाहें 2019 में होने वाले लोकसभा मिशन पर टिकी हैं.
– सभी धर्मों के चहेते है योगी
योगी को काम का पूरा वक्त दिए बगैर सिर्फ उनकी उग्र हिंदुत्ववादी छवि पर सवाल उठाना नाइंसाफी होगी. मोदी ने भी जब प्रधानमंत्री का दायित्व संभाला था, तो उस दौरान भी यह बात उठी थी. लेकिन आज स्थितियां कितनी बदली गई हैं. पूरे देश में जैसे मोदी की आंधी चल रही है. कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो चला है. भाजपा ने पूर्वोत्तर जैसे राज्यों में भी अपना पांव जमा लिया है. देश की 58 फीसदी आबादी पर भाजपा का कब्जा हो चला है. दलित, मुस्लिम वर्गों में भी भाजपा, मोदी और उसकी नीतियों का जलवा चढ़कर बोल रहा है. अगर ऐसा न होता तो राज्य के दलित और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भाजपा को बड़ी जीत नहीं मिलती. प्रतिपक्ष को दिमाग खोलकर यह बात समझनी चाहिए. वक्त के साथ जो बदलना जानता है, वही असली खिलाड़ी होता है.
– योगी के लिए है परीक्षा की घड़ी
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. यहां की चुनौतियां भी बड़ी हैं, जिन्हें संभालना योगी की चुनौती होगी. विकास, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के साथ किसानों, युवाओं की समस्याएं के साथ रोजगार बड़ी चुनौती होगी साथ ही पूर्व सरकार की चालू योजनाओं को मंजिल तक पहुंचाना भी अहम होगा. चुनाव के दौरान पार्टी की तरफ से किए लोकलुभावन नारों और घोषणाओं पर अमल करना और उसे लागू करना भी एक नया चैलेंज होगा. 14 साल के वनवास के बाद भाजपा राज्य की सत्ता में लौटी है. भाजपा और पीएम मोदी में सभी जाति-धर्म के लोगों ने विश्वास जताया है. लिहाजा, उनके विश्वास की रक्षा करना भी उनकी जिम्मेदारी होगी.
– ये होंगी चुनौतियां
किसानों की कर्जमाफी, अपराध नियंत्रण और सरकारी नियुक्तियों में पारदर्शिता, युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना जैसी समस्याएं सामने होंगी. इसके अलावा भाजपा को बड़ी जीत दिलाने वाले ‘पोलराइजेशन’ का भी ख्याल रखना होगा. आमतौर यह माना जा रहा था कि भाजपा योगी आदित्यनाथ पर दांव नहीं खेलेगी, क्योंकि यूपी प्रशासनिक लिहाज से बड़ा राज्य है. राज्य की सत्ता संचालन के लिए किसी अनुभवी मुख्यमंत्री का नाम प्रस्तावित किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पार्टी ने राजनाथ सिंह पर दांव लगाने के बजाय मंथन के बाद योगी पर पांसा खेला.
– नरेन्द्र मोदी के चहेतों में से एक है योगी
योगी पीएम मोदी के करीबी और चहेते माने जाते हैं. दूसरी बात, लव-जेहाद की बात उठाकर उन्होंने पार्टी को अलग पहचान दिलाई. पूर्वांचल में उनकी हिंदुत्व वाहिनी सेना अलग पहचान रखती है. दक्षिण भारत में शिवसेना हिंदुत्व का झंडा बुलंद करती है. कभी बालासाहब ठाकरे को ‘हिंदुत्व का शेर’ के नाम से जाना जाता था. वही स्थिति उत्तर भारत में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदुत्व वाहिनी सेना का है.
– शेरों के साथ खेलते है योगी
योगी भी शेर के साथ खेलते दिखते हैं. हालांकि पार्टी में जिन लोगों को सत्ता की कामान सौंपी गई है, वे सभी नए चेहरे हैं. राज्य संचालन का अनुभव नहीं है. दूसरी बात, राज्य विधानमंडल दल की कई के पास सदस्यता नहीं है. छह माह में उन्हें राज्य विधानमंडल दल की सदस्यता लेनी होगी. योगी और केशव प्रसाद मौर्य को संसद की सदस्यता से त्यागपत्र देना होगा. योगी गोरखपुर से और मौर्य फूलपुर संसदीय सीट से सांसद हैं, जबकि दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर हैं.
राज्य की चुनौतियों और वर्ष 2019 को देखते हुए पार्टी ने जातियों का भी विशेष ख्याल रखा है. योगी मंत्रिमंडल में सभी जातियों को तवज्जो दी गई है. योगी आदित्यनाथ मूलत: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से आते हैं. उनका असली नाम अजय सिंह नेगी है, लेकिन अब उनकी पहचान गोरखपुर से है. हिंदू विचारधारा की जो छवि नागपुर की है, अब वही यूपी में गोरखपुर की उभर रही है. गोरखपुर मिनी नागपुर बनता दिख रहा है.
– पूर्वांचल बनेगा पावर सेंटर
यूपी का पूर्वाचल अब देश की राजनीति का ‘पावर सेंटर’ बनता दिख रहा है. यह हिंदुत्व के गढ़ के रूप में भी उभर रहा है. योगी उग्र हिंदुत्व छवि के ब्रांड अंबेसडर के रूप में उभरे हैं. गुजरात में होने वाले चुनाव के लिए भी यह स्थिति सुखद होगी. योगी गोरखपुर से पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं. योगी को सामने रख जहां हिंदुत्व कार्ड खेला गया है, वहीं क्षत्रिय बिरादरी को भी रिझाने का पांसा डाला गया है. केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी से आते हैं. राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा का जीत दिलाने में पिछड़ी जातियों में खास भूमिका निभाई है.
वहीं दिनेश शर्मा ब्राह्मण जाति से हैं. लिहाजा, डिप्टी सीएम बनाकर 11 फीसदी ब्राह्मण को साधने की कोशिश की गई है. योगी मंत्रिमंडल में सभी जातियों और समुदाय के साथ क्षेत्रों को अहमियत दी गई है. पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी और बुंदेलखंड को तवज्जों दी गई है. राजनीतिक लिहाज से पूर्वांचल भाजपा के लिए अहम है.
– खत्म हुआ जाति-धर्म का भेदभाव
यहां की 141 सीटों में से 111 पर भाजपा का परचम लहराया. जबकि एसपी 14 और बीएसपी 12 सीट सिर्फ जीतने में कामयाब रहीं. कांग्रेस पूरे पूर्वांचल में केवल कुशीनगर की सीट जीत पाई. पूर्वांचल के 25 जिलों में 11 सीटें भाजपा की झोली में गई हैं. 15 साल बाद पूर्वांचल का कोई व्यक्ति मुख्मंत्री की कुर्सी तक पहुंचा है. वर्ष 2002 में राजनाथ सिंह पूर्वाचल से अंतिम मुख्यमंत्री माने जाते थे. ऐसी स्थिति में योगी का उभरना क्षेत्र के लिए सुखद है. योगी को काम करने का पूरा मौका मिलना चाहिए. जिम्मेदारी और दायित्व मिलने के बाद व्यक्ति अनुभवी हो जाता है. राज्य में जाति-धर्म का तिलस्म टूटा है. एक नई विचारधारा का प्रतिस्फुटन हुआ है. उम्मीद की जानी चाहिए कि योगी सबको साथ लेकर चलेंगे और भाजपा सबका विकास करेगी.