कैसे पूर्ण होंगा सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य, आला अधिकारी लगे है प्रसिद्धी कार्यो मे
अकोला(अवेस सिद्दीकी):इस समय शहर समवेत जिले की शासकीय शालाओ की दयनीय स्थिती है।बालको का शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010 (आरटीइ) के अंतर्गत जो सुविधाए मिलना नितांत आवश्यक है उसकी मनपा ताथा जि.प शालाओ की ओर से पूर्ण रूप से अंदेखी की जारही है। शहर के साथ साथ जिले मे शासकीय शालाओ मे विद्यार्थी मूलभूत सुविधाओ से वंचीत है तो दुसरी ओर निजी शालाए तराह तराह की सुविधाए दिखाकर पालको को आकर्षित करती है जिस्की वजह निजी शालाओ द्वरा संचालित शिक्षा की दुकाने खूब फुल फल रही है एवं शहर मे शालाओ के शिक्षा शुल्क अस्मान छु रहे है एवं शिक्षा संचालक पालको को लूट कर अपनी जेब भरने मे सफल हो रहे है एवं गरीब पालक शोषित हो रहे है एवं जिला प्रशासन सोइ हुई नजर आरही है अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाने के उद्देशय से नागरिक जिले भर मे शासकीय शालाओ का बायकाट कर निजी शालाओ मे शिक्षा दिलाने को प्राथमिकता दे रहे है एवं शासकीय शालाओ मे विध्यार्थीयो की संख्या कम होने लगी है जिस्के पिछे शिक्षा विभाग का ढूल मूल रवैय्या खास वजह है शिक्षा विभाग मूलभूत सुविधाए देने मे ही असमर्थ है इनके पास कोइ रचनात्मक एवं विधायक दृष्टिकोन नही सुफ्फा द्वारा किए गए सर्वे मे पाया गया की नगर निगम एवं जिला परिषद प्रशासन द्वारा संचालित शालाओ मे विद्यार्थीयो के लिए मूलभूत कोई भी सुविधा नही,जिले मे अधिकारियो का अभाव है जो आला अधिकारी है वो विभिन्न प्रसिद्धीधी के कार्यो मे लगे है,शिक्षा के संबंधी अब तक कोई खास योजना नही ला पाए कइ पदे रिक्त पडी है कोई उचित जांच यंत्रणा नही शिक्षा विभाग का ऐसा ही रावय्या रहा तो सर्व शिक्षा अभियान का खवाब कैसे पूर्ण होंगा
क्या है आरटीई या शिक्षा का अधिकार
01 अप्रैल 2010को आरटीई यानि राईट टू ऐजूकेशन अर्थात शिक्षा का अधिकार एकसाथ देशभर में लागू किया गया था। जिसके तहत पहली कक्षा से आठवीं तक इसके तहत बच्चों केा मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है। इस अधिकारी के तहत 06 वर्ष से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों केा अपने आसपास के प्रत्येक स्कूल में दाखिला का अधिकार होगा, चाहे वो स्कूल सरकारी हो या गैर सरकारी या अन्य। इस नियम के तहत गैर सरकारी, निजी या अन्य किसी भी स्कूल में 25 फीसदी सीटें गरीब वर्ग के बच्चों को मुफ्त में मुहैया करानी होंगी। इसके तहत जो गरीब बच्चा निजी या कान्वेंट स्कूल में दाखिला लेते हैं, उनकी सूचा प्राप्त होने पर राज्य सरकार उन्हें पैसों का नियमानुसार भुगतान करती हैै।
आरटीई की अवहेलना पड़ सकती है भारी..
यदि कोई स्कूल अनुच्छेद 21 क और आरटीई अधिनियम 01 अप्रैल 2010 की अवहेलना करता है तो उक्त् स्कूल के खिलाफ सख्त कार्यवाही का प्रावधान है जिसके अनुसार यदि कोई गैर सरकारी स्कूल 25 प्रतिशित सीटें गरीब परिवार के बच्चो को मुहैया नहीं करवाता है तो उसके खिलाफ शिकायत होने पर उसकी मान्यता निरस्त की जा सकती है या 25 हजार से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है।
और भी हैं स्कूलों के मानक…….
सभी स्कूलों में शिक्षित-प्रशिक्षित अध्यापक/अध्यापिकायें होने चाहिए और अध्यापक-छात्र का अनुपात होना चाहिए। इसके अलावा स्कूलों में मूलभूत सुविधायें जैसे- हवादार कक्ष, खेल का पर्याप्त मैदान, पीने का स्वच्छ पानी, पुस्तकालय आदि की अनिवार्य रूप से व्यवस्था होनी चाहिए। स्कूल की इमारत भी मानकों के अनुरूप ही बनी होनी चाहिए, जिससे कि आये दिन स्कूलों की इमारतें गिरने वाली घटनायें न हो सकें। इसके अलावा स्कूल परिसर के आसपास या अन्दर बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तंबाकू, मसाले आदि की दुकान नहीं होनी चाहिए।
ऍड सुमित बजाज

