सुदर्शन चक्रधर महाराष्ट्र के मराठी दैनिक देशोंनती व हिंदी दैनिक राष्ट्र प्रकाश के यूनिट हेड, कार्यकारी सम्पादक हैं. हाल ही में उन्हें जीवन साधना गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अपने बेबाक लेखन से सत्ता व विपक्ष के गलियारों में हलचल मचा देने वाले सुदर्शन चक्रधर अपनी सटीक बात के लिए पहचाने जाते हैं. उनके फेसबुक पेज से साभार !
एक सरकार, मोदी की/ दो शब्द, हमारे हैं।
तीन नेता, शासक हैं/ भाजपा के, दुलारे हैं।
नरेंद्र मोदी, पहले हैं/ नहले पर, दहले हैं!
‘दो नम्बरी’, अमित शाह/ सब कहते, हैं तानाशाह!
‘थर्ड केटली’, अरुण जेटली/ दरअसल हैं, ‘अर्थ-कबाड़ी’!
कर दिया, देश बर्बाद/ इनके कारण, बहुत विवाद।
बीत गए, चार साल/ बहुत हुए, बुरे हाल।
इंतजार था, नहीं आये/ अच्छे दिन, कहां गए?
बहुत फेंकू, बातें कहीं/ पन्द्रह लाख, मिले नहीं।
आश्वासन नहीं, चुनावी जुमला/ विपक्षी दल, करे हमला।
1460 दिन, पूरे हुए/ फिर भी, हम अधूरे।
कहां निकली, ब्लैक मनी? काला धन, हुआ गुलाबी।
नोटबंदी से, संकट नकदी/ बैंकिंग प्रणाली, हुई मवाली!
क्या हुआ, तेरा वादा? वो कसम, वो इरादा!
पहला नारा, लगा प्यारा/ ‘सबका साथ, सबका विकास’।
जनता पूछे, किसका विकास? हो गया, सब सत्यानाश!
अच्छे दिन, हुए हवा/ बिगड़ी सेहत, नहीं दवा।
हालत खस्ता, बिगड़ती अर्थव्यवस्था/ बांधो बोरिया, बिस्तर-बस्ता!
नया नारा, लगे झकास/ ‘साफ नीयत, सही विकास’।
पेट्रोल- डीजल, जनता निर्जल/ मचा हुआ, है हाहाकार।
बहुत हुई, महंगाई पार/ अब बदलो, मोदी सरकार!
भड़का ईंधन, लगी आग/ भाग -भाग, सरकार भाग!
जेब हमारी, लुटे आप/ प्रत्येक लीटर, रुपए पचास!
सच मानो, धमाका है/ ये सरकारी डाका है!
चार साल, जीते राज्य/ मगर तुमने, हारी साख।
दिल्ली हारे, बिहार हारे/ पंजाब हारे, कर्नाटक हारे।
बाकी जगह, जोड़ जुगाड़/ विपक्षी दल, हुए बेहाल।
जनतंत्र कुचला, धनतंत्र मचला/ हुआ लोकतंत्र, मतलबी मंत्र!
विपक्षी एकता, की शक्ति/ क्या दिलाएगी, तुमसे मुक्ति?
मोदी बोले – ‘देश बदला’/ दिखता नहीं, क्या बदला?
बन गया, चाय वाला/ प्रधान सेवक, कुर्सी वाला।
आप मस्त, बाकी पस्त/ सब कुछ, अस्त-व्यस्त।
जीएसटी लाए, सभी दुखी/ नोटबंदी करी, मुसीबत बढ़ी।
स्ट्राइक सर्जिकल, पाकिस्तान निर्बल/ भारत भारी,आतंकवाद जारी।
सैनिक मरे, नागरिक मरे/ मोदी-मोदी, हरे-हरे!
गंगा सफाई, कहां हुई? राम मंदिर, कहां बना?
धारा 370, हटी क्या? कश्मीर समस्या, सुलझी क्या?
किसान खुदकुशी, रुकी क्या? आय दुगनी, हुई क्या?
समर्थन मूल्य, मिला क्या? फसल बीमा, दिया क्या?
महंगाई- बेरोजगारी, घटी क्या? अच्छे दिन, आए क्या?
शौचालय बनाए, पानी नहीं/ बिजली पहुंचाई, करंट नहीं।
डिजिटल इंडिया, बना नहीं/ स्किल इंडिया, हुआ नहीं।
न्यू इंडिया, बना रहे/ जनता को, बरगला रहे।
सब झूठ, केवल लूट/ चरी कोंपलें, शेष ठूंठ!
उज्जवल भविष्य, फेल हुआ/ जीवन जीना, खेल हुआ!
राहुल वेमुला, होस्टल सुसाइड/ गाय पकड़ी, दलित पिटाई।
गौमांस मिला, अखलाक मरा/ गौरक्षक बेकाबू, क्या मिला?
गोरखपुर अस्पताल, बच्चे बेहाल/ पुल गिरा, ट्रेनें गिरीं।
रेल किराया, बढ़ा दिया/ प्लेटफार्म टिकट, महंगी हुईं।
सांसद वेतन, बढ़ा दिया/ गरीबों को, मरने दिया!
अमीरों का, कर्जा माफ/ मजा तुम्हारी, बाकी साफ।
कारपोरेट को, करोड़ों माफ/ किसानों को, मिला ठेंगा!
विज्ञापनों पर, अरबों लुटाए/ सरकार तुम्हारी, घाटा खाए।
विदेश दौरे, खूब किए/ लेकिन निवेशक, नहीं आए।
बुलेट ट्रेन, स्मार्ट सिटी/ कितनी सारी, योजनाएं पिटी।
रोजगार की, जगाई आस/ कहां हुआ, कौशल विकास?
लव जिहाद, बेफिजूल वाद/ हिंदू-मुस्लिम, करें विवाद।
साम्प्रदायिकता बढ़ी, धर्मनिरपेक्षता घटी/ जनता बँटी, सरकार डटी।
तीन तलाक, वोट लॉक/ हिंदू अल्पसंख्यक, वोट बैंक।
दलित स्थिति, सुधरी नहीं/ अंध भक्ति, उतरी नहीं!
दाऊद इब्राहिम, मारे जोर/ हाफिज चोर, मचाये शोर।
ललित मोदी, नीरव मोदी/ विजय माल्या, भाग गया।
कब इनको, भारत लाओगे? सूली पर, कब लटकाओगे?
56 इंची, सीना है/ मगर वहां, पसीना है!
मन में, है घबराहट/ सत्ता खोने, की आहट!
देखो कर्नाटक, झांकी है/ अभी 2019, बाकी है।
माना थी, मोदी लहर/ अब है, मोदी कहर!
राहुल बाबा, जरा ठहर/ पिएंगे क्या, सत्ता जहर?
विपक्षी एकता, की शक्ति/ दिलाएगी क्या, इनसे मुक्ति?
सबको अभी, शंका है/ मोदी का ही, डंका है!
एक अकेला मोदी है/ पन्द्रह- बीस, विरोधी है।
फिरभी मोदी, मोदी है/ जिसने सबकी धोदी है!
ऐसे बीते, चार साल/ बाकी है, कई सवाल।
आ गया, पांचवा साल/ होंगे फिर, कई बवाल।
तब तक, सबको नमस्कार/ जय हो, मोदी सरकार!
– सुदर्शन चक्रधर( संपर्क: 96899 26102)