फिल्म अभिनेता संजय दत्त की बायोपिक पर हालिया रिलीज़ हुई फिल्म संजू को लेकर बोक्स ऑफिस पर पैसे के कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं , वहीँ सोशल मीडिया पर संजू बाबा के पक्ष- विपक्ष में सुर मुखर हो रहे हैं. संजय दत्त के जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पह्लुयों पर तथ्यपरक प्रकाश डाल रहे हैं के जोधपुर के सुधांशु टाक जी !
- संजय दत्त के बारे में राजू शायद ये दिखाना भूल गए कि कैमरे के आगे मीडिया को गाली देने वाला शख्स असल जिंदगी में मीडिया के पांव छूता है। इसे ही कायरता कहते हैं।
- संजय 19 अप्रैल, 1993 को तड़के 2:15 पर मुंबई के सहर एयरपोर्ट पर पहुंचे। वो बाहर निकल ही रहे थे कि उनकी आंखें चौंधिया गईं। उन्होंने देखा कि सामने करीब सौ पुलिस वाले उनकी ओर बंदूक ताने खड़े हैं ।
- संजय ने सुनील दत्ता को बताया कि उनके पास दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस के दिए कुछ हथियार थे ।
बात 16 अप्रैल 1993 की है जब पहली बार पूरी दुनिया को संजय दत्त के मुंबई धमाकों के कनेक्शन का पता चला था । बता दें कि मुंबई के एक टैबलॉयड ‘डेली’ में ये खबर पहली बार छपी थी।
इस ख़बर का शीर्षक था- ‘संजय हैज़ एके-47 गन’. इस ख़बर को कवर किया था मुंबई के ही क्राइम रिपोर्टर बलजीत परमार ने। उस समय उस अख़बार के संपादक हुआ करते थे रजत शर्मा।
मीडिया से बलजीत परमार ने बात करते हुए कहा- “वो 12 अप्रैल का दिन था, मुंबई में बम धमाकों के एक महीने पूरे हुए थे, तो मैं माहिम पुलिस स्टेशन गया हुआ था। मुंबई पुलिस बम धमाकों के मामले की जांच कर रही थी। और मुझे पुलिस से कुछ सुराग मिलने की थोड़ी बहुत उम्मीद थी । संयोग से स्टेशन के बाहर ही एक IPS अधिकारी मुझे मिल गए। उनसे मैंने पूछा कि “मामले में नया क्या पता चला है ?”
उन्होंने मेरे से कहा – “आपके ही सांसद के बेटे का नाम आ रहा है।”
बलजीत परमार ने इस पर खूब सोच विचार किया लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आया। हालांकि, उनकी जगह से सुनील दत्त उस वक्त सांसद थे। दरअसल दत्त साब की छवि कुछ ऐसी थी बलजीत उनके बारे में सोच भी नहीं पाए। अब इस बात का पता लगाने बलजीत तुरंत ही माहिम पुलिस स्टेशन और मुंबई बम धमाके की जांच से जुड़े एक दूसरे पुलिस अधिकारी से बात की।
बलजीत परमार बताते हैं कि मैंने मामले की जांच कर रहे एक अफ़सर से पूछा कि “आप लोगों ने सांसद के बेटे को उठा लिया है क्या ? पूछताछ कर रहे हैं क्या?”
