जामनेर (नरेंद्र इंगले ):खान्देश के पुर्वी तथा सिमावर्ती तटीय भुक्षेत्रो मे बसे आम जनजिवन मे सदियो से संपर्क का माध्यम रहि तावडी बोली भाषा के समग्र प्रचार प्रसार के लिए 30 दिसंबर 2018 को जामनेर मे साहित्य संम्मेलन का आयोजन किया गया है . इस पहल को लेकर समारोह के आयोजन सहयोगी मिलींद लोखंडे ने सोशल मिडीया पर प्रेस नोट रीलिज कि है . जिसमे प्रस्तावीत साहित्य संम्मेलन कि प्राथमिक रुपरेखा स्पष्ट कि गयी है . इस संम्मेलन के अध्यक्ष पद के लिए तहसिल के सुनसगांव निवासी प्रो श्री गोविंद तुकाराम पाटील कि नियुक्ती कि गयी है .
वर्तमान मे येवला निवासी पाटील ने कवीवर्य श्री वि . वा . शिरवाडकर लिखित नटसम्राट इस नाटक पर समीक्षाग्रंथ का आविश्कार किया है . साथ हि करीब 16 चरीत्रग्रंथो को कलमबद्ध किया है . वैसे तो खान्देश संभाग मे कुल 3 जिले शामील है उनमे जलगांव , धुलिया , नंदूरबार प्रमुख है . इन तिनो जिलो मे मराठी के साथ खासकर अहिरानी इस बोली भाषा का प्रयोग व्यापकता से किया जाता है इसी अहिरानी भाषा को कवयत्री स्व बहिनाबाई चौधरी ने प्रचुर साहित्य लेखन से भारत के कोने कोने तक पहुचाया है . स्व बहिनाबाई के इसी योगदान के चलते महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल हि मे जलगांव उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय को स्व बहिनाबाई चौधरी के नाम से नवाजा गया है .
तावडी बोली भाषा इसी खान्देश के सिमावर्ती तथा तटीय इलाको मे ( गुजराथ , मध्य प्रदेश ) बोली जाती है और अब 30 दिसंबर को जामनेर मे होनेवाले पहले तावडी बोली भाषा साहित्य संम्मेलन से इस तावडी बोली को नयी पहचान मिलने जा रहि है जिसके चलते साहित्य जगत के बुद्धिजिवीयो मे हर्ष का माहौल है .

