जामनेर (तेज समाचार प्रतिनिधि):28 अप्रैल से 1 मई तक इन चार दिनो के सरकारी अवकाश के कारण बैंकिंग सेक्टर बंद है वहि जनसेवा मे सार्वजनीक जगहो पर लगवाये गये एटीएम भी कैश के अभाव से शट डाउन किये जा चुके है , जिसके चलते आर्थिक अनूबंध से कट चुके आम लोगो को कैश की भारी किल्लत से जुझना पड़ रहा है . शादी सिझन मे यातायात से लेकर खरीदारी तथा अन्य खुदरे व्यवहारो के लिये लोग कैश का हि इस्तेमाल करते है भले हि डीजीटल ट्रांजेकशन की तमाम सुविधाए स्मार्ट फोन के ऐपस पर उपलब्ध हो .
इन सुविधाओ को लेकर तकनीकि साक्षरता के अभाव और विश्वसनीयता पर उठते सवालो के चलते ग्रामीनो मे नगदी लेनदेन अधिक फायदेमंद और सुविधापूर्ण मानी गयी है , जानकारो के मुताबीक शहर मे करीब 10 एटीएम है जिन्हे 27 अप्रैल को कैश से लोड किया गया फीर सिमीत कैश के कारण यह सभी मशीने खाली हो चुकि है , हालात ऐसे है की 24 घंटे सेवा की हामी भरते इन मशीनो के शटर्स कल 28 अप्रैल से हि डाउन किये जा चुके है . नगदी कि तलाश मे लोग जलगाव , भुसावल समेत आसपास के शहरो कि ओर कुच करने को मजबुर है . सिनीयर सिटीजन्स और महिला उपभोक्ता इसी उम्मीद के सहारे बंद पडे एटीम के इर्द-गिर्द चक्कर कांट रहे है कि शायद बैंक प्रबंधन मशीनो के ड्रावर्स कैश से लोड कर देंगे और उनकी कैश कि समस्या सुलझेंगी . कैश कि कील्लत का सबसे ज्यादा असर घर का बजट संभालती महिलाओ पर दिखायी पड़ रहा है .
बैंक खुलने मे अभी 2 दिनो का अवकाश है यानी 2 मई को बैंकिंग व्यवस्था सुचारु होगी इस बीच पर्याप्त पैसो के अभाव से आने वाला हर क्षण प्रत्येक नागरीक के लिये किसी अघोषित आपात से कम नहि है , अभी तो नोटबंदी के दौरान पनपे तत्कालीन परीस्थिती की वर्तमान स्थिती तुलना करते हुये जनता मे बैंको के अवकाश कालीन लापरवाहि पर कडे शब्दो मे प्रहार किए जा रहे है , जो स्वाभावीक रुप से सोशल मिडीया पर आर्थिक विषयो को लेकर चल रहे निरंतर तार्कीक प्रबोधन से उपजे पहलूओ का सार कहा जा सकता है . यह भी बताया जा रहा है की इस कृत्रिम नगदी संकट का लाभ उठाते हुये छोटेमोटे साहूकारो ने जरुरतमंदो को ब्याज से नगदी बाँटने के लिये दूकाने खोल रखी है . कैश के अभाव का असर मार्केट पर दिखने लगा है . इस प्रासंगिक आपत्ती से निपटने के लिये संबंधित बैंको द्वारा तत्काल एटीएम मशीनो मे नगदी मुहैय्या कराने कि मांग लोगो मे कि जा रहि है वहि जनप्रतिनीधीयो को भी मामले मे ध्यानाकर्षण करने कि अपेक्षा व्यक्त कि जा रहि है .