तो अफसर ने बलजीत से कहा – “अभी तक तो उठाया नहीं है, वो कहीं शूटिंग के लिए देश से बाहर हैं। उनके आने पर देखेंगे। शूटिंग का नाम सुनते ही बलजीत का दिमाग दौड़ा, वो समझ गए कि ये मामला सुनील दत्त से जुड़ा हो सकता है। उस वक्त उनके बेटे संजय दत्त स्टार एक्टर थे ।
बलजीत को ये भी जान चुके थे कि संजय ‘आतिश’ फ़िल्म की शूटिंग के लिए मॉरिशस गए हुए थे। और धीरे-धीरे बलजीत ने पूरी कहानी बटोर ली। सूत्रों के हवाले से उन्हें ये जानकारी हो गई थी कि कैसे संजय दत्त के पास एके-47 जैसे हथियार रखे गए थे। दरअसल ये सारी बातें संजय के दोस्त समीर हिंगोरा और यूसुफ़ नलवाला ने पुलिस को बता दी थीं। बता दें कि दोनों शख्स उस समय संजय दत्त की फ़िल्म ‘सनम’ के प्रोड्यूसर थे।
संजय दत्त के फ़ोन करने के सिलसिले में बलजीत कहते हैं कि मैंने पूरी स्टोरी तैयार कर ली थी। लेकिन ऐसा है कि जब आप किसी के ऊपर कोई सा भी आरोप लगाते हैं तो उसका पक्ष भी शामिल करते हैं। इसीलिए मैंने 13 अप्रैल को फोन लगाया दत्त साहब को। फोन से मुझे पता चला कि वे घर पर नहीं हैं। मुझे ये भी पता चला कि दत्त साब किसी काम से जर्मनी गए हुए हैं। उनके एक करीबी से पता चला कि दत्त साब लंदन के लिए निकल गए हैं।
इसी बीच 14 अप्रैल को सुबह तकरीबन 8 बजे संजय दत्त का फ़ोन बलजीत के घर के लैंडलाइन पर आया।
संजय दत्त ने बलजीत से पूछा, “आप कुछ जांच पड़ताल कर रहे हो। दत्त साब तो बाहर गए हुए हैं। क्या बात है? “
बलजीत ने उनसे कहा कि उनके दोस्त समीर हिंगोरा और यूसुफ़ नलवाला ने मुंबई पुलिस के सामने सब कुछ उगल दिया है कि किस तरह से संजय दत्त तक एके 47 और हैंड ग्रेनेड पहुंचाया गया था। जल्द ही कानून का शिकंजा आप पर कसने वाला है। संजय दत्त ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता।
इसके कुछ घंटो बाद संजय का दोबारा फोन आया। संजय ने बलजीत से कहा कि आपके पास गलत खबर है। आप ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे हैं। तो बलजीत ने कहा कि आपके साथियों ने सब कुछ उगल दिया है। मैं क्या ब्लैकमेल करूंगा?
इसके बाद संजय ने कहा कि अब क्या हो सकता है? इसके जवाब में मैंने उनसे कहा कि हथियार पास में हैं तो आप सरेंडर कर दो। हथियार के साथ अगर सरेंडर करोगे तो आपके साथ रियायत हो सकती है। लेकिन पुलिस ने अगर आपके घर से हथियार को पकड़ लिया तो फिर आप लंबा फंस सकते हैं।
आखिरकार 15 अप्रैल को बलजीत परमार की स्टोरी छपी जो उनके अख़बार में लीड रिपोर्ट के तौर पर छपी। इसके बाद खबर से देशभर में सनसनी मच गई। दत्त साब की तरफ से प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी ने 1 करोड़ का नोटिस अखबार व संवाददाता को भेज दिया। कोई भी यह मानने को तैयार नही था कि संजय दत्त ऐसा कर सकते है। महेश भट्ट और सुभाष घई के नेतृत्व में वामपंथी फ़िल्म इंडस्ट्री ने अपने दांव खेलने चालू कर दिये
हालांकि, संजय दत्त को उनके शुरुआती दिनों से ही बॉलीवुड के बैड ब्वॉय के नाम से जाना जाता था। लेकिन इस घटना के बाद संजय दत्त का साम्प्रदायिक घिनौना चेहरा सामने आया।
संजय दत्त के खास दोस्त थे हनीफ लकड़ावाला और समीर हिंगोरा की प्रोड्यूसर जोड़ी। इन दोनों में से हनीफ को पूछताछ के लिए माहिम पुलिस स्टेशन बुलाया गया। ये जोड़ी उस वक्त संजय दत्त की फिल्म ‘सनम’ प्रोड्यूस कर रही थी।
