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मां की कोख में बच्चे की स्पाइनल सर्जरी

Tez Samachar by Tez Samachar
October 25, 2018
in Featured, दुनिया
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मां की कोख में बच्चे की स्पाइनल सर्जरी

नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). कहते है इस धरती पर भगवान के बाद यदि कोई दूसरा भगवान है, तो वह है डॉक्टर. यह सही भी है, क्योंकि डॉक्टरों ने जब भी मानवीय और सेवा का दृष्टिकोण सामने रखते हुए किसी मरीज का इलाज किया, उस समय वह भगवान का रूप ले लेता है. ऐसा ही एक वाकया लंदन में देखने को मिला है. लंदन में एक गर्भवती महिला की कोख में ही बच्चे की स्पाइनल सर्जरी की गई. गर्भस्थ शिशु में स्पाइना बाइफिडा नाम की बीमारी का पता चला था. 90 मिनट चली सर्जरी को लंदन यूनिवर्सिटी कॉलेज के हॉस्पिटल की 30 डॉक्टरों की एक टीम ने अंजाम दिया.
– ठीक से विकसित नहीं हो सकी थी रीढ़ की हड्डी
स्पाइना बाइफिडा ऐसी स्थिति है जब गर्भावस्था के दौरान बच्चे की रीढ़ की हड्डी ठीक से विकसित नहीं हो पाती. रीढ़ की हड्डी में एक दरार बन जाती है. नतीजतन जन्म के बाद बच्चे को चलने-फिरने और सीधे खड़े होने में दिक्कत होती है. बच्चा दिमागी रूप से भी कमजोर हो सकता है. ज्यादातर मामलों में बच्चे के जन्म के बाद सर्जरी की जाती है.
– सामान्य तरीके से होगी प्रसूती
डॉक्टरों ने स्पाइना बाइफिडा से पीड़ित दो बच्चों की सर्जरी की. 26 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला को सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया दिया गया था. गर्भाशय के बाद बच्चे के स्पाइन वाले हिस्से को ओपन किया गया. बच्चे की पीठ के निचले हिस्से में रीढ़ की हड्डी मुड़ी हुई थी. इसकी सर्जरी की गई. ऑपरेशन के बाद महिला की सामान्य गर्भवती की तरह डिलीवरी हो सकेगी.
– लंदन में हर साल 200 से ज्यादा मामले
रीढ़ की हड्डी का विकास एक झिल्लीनुमा संरचना में होता है जिसमें फ्लूइड भरा होता है. लेकिन स्पाइना बाइफिडा की स्थिति में स्पाइन इससे बाहर निकलने लगती है और इसमें मौजूद फ्लूइड के लीक होने का खतरा बढ़ता जाता है. साथ ही इससे मस्तिष्क के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. लंदन में हर साल करीब 200 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आते हैं.
– पहले नहीं होता था लंदन में यह ऑपरेशन
ऐसे मामलों की सर्जरी पहले बेल्जियम और अमेरिका में होती थी. लंदन में पिछले 3 सालों से सर्जरी की इस तकनीक पर काम कर रहीं यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की प्रो. एनी डेविड के मुताबिक ऐसे मामले सामने आने पर पहले गर्भवती को इलाज के लिए दूसरे देशों का रुख करना पड़ता था लेकिन अब यहां इसका इलाज संभव है.
– फॉलिक एसिड से बच्चों को नहीं होती खतरनाक बीमारियां
एम्स नई दिल्ली के न्यूरोसर्जरी हेड डॉ. एसएस काले के मुताबिक अगर प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही महिला फॉलिक एसिड लेती है तो बच्चे में जन्मजात बीमारी का खतरा 50 फीसदी तक कम हो जाता है. भारत में एक हजार बच्चों पर एक स्पाइना बाइफिडा का मामला देखा जाता है.

Tags: Londonpregnant womenspina bifidaspinal cord surgerysurgerytezsamachar
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