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जिन्दगी : “रंग दे बसंती चोला”

Tez Samachar by Tez Samachar
February 17, 2019
in Featured, विविधा
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fulwama attack

Neera Bhasin रंग —–तरह तरह के रंग -सभी लुभावने लगते हैं। प्रत्येक रंग प्रतीकात्मक है। जैसे सफ़ेद रंग शांति का प्रतीक है तो हरा समृद्धि कावहीँ लाल  रंग उग्रता को प्रगट करता है। अलग अलग रंग देवगणों ने धारण कर अपने भक्त जानो को भी उस रंग में रंग दिया है। ये सभी रंग प्रकृति ने  दिएहैं। जब नई   ऋतू का आगमन होता है तो प्रकृति के दामन से निकल कर कलियाँ और फूल धरती पर चारों तरफ छा जाