देश का भविष्य हो रहा बर्बाद, जिला प्रशासन की निष्क्रियता
अकोला(तेज़ समाचार प्रतिनिधि ): भले ही जिले मे शासन प्रशासन बालमजुरी जिला मुक्त होने का ढिंढोरा पिटे लेकिन शहर की वास्तविकता कुछ और दर्शाती है।जिला प्रशासन की निष्क्रियता के दर्शन जबजा किए जासक्ते है।शहर समेत जिले भर मे बालमजदूरी का ग्राफ निरंतर रुप से बढ रहा है।केवल प्रसिद्धी कर्यो मे व्यस्त जिला प्रशासन बालमजदूरी जैसे गंभीर मुद्दे की ओर पुर्ण रुप से आंखे बंद किए नजर आरही है।बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों, होटलों, ढाबों पर काम करने से लेकर कचरे के ढेर में कुछ ढूंढता मासूम बचपन शहर समेत जिले की आर्थिक वृद्धि का एक काला चेहरा पेश करता नजर आरहा है।यह सभ्य समाज की उस तस्वीर पर सवाल उठाता है जहां हमारे देश के बच्चों को हर सुख सुविधाएं मिल सकें।
क्या है बाल मजदूरी?
ऐसा कोई भी बच्चा जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम हो और वह अपनी जीविका के लिए काम करे तो बाल मजदूर कहलाता है। अकसर बाल मजदूरी की चपेट में वे बच्चे आते हैं जो या तो गरीबी से जूझ रहे होते है या फिर किसी लाचारी या माता-पिता की प्रताडऩा का शिकार हो जाते हैं।
कभी करना पड्ता है घिनौने कृत्यों का भी सामना
शहर के हर गली, नुक्कड़ पर आपको कोई न कोई राजू या मुन्नी या छोटू जैसे बच्चे मिल जाएंगे जो बाल मजदूरी की गिरफ्त में हैं। ऐसा नहीं है कि ये बच्चे केवल मजदूरी कर रहे हैं बल्कि इन्हें कई घिनौने कृत्यों का भी सामना करना पड़ता है।
बाल मजदूरी एक अपराध
वर्ष 1986 के दौरान बाल मजदूर की इस स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया गया जिसके अंतर्गत बाल मजदूरी को एक अपराध घोषित किया गया और रोजगार पाने की न्यूनतम आयु 14 वर्ष कर दी गई। सरकार द्वारा ब‘चों के लिए 8वीं तक की शिक्षा को भी अनिवार्य और नि:शुल्क किया गया लेकिन लोगों की बेबसी और गरीबी ने कभी इस योजना को सफल नहीं होने दिया।

महसूस हो रही जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत
जिला शासन,प्रशासन बाल मजदूरी को जड़ से खत्म करने के लिए जरूरी कदम उठाए और गरीबी को खत्म करने एवं इन बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे लेकिन केवल सरकार ही नहीं आम जनता को भी इस काम में सहयोग करना जरूरी है।
जरुरी व लाभदायी होगा जनता का सहयोग
सरकार द्वारा बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए कानून बनाने के बाद विभिन्न योजनाओं के जरिए इसको खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इस समस्या को जड़ से खत्म करने हेतु आम जनता के सहयोग की अति जरूरत है। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी ले तो हो सकता है शहर समेत सम्पुर्ण भारत को जल्द ही बाल मजदूरी से मुक्त किया जा सके और बच्चो को उचित शिक्षा और उनका हक दिया जा सके।क्योंकि हमारा शहर एवं देश ही नही बल्कि विश्वस्तर पर देश बाल मजदूरी से बुरी तरहा पीड़ित है।एक सर्वे के अनुसार आज विश्वभर में करीब 215 मिलियन बच्चे बाल मजूदरी का शिकार हैं जिनमें से सबसे अधिक भारत में मौजूद हैं।