शिरपुर(मनोज पावरा):तहसिल के आदिवासी अँचलो मे खुलेआम बिकनेवाले स्पिरीटने अबतक सैंकडो जाने ली है। यही जहरिली शराब का मृत्युकांड की वारदात अगर मुंबई, पुना जैसे बडे शहरों मे होती है तो बहोत हंगामा होता है। लेकिन तहसिल के जोयदा इस आदिवासी गाँवमे पिछले 7-8 सालोंमे 20-25 मृत्यु स्पिरीट से हो चुकी है। किंतू वह घटना परिवार के दु:खतकही सिमीत रह गई है। ना उन्हे मुआवजा मिला नाही, दोषियोंपर कारवाई हुई है।
सैकडों मौते होने के बावजूद पुलिस के आशिर्वाद से खुलेआम बिकता है स्पिरीट
तहसिलके सातपुडा पर्बत के नीचे बसे लगभग सभी आदिवासी गाँवोंमे स्पिरीट (जहरिली शराब) खुलेआम बिकती है। जिससे अबतक सैकडों जाने जा चुकी है। और हजारो परिवार बर्बाद हुए है। मरनेवालोंमे 20-35 सालके युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। गौरतलब बात ये है की, इतनी मौते होने के बावजूद पुलिस के आशीर्वाद से आजभी खुलेआम बिक रहा है स्पिरीट। तहसिल के जोयदा गाँवकी यह वास्तव कहानी है, लगभग 5-6 हजार आबादीवाला यह गाँव तहसिल की राजनिती का एक प्रमुख केंद्र है। लेकिन ऊसी गाँवमे पिछले 7-8 सालमे स्पिरीट पीनेसे करीब 20-25 लोगोंकी जान जा चुकी है। जिससे विधवा महिलाएं बच्चों के साथ दो वक्त की रोटी के लिए कडा संघर्ष कर रही है। लेकिन इस गंभीर सामाजिक समस्या की ओर पुलिस प्रशासन अनदेखी कर रहा है। जिससे और कितनी मौतोंका इंतजार करने का सवाल बूजूर्ग लोग कर रहे है। गाँवमे एकही दिन दो युवकोंकी स्पिरीटसे मौत हुई थी। यहाँ किसीका बेटा, किसीका बाप तो किसिका पती, भाई मर चुका है। लेकिन जहरिली शराब का शिकार हुए परिवार के प्रती कोईभी संवेदनशील नही है। अगर किसी दिन शिकायतपर स्पिरीट मिलता है तो, पैसे लेकर छोड देने का आरोप परिसर के नागरिक पुलिसपर लगाते है।