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पानी यह सजीवों का अधिकार, कोई भी नहीं छीन सकता – भैयाजी जोशी

Tez Samachar by Tez Samachar
February 6, 2019
in Featured, प्रदेश
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पानी यह सजीवों का अधिकार, कोई भी नहीं छीन सकता – भैयाजी जोशी

पानी यह सजीवों का अधिकार, कोई भी नहीं छीन सकता – भैयाजी जोशी

जलगाँव ( तेजसमाचार ब्यूरो ) – भविष्य में भारत को यदि सुजलाम सुफलाम करना है तो दूरदृष्टि रखते हुए उसके लिए पर्याय उपाय आदि करने के लिए अब समाज को आगे आना होगा. लोगों को हमने चुने हुए मार्ग विषयों पर विश्वास निर्माण करके देना चाहिए . भगीरथ के अनुरूप ही अपने कार्य को सफलता मिलने तक जिद्दी प्रवृत्ति के साथ उस कार्य को निरंतर प्रारंभ रखना चाहिए. यश सफलता हमारे हाथ में है. यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने किए.  महात्मा फुले कृषि प्रतिष्ठान औरंगाबाद व कवयित्री बहिणाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विश्व विद्यालय जलगांव द्वारा आयोजित जल संवाद 2019 इस विषय को लेकर संपन्न हुए कार्यक्रम में वह बोल रहे थे .

