जामनेर (तेज़ समाचार प्रतिनिधि ):जाती वैधता प्रमाणपत्र कि अनिवार्यता को लेकर शीर्ष अदालत के फ़ैसले के बाद विभिन्न लोकतांत्रीक संस्थाओ के पदाधिकारीयो के निलंबन के बावजूद भी उनके द्वारा प्रशासनीक संसाधनो पर छाप छोडती कयी चिजे अब भी कायम है . इस कि मिसाल अगर देने कि नौबत आयी हि तो जामनेर पंचायत समीती सभापती का सरकारी बंगला उदाहरण है . विदीत हो कि जातीवैधता को लेकर सुप्रिम कोर्ट के आदेश के बाद पंचायत समीती कि सभापती श्रीमती रूपाली नवल पाटील ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था . साथ हि सदस्यत्व का पद भी त्याग दिया था . जिसके बाद उनके पतीदेव श्री नवल पाटील ने पत्रकारो से किए संवाद मे उनके उपर पार्टी द्वारा सौंपे दायीत्वो तथा जिम्मेदारीयो का बखान कर पत्नी श्रीमती रुपाली के इस्तिफ़े को पार्टी के लिए उनके द्वारा कि गयी त्यागभावना से जोडकर पेश किया था .
बहरहाल बात जो कुछ भी रहि हो वह उस पहलु पर प्रासंगिक हो सकती है . लेकिन प्रशासन कि लापरवाहि कहे या अनदेखी या फीर कुछ और सभापती के सरकारी बंगले रायगड कि पहचान श्रीमती पाटील के निवासस्थान के रुप मे हि कि जा रहि है . वैसे यह मामला इतना तुल देने योग्य इस लिए है क्यो कि सरकारी बंगले कि पहचान को राजनितीक तर्ज पर किसी पार्टी विशेष के लिए आम लोगो मे भुनाने तथा उस तरह के संदेशवहन कि कोशीशे होना स्वाभावीक है . शायद ऐसे मामले सुबे मे कयी जगहो पर उजागर होने से चुंक भी गए होगे . अभी तो बुद्धिजिवीयो मे केवल यहि मांग कि जा रहि है कि नए सभापती के चयन होने तक रायगड बंगले से हो रहि मिस मैसेज सिस्टम को दुरुस्त किया जाए .