जलगांव (तेज समाचार डेस्क). किसानों का एक प्रमुख त्यौहार है, बैल पोला. इस दिन किसान अपने बैलों से कोई काम नहीं लेते, बल्कि उन्हें नहला-धुला कर सजाते है और उनकी पूजा की जाती है. उन्हें अच्छे-अच्छे पकवान बना कर खिलाने की भी प्रथा है. रविवार 9 सितंबर को बैलों का त्योहार पोला ख़ानदेश में धूमधाम से मनाया जाएगा. वर्ष भर खेती में काम करने वाले बैलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने यह त्योहार मनाया जाता है.
पोला के दिन बैलों से काम नहीं लिया जाता. पोले के एक दिन पूर्व किसान मख्खन, हल्दी व पलाश की पत्ती से बैलों के कंधे सेंकते हैं व दूसरे दिन भोजन का आमंत्रण देते हैं. खान्देश के ग्रामीण क्षेत्र में यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन शाम को बैलों का पोला लगेगा. बैलों की पूजा करने, ‘झड़ी’ गाने के बाद, तोरण तोड़ने के बाद पोला फूटता है व किसान अपनी सजी-धजी बैलजोड़ी लेकर पहले मारुति के मंदिर में जाते हैं. पश्चात अपने घर में जाते हैं, जहां घर की गृहणी बैलों की आरती कर उनकी पूजा करती हैं व पूरण पोली खिलाती हैं. उसके बाद किसान पूजा के लिए घर-घर बैलजोड़ी ले जाते हैं. धुलिया में भी कई स्थानों पर बड़े पोले का आयोजन किया जाता है.
पोला पर्व पर किसान अपने अन्नदाता बैलों को घुंघरू, कौड़ियों की मालाएं, सिंग व बदन को रंगने के लिए रंग व चमकी, पीठ में पहनाने के लिए झूल से सजाया जाएगा. हालांकि महंगाई के कारण किसान थोड़ा ही क्यों न हो, अपने हिसाब से बैलों के सजावट के सामान खरीद रहे हैं.
गत वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष बैलों की सजावट का सामान कुछ प्रतिशत महंगा हुआ है. इसके बावजूद पोला पर्व को मनाने के लिए किसानों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. आज के आधुनिक युग में जहां खेती कार्यों में मशीनों का उपयोग बढा है वहीं किसान अभी भी बैलों का उपयोग कर रहे हैं. बैलों का स्थान अब ट्रैक्टरों ने ले लिया है. इसके बावजूद गांव में बैलजोड़ी संपन्न किसान के घर समृद्धि की निशानी मानी जाती है. आज भी अनेक किसान बैलों का उपयोग खेती जोतने के लिए कर रहे हैं.
पोला पर्व को देखते हुये शहर के बाजारों मे बैलों की साज-सज्जा की सामग्री की दूकानें सज गई हैं. किसान गृहोपयोगी वस्तुओं के साथ ही बाजारों मे बैलों के साज-श्रृंगार की सामग्री की भी खरीदी कर रहे हैं. पोला पर्व पर बैलों के गले और पैरों में आज भी पीतल की घंटी व घुंघरू बांधे जाते है. शहरी क्षेत्रों में भी पोला पर्व की रौनक में कोई कमी नहीं आई है.
शहर के विभिन्न क्षेत्रों मे पोला उत्सव निमित्त तोरण बांधकर क्षेत्र के सभी नन्हे-मुन्नों को उनके सजे सवरें बैलों के साथ एकत्रित कर तोरण तोड़कर पर्व को उत्साह व हर्षोल्लास के साथ श्रद्धा से मनाया जाता है. इसकी तैयारियों में अभी से किसान जुटे हैं. पर्व को लेकर शहर मे उत्साह का माहौल है. काष्ठ से बने नंदी बैलों की दूकानें सज गई हैं.