बढ़ते वजन, वायु प्रदूषण से हो रहा लकवा- प्रो.डॉ.मेहंदीरत्ता
विश्व लकवा/पक्षाघात दिवस पर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में विशेष चर्चा
नई दिल्ली (तेज समाचार प्रतिनिधि ) – एक ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति के शरीर का एक हिस्सा या दोनों हिस्से सुन्न पड़ जाते हैं, जिसे ‘लकवा/पक्षाघात’ बीमारी कहा जाता है। ऐसा होने के पीछे कई कारण हैं और बढ़ती उम्र में इसके होने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है। विश्व लकवा (पक्षाघात) दिवस पर दिल्ली के जनकपुरी स्थित सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (जेएसएसएचएस) में पब्लिक अवेयरनेश एड़ एजुकेशन सीरीज के तहत विशेष चर्चा का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि जनकपुरी के ‘आप’ पार्टी विधायक राजेश ऋषि एवं डॉ.पुनीत गुप्ता, डॉ.अभिजीत दास, डॉ.प्रवेंद्र सिंह, डॉ.नितिन शाक्य, फ़ैज़नाज़ आदि भी मौजूद रहे।
जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉयरेक्टर प्रो.डॉ. मनमोहन मेहंदीरत्ता ने डॉक्टरों और मरीजों को लकवा बिमारी से संबंधित अहम जानकारी दी। जिन्हें आप अपने जीवन में देखते हुए नजर अंदाज कर देते है। उन्होंने बताया कि बढ़ता हुआ बजन (मोटपा), वायु प्रदूषण, ब्लडप्रेशर की वजह से दिमाग के एक हिस्से में जब खून का प्रवाह रुक जाता है तो उस हिस्से में क्षति पहुंचती है, जिससे लकवा होता है। करीब ८५ प्रतिशत लोगों में दिमाग की खून की नली अवरुद्ध होने पर व करीब १५ प्रतिशत में दिमाग में खून की नस फटने से लकवा होता है।
उन्होंने बताया कि दिमाग में रक्त पहुंचाने वाली खून की नली के अंदरूनी भाग में कोलेस्ट्रॉल जमने से मार्ग सकरा होकर अवरुद्ध हो जाता है या उसमें खून का थक्का हृदय से या गले की धमनी से निकलकर रक्त प्रवाह द्वारा पहुंचकर उसे अवरुद्ध कर सकता है। जिन व्यक्तियों को उच्च रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) की बीमारी होती है। उनमें अचानक रक्तचाप बढ़ने से दिमाग की नस फट जाने से लकवा हो जाता है। कुछ मरीजों में दिमाग की नस की दीवार कमजोर होती है जिससे वह गुब्बारे की तरह फूल जाती है। एक निश्चित आकार में आने के बाद इस गुब्बारे (एन्यूरिज्म) के फटने से भी लकवा हो जाता है। साथ ही कहा कि विश्व में 1.85 करोड़ लोग, भारत में 15-16 लाख जनसंख्या लकवा से प्रभावित है।
क्या है लक्षण-
अचानक याददाश्त में कमजोरी आना, बोलने में दिक्कत आना, हाथ या पांव में कमजोरी, आंखों से कम दिखना, व्यवहार में परिवर्तन, चेहरे का टेड़ा होना इत्यादि।
क्या है कारण-
युवावस्था में अत्यधिक भोग विलास, नशीले पदार्थाे का सेवन, आलस्य आदि से स्नायविक तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, इस रोग के आक्रमण की आशंका भी बढ़ती जाती है। सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके विपरीत अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम, अति आहार आदि कारणों से भी लकवा होने की स्थिति बनती है।
ऐसे करें पहचान
१. चेहरा- क्या मरीज ठीक तरह से हंस सकता है, क्या उसका एक तरफ का चेहरा या आंख लटक गई है?
२. भुजाएं- क्या मरीज अपनी दोनों भुजाएं हवा में उठा सकता है?
३. बोली- क्या मरीज स्पष्ट बोल सकता है व आपके बोले हुए शब्दों को समझ सकता है?
अगर मरीज में ये लक्षण हैं तो इसके ८५ प्रतिशत अवसर हैं कि उसे लकवा हुआ है। इसलिए उसे तुरंत मेडिकल सहायता उपलब्ध कराएं व न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाएं।
केसे करें बचाव
प्रोफेसर डॉ.मनमोहन मेहंदीरत्ता ने अच्छी खबर यह है कि करीब 80 प्रतिशत मामलों में लकवों से बचा जा सकता है। 50 प्रतिशत से ज्यादा लकवे अनियंत्रित रक्तचाप या उच्च रक्तचाप के कारण होते हैं। इसलिए उच्च रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) का उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण है। साथ ही धूम्रपान का त्याग, सैर करने जाना, नियमित व्यायाम व एट्रियल फिब्रिलेशन, जिसमें हृदय की गति अनियंत्रित हो जाती है उसका उपचार भी जरूरी है।
जनकपुरी की शान है सुपर स्पेशलिटी अस्पताल – विधायक राजेश
विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम शामिल हुए जनकपुरी से ‘आप’ पार्टी विधायक राजेश ऋषि ने विश्व लकवा दिवस पर विशेष चर्चा को लेकर डॉयरेक्टर प्रो.डॉ.मनमोहन मेहंदीरत्ता को बधाई दी। उन्होंने बताया कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल मेरे क्षेत्र जनकपुरी की शान है। आप इस तरह की कार्यक्रम आयोजित करके जनता की जागरूक कर रहे है, निश्चित ही देश में जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल एक अलग पहचान बनाने में कामयाब हो जाएगा।