साल था 1920 । महान गणितज्ञ रामानुजन की तबीयत काफी खराब हो चुकी थी। वे भारत वापस आ गए थे। मृत्युशैय्या पर पड़े इस गणितज्ञ ने एक पत्र अपने मित्र , सहकर्मी और उस समय के विश्व प्रसिद्ध ब्रिटिश गणितज्ञ कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के जीएच हार्डी को भेजा।
इस पत्र में 17 नए फंक्शन लिखे हुए थे। साथ ही ये हिंट दिया गया था कि ये सभी फंक्शन थीटा (साइन थीटा, कॉस थीटा जैसे) से जुड़े हुए हैं। इसमें से एक फंक्शन “मॉक थीटा” का था। रामानुजन ने ये कहीं नहीं लिखा कि ये फंक्शन कहां से आया? कैसे सिद्ध हुआ? इसका कहां और क्या इस्तेमाल है? और इसकी क्या ज़रूरत है?
लंबे समय तक ये “मॉक थीटा” एक पहेली बना रहा। इस पर दुनिया भर के विद्वान अपना सर खपाते रहे। 1987 में गणितज्ञ फ्रीमैन डायसन ने लिखा-” ये मॉक थीटा कुछ बहुत बड़े की तरफ इशारा करता है । मगर इसे समझा जाना बाकी है।”
फ्रीमैन जिस बहुत बड़े की बात कर रहे थे, उसे जानने के लिए वापस 1916 में जाना पड़ेगा। 1916 में महान साइंटिस्ट अल्बर्ट आईंस्टीन ने एक छोटा सा फॉर्मूला दिया ” E = mc2″। ये छोटा सा सिद्धांत विज्ञान में भगवान का दर्जा रखता है। इसी सिद्धांत के ऊपर एक खोज हुई जिसे ब्लैकहोल कहा जाता है। इसे जब 2002 में समझा गया तो पता चला कि रामानुजन का 1920 में खोजा गया “मॉक थीटा” ब्लैकहोल के फंक्शन को समझने के लिए ज़रूरी है। आज इसी “मॉक थीटा” का इस्तेमाल ब्लैक होल के नेचर को समझने में हो रहा है।
1920 में रामानुजन के पास कोई कंप्यूटर नहीं था. गणना करने के टूल नहीं थे। अंतरिक्ष में जाना और उसकी गणना करना तो कल्पना ही था। ऐसे में तमिलनाडु के एक क्लर्क ने कैसे अपने से 100 साल बाद की खोजों के लिए गणित के फॉर्मूलों की नींव रख दी। आप इसे चमत्कार कहिए या कुछ और मगर एक सत्य यह भी है इस देश ने रामानुजन और उसके बाद के गणितज्ञों को वो सम्मान नहीं दिया जिसके वो हकदार थे।
श्रीनिवास रामानुजन भारत में गणित की दुनिया के शायद सबसे चमकीले सितारे हैं। सिर्फ 32 साल जिए इस गणितज्ञ की प्रतिभा का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उसके काम के कई हिस्सों को दुनिया आज समझ रही है। यानी जब रामानुजन को गए करीब एक सदी गुजर चुकी है। बहुत से लोग मानते हैं कि अगर वे 100 साल बाद पैदा हुए होते तो शायद आधुनिक दौर के महानतम गणितज्ञ के रूप में जाने जाते।
1887 को तमिलनाडु के इरोड शहर में जन्मे रामानुजन जी की आज जन्म जयंती है । देश के गौरव रामानुजन को विनम्र श्रद्धांजलि।।हैप्पी बड्डे
सादर/साभार सुधांशु