जामनेर (नरेंद्र इंगले) तहसील क्षेत्र की राजनीति का केंद्र रही जामनेर तालुका एजुकेशन सोसाइटी पर वर्चस्व की लड़ाई को लेकर गहराई गुटबाजी 30 सितंबर को हुई आम चुनाव बैठकों के बाद काफ़ी उफ़ान पर है. कानूनी तर्कों और पहलुओं की समीक्षा के उपरांत जहां पारस ललवाणी की अध्यक्षता वाले नए संचालक मंडल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है.
इस बाबत मिटिंग में सभी कानूनी प्रक्रियाओं के विधिवत पालन की हामी को संभवत: कोई बुद्धिजीवी झुठला भी नहीं सकता है, वहीं मंत्री गिरीश महाजन के नेतृत्व में पैरलल संचालक मंडल का गठन करने वाले पूर्व संस्था अध्यक्ष आबाजी नाना पाटिल की इकाई की संवैधानिकता पर क्या सवाल खड़े किए जा रहे हैं. सोमवार सुबह भाजपा पदाधिकारियों तथा पैरलल मंडल संचालकों ने संस्था की इकाइयों में जाकर कर्मचारियों से सम्मान ग्रहण की औपचारिकता पर जोर दिया. इतना ही नहीं कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं ने स्कूल की इमारत पर भाजपा के झंडे लगा दिए.
पटाखों का प्रदूषण भी खूब किया गया. इसी तरह का जश्न पारस गुट ने भी मनाने का प्रयास किया. एक संस्था पर दो संचालक मंडलों के गठन की अभूतपूर्व घटना 1993 के बाद फिर से दोहराई गयी. दोनों गुटों द्वारा संस्था पर वर्चस्व की लड़ाई को लेकर चल रहे संघर्ष पर वैसे तो चुनावी मीटिंग के बाद पर्दा गिर चुका है, लेकिन अब जो कुछ भी चल रहा है, वह महज किसी खास प्रोपेगेंडा का हिस्सा है, जिससे तहसील में होने वाले आगामी व्यापक डैमेज को कंट्रौल करने की पहल के रूप मे देखा जा सकता है. इस प्रोपेगेंडा में सबसे आगे कौन है, यह जनता के बीच बताने या समझाने की शायद आवश्यकता नहीं है.
मामले पर पारस गुट से संचालक सुरेश धारीवाल ने विरोधियों की हरकतों को उनका ‘प्रासंगिक हर्षवायु’ करार दिया है. वहीं सहकार तथा स्कूली शिक्षा विभाग के जानकारों के मुताबिक बताया गया कि प्रशासन के समक्ष चेंज रिपोर्ट पेश होने के बाद भ्रम की स्थिति पूरी तरह साफ़ हो जाएगी.
फ़ौजदारी दायर : उक्त सत्ता संघर्ष के दौरान सोमवार दोपहर कालेज के अध्यापक ईश्वर नारायण पाटिल की तहरीर पर पारस गुट के नवनियुक्त संचालक सुरेश धारीवाल, शंकर राजपुत पर धारा 186, 504, 506 तहत फ़ौजदारी मामला दर्ज किया गया है. वहीं पारस गुट की ओर से विरोधी गुट द्वारा संस्था परिपेक्ष में किए गए दुर्व्यवहार के खिलाफ़ अनाधिकारिक प्रेस नोट जारी किया गया था.