• ABOUT US
  • DISCLAIMER
  • PRIVACY POLICY
  • TERMS & CONDITION
  • CONTACT US
  • ADVERTISE WITH US
  • तेज़ समाचार मराठी
Tezsamachar
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा
No Result
View All Result
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा
No Result
View All Result
Tezsamachar
No Result
View All Result

अयोध्या में गैर विवादित जमीन का मालिकाना हक लौटाया जाए; केन्द्र सरकार की SC में याचिका दायर

Tez Samachar by Tez Samachar
January 29, 2019
in Featured
0
अयोध्या में गैर विवादित जमीन का मालिकाना हक लौटाया जाए; केन्द्र सरकार की SC में याचिका दायर

नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). मंगलवार को केन्द्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर की गई है, जिसमें केन्द्र सरकार ने कोर्ट से गुजारित की है कि अयोध्या में करीब 67.703 एकड़ जिसे केन्द्र सरकार ने अधिग्रहित किया था, उसे लौटाया जाए. इस जमीन पर मुसलमानों का कोई अधिकार नहीं है. केन्द्र ने अपनी इस अर्जी में मांग की है कि अयोध्या की गैर-विवादित जमीनें उनके मूल मालिकों को लौटा दी जाएं. 1991 से 1993 के बीच केंद्र की तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने विवादित स्थल और उसके आसपास की करीब 67.703 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में इस पर यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए थे.
– सिर्फ 2.77 एकड़ जमीन ही विवादित
अयोध्या में 2.77 एकड़ परिसर में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद है. इसी परिसर में 0.313 एकड़ का वह हिस्सा है, जिस पर विवादित ढांचा मौजूद था और जिसे 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था. रामलला अभी इसी 0.313 एकड़ जमीन के एक हिस्से में विराजमान हैं. केंद्र की अर्जी पर भाजपा और सरकार का कहना है कि हम विवादित जमीन को छू भी नहीं रहे.
– केंद्र सरकार की प्रमुख दलीलें
केंद्र ने 2.77 एकड़ के विवादित परिसर समेत कुल 67.703 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. अब हम अतिरिक्त और गैर-विवादित जमीन उनके मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति चाहते हैं और यथास्थिति बरकरार रखने के 2003 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बदलाव चाहते हैं. मुस्लिम समाज ने भी 0.313 एकड़ के मूल विवादित क्षेत्र पर ही अपना दावा जताया है, जहां 1992 से पहले विवादित ढांचा मौजूद था. 1993 के कानून के तहत अधिग्रहित की गई शेष संपत्ति पर किसी भी मुस्लिम पक्ष की ओर से मालिकाना हक का दावा नहीं किया गया है.
– न्यास ने मांगी है अपनी 42 एकड़ जमीन
जमीनें उनके मूल मालिकों को लौटाने की मांग राम जन्मभूमि न्यास की है. न्यास ने अपनी 42 एकड़ जमीन मांगी है. सरकार को एक प्लान मैप बनाकर न्यास और अन्य मूल भूमि मालिकों को उनकी जमीन लौटा देने में सैद्धांतिक रूप से कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते विवादित स्थल तक उचित पहुंच बनी रहे. 31 मार्च 2003 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ विवादित जमीन पर यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश देने की बजाय आसपास की अधिग्रहित जमीनों पर भी यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे. 2003 के निर्देश में भी सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने तक वहां यथास्थिति बनाए रखी जाए.
1994 के फारुकी केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर केंद्र चाहे तो सेंट्रल एरियाज ऑफ अयोध्या एक्ट के तहत मूल विवाद के 0.313 एकड़ इलाके के अलावा अतिरिक्त अधिग्रहित जमीनें उनके मूल मालिकों को लौटा सकता है. गैर-विवादित जमीन लौटाने के फैसले की न्यायिक समीक्षा या उसकी संवैधानिक वैधता जांचने की जरूरत नहीं है.
– सरकार गैर विवादित जमीन को नहीं छूएगी : जावडेकर
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रेस वार्ता में कहा, कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि सरकार गैर विवादित जमीन को छूएगी भी नहीं. हम गैर विवादित भूमि को राम जन्मभूमि न्यास और अन्य को वापस करना चाहते हैं. उनकी जमीनें हैं, जो करना है वही करेंगे. न्यास ट्रस्ट भी अयोध्या में राम मंदिर की मांग कर रहा है. वह गैरविवादित जमीन के बड़े हिस्से का मालिक है.
– सरकार के कदम का स्वागत करता हूं : योगी आदित्यनाथ
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद में कहा, कि मैं सरकार के इस कदम का स्वागत करता हूं. अब हमें भूमि के गैरविवादित हिस्से पर काम शुरू करने की अनुमति मिलनी चाहिए.
– 9 साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर 2010 को 2:1 के बहुमत से 2.77 एकड़ के विवादित परिसर के मालिकाना हक पर फैसला सुनाया था. यह जमीन तीन पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला में बराबर बांट दी गई थी. हिंदू एक्ट के तहत इस मामले में रामलला भी एक पक्षकार हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि जिस जगह पर रामलला की मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान को दे दिया जाए. राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़े को दे दी जाए. बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए.
इस फैसले को निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. शीर्ष अदालत ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट में यह केस तभी से लंबित है.
– 14 अपीलों पर होनी है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच में इसकी 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई भी टाल दी गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस रंजन गोगोई ने 25 जनवरी को अयोध्या विवाद की सुनवाई के लिए बेंच का पुनर्गठन किया था. अब बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

Previous Post

चीनी नागरिक का पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन

Next Post

सेवालालजी महाराज जयंती पर 17 फ़रवरी को जामनेर मे विशाल बंजारा संमेलन

Next Post
jamner news

सेवालालजी महाराज जयंती पर 17 फ़रवरी को जामनेर मे विशाल बंजारा संमेलन

  • Disclaimer
  • Privacy
  • Advertisement
  • Contact Us

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

No Result
View All Result
  • Home
  • देश
  • दुनिया
  • प्रदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाईफस्टाईल
  • विविधा

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.