हनीफ ने पहले तो इस ब्लास्ट में किसी तरह का हाथ होने से इनकार किया लेकिन माहौल को भांपते हुए उसने अपनी गलती कबूल कर ली। इस सब के बीच उसने विक्टिम कार्ड खेलते हुए पुलिस को कह दिया कि पुलिस तो हमेशा हम जैसी छोटी मछलियों को परेशान करती है। बड़े लोग तो यूं ही खुले घूमते रहते हैं।इस बड़े आदमी का नाम संजय दत्त निकला। पुलिस ने किसी फैसले तक पहुंचने से पहले मामले की तह में जाने की सोची। इधर मुम्बई के डेली अखबार में यह विस्फोटक खबर छप गई। जैसे ही संजय को ये बात मालूम चली उन्होंने शूट छोड़कर इंडिया आने की बात कही। लेकिन पुलिस ने उन्हें कहा कि वो तयशुदा समय पर ही इंडिया आएं। संजय 19 अप्रैल, 1993 को तड़के 2:15 पर मुंबई के सहर एयरपोर्ट पर पहुंचे। वो बाहर निकल ही रहे थे कि उनकी आंखें चौंधिया गईं। उन्होंने देखा कि सामने करीब सौ पुलिस वाले उनकी ओर बंदूक ताने खड़े हैं ।
उन्हें एयरपोर्ट से सीधे बांद्रा स्थित मुंबई क्राइम ब्रांच ले जाया गया। वहां रखने के बाद उन्हें सुबह क्रॉफोर्ड मार्केट पुलिस हेडक्वॉर्टर ले जाया गया। संजय की गिरफ्तारी की खबर सुनकर सुनील दत्त बौखला गए। उन्हें यह विश्वास नहीं हो रहा था कि उनका बेटा किसी बम ब्लास्ट का दोषी हो सकता है। पुलिस ने ये बात उन्हें बता दी थी, लेकिन वो ये संजय के मुंह से सुनना चाहते थे।तब उन्हें संजय से जेल में मिलवाया गया।
जेल में सुनील दत्त ने जो संजय के मुंह से सुना, उसे जानकर उनके होश उड़ गए। यहां संजय ने उन्हें बताया कि उनके पास दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस के दिए कुछ हथियार थे । सुनील दत्त ने पूछा, “क्यों थे हथियार? तुम्हें क्या जरूरत पड़ गयी ?
इस पर संजय ने कहा, ‘मेरी रगों में भी मुस्लिम का खून दौड़ रहा है। शहर में जो कुछ भी हो रहा है, मैं वो सब और बर्दाश्त नहीं कर सकता।’ संजय का इशारा अपनी मां और सुनील दत्त की पत्नी नरगिस की तरफ था। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुंबई में लगातार दंगे हो रहे थे।
इस बात का भी खुलासा हुआ था कि किस तरह से संजय के दोस्त यूसुफ़ नलवाला ने संजय दत्त के रूम से एके-47 लेकर, उसे टुकड़ों में काटकर अपने एक स्टील कारोबारी दोस्त के यहां गलाने की कोशिश की थी। बलजीत परमार कहते हैं कि इस स्टोरी कवर करने के बाद से दत्त साब ने कभी मुझसे बात नहीं की और ना ही संजय दत्त ने की थी।
5 दिन पूर्व रिलीज हुई, संजय दत्त के जीवन पर आधारित मूवी “संजू” कमाई के नए रिकॉर्ड बना रही है। लेकिन उसमें तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है।मीडिया को खूब बदनाम किया गया है। बताया जा रहा है कि इस फ़िल्म में साफ तौर पर ऐसा दर्शाया गया है कि मीडिया की वजह से संजय दत्त को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। सही है, फिल्म वाले हैं कुछ भी दिखा सकते हैं। इनके पास अपनी छवि सुधारने के लिए एक मौका जरूर होता है, जिसका ये भरपूर फायदा उठाते है। उठा भी रहे हैं। आज पूरे देश को संजय दत्त के लिए सहानुभूति है लिहाजा “संजू” फ़िल्म कामयाब है।
निर्देशक राजू हीरानी शायद ये दिखाना भूल गए कि शिवसेना के खिलाफ लड़ने वाले दत्त साब ने मदद की गुहार भी शिव सेना से ही की। मर्दानगी की पहचान कहे जाने वाले संजय दत्त के बारे में राजू शायद ये दिखाना भूल गए कि कैमरे के आगे मीडिया को गाली देने वाला शख्स असल जिंदगी में मीडिया के पांव छूता है। इसे ही कायरता कहते हैं।
यह पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी है जिसे सभी को जानना चाहिए।