कार्यक्रम में उपस्थित एवं जल विषय पर कार्य करने वाले जल सेवकों को संबोधित करते हुए भैया जी ने कहा कि बादल यह आकाश लोक के जलदूत हैं और हम भू लोक के जलदूत हैं . अब आकाश के जल दूतों की भू लोक के जलदूत से दोस्ती होनी चाहिए. जल व्यवस्थापन के कार्यों में होने वाली कमियां व जन समस्याओं का गंभीर आंकलन ना होने के कारण आज जल की बड़ी विकराल समस्या निर्माण हो रही है . इस पृथ्वी पर जो जो सजीव हैं उन्हें सबको जल मिलना उनका मौलिक अधिकार है . इस अधिकार को कोई भी नहीं छीन सकता किंतु आज जल पैसे से खरीदने का समय आ गया है जो कि एक गंभीर बात है.
कुल मिलाकर जल संवाद इस कार्यक्रम की ओर देखा तो यह जल खोजने के लिए किया गया एक कार्य होने की बात सामने आती है इसी प्रकार से जल् जागरण के लिए उठाए गए सकारात्मक कार्य दिखाई देते हैं जल् यह पंचमहाभूतओं में से एक तत्व है जिसके कारण बिना जल के मानव जीवन का जागृत होना असंभव है
पंचमहाभूतों में से एक भी तत्वों के बिना मानव जीवन पूरी तरीके से अधूरा होते हुए उसके अस्तित्व के बिना सजीवों का आश्रित रहना संभव नहीं है. किंतु सिर्फ अस्तित्व रखना उपयोगी नहीं है ,बल्कि उस की उपलब्धता अत्यधिक बड़े पैमाने पर होनी चाहिए . उपलब्धता ना होने पर कमी निर्माण होती है जबकि बढ़ोतरी होने पर नुकसान होता है . इसके कारण पंच महा भूतों का समतोल बिना किसी बाधाओं के सुचारू रखना अत्यधिक आवश्यक है .
 भैया जी जोशी ने पानी के साथ साथ वृक्षों का संवर्धन व पौध रोपण करने के लिए जैन उद्योग समूह की प्रशंसा भी की उनके द्वारा किए गए पौधारोपण के चलते आज इस इलाके में अच्छी बारिश दिखाई देती है इससे ही पानी एवं वृक्ष का संबंध ध्यान में आना चाहिए भैया जी जोशी ने जल संवर्धन के साथ-साथ वृक्ष संवर्धन को भी आवश्यक बताया .
उन्होंने कहा कि आज की शिक्षण प्रणाली से सभी कुछ हासिल किया जा सकता है यह बिल्कुल सही नहीं है. उन्होंने झाबुआ जिले के एक शिव गंगा नामक प्रकल्प का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां पर एक भी उपाधि प्राप्त या इंजीनियरिंग करने वाले व्यक्ति नहीं है. किंतु सभी अपने काम में विशेषज्ञ हैं . यह प्रकल्प आज देश की पहचान निर्माण कर रहा है . जिसके कारण उच्च शिक्षित ना होते हुए भी सकारात्मक कार्य किया जा सकता है. किंतु अनुभव से अत्यधिक सधे हुए लोगों को अपने साथ जोड़कर बड़े बड़े प्रकल्प का अभियान पूरे किए जा सकते हैं.सभी सुविधाओं की प्राप्ति के लिए सरकार पर निर्भर रहना योग्य नहीं है शासन के पास से सहायता लेकर लोक सहभाग से कार्य किए जाने चाहिए . बहुत सारे स्थानों पर शासन के किए गए कार्यों पर स्थानीय लोगों ने अविश्वास दिखाया है. इसी लोकसहभाग से किए गए कार्य महत्वपूर्ण है . आजकल लोग सहभाग से अनेक प्रकल्प सफल होते दिखाई देते हैं. अभी भी बहुत से लोग जन जागृति से आगे आ रहे हैं उनके कार्यों को समर्थन देते हुए सहायता के लिए आगे आना चाहिए.
देश की सप्त गंगा अर्थात गंगा गोदावरी यमुना सरस्वती कावेरी व नर्मदा इन नदियों को एक दूसरे के साथ जोड़ा जाए तो देश की जल समस्या हमेशा के लिए खत्म हो सकती है. यह कार्य अत्यधिक धैर्य व मेहनत का है . इसमें समय भी खर्च होगा किंतु पूरी तरह से प्रभावी है .पानी का होने वाला अपव्यय, बर्बादी,  रासायनिक खादों के पानी पर होने वाले परिणामों के बारे में भैया जी जोशी ने कहा कि आज बहुत से स्थानों पर बड़ी मात्रा में पानी उपलब्ध है किंतु उसकी होने वाली बर्बादी के लिए देखभाल की आवश्यकता है . जितना पानी की आवश्यकता है उतने ही पानी का यदि हमने प्रयोग किया तो जल का बहुत बड़ा अपव्यय बर्बादी को रोका जा सकता है. साथ ही साथ पानी की बचत भी हो सकती है .
हरित क्रांति के कारण अनेक लाभ अवश्य हुए हैं किंतु हरित क्रांति के कारण संकरित बीज का निर्माण भी हुआ है जिसके साथ साथ रासायनिक खाद भी आगे आए हैं. उनके बढ़ते प्रयोग से से अनावश्यक कीटों का का नाश करने के लिए कीटनाशक भी आये .इन सब से मिलने वाले विषैले अन्न धान्य व नए-नए रोग फैल रहे हैं . जिसके कारण आज जैविक खेती को प्रमुखता दी जानी चाहिए.
भविष्य में भारत को यदि सुजलाम सुफलाम रखना है तो दूर दृष्टि रखते हुए इन सब के लिए कुछ उपाय करने की आवश्यकता लिए अब सभी समाज को आगे आना चाहिए .इन कार्यों के लिए जो आगे आ रहे हैं उन्हें सहायता व प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. लोगों को हमने चुन कर दिए गए मार्ग पर विश्वास निर्माण कर आगे बढ़ाने का प्रयास होना चाहिए . इसी प्रकार से भगीरथ के कार्यों के अनुसार अपना कार्य भी सफलता मिलने तक पूरे जिदद  लगन के साथ प्रारंभ रखना आवश्यक है. इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी जलदूत यह भागीरथ ही हैं .उन्हें एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी यह आशा व्यक्त करते हुए भैया जी जोशी ने अपने प्रबोधन को विराम दिया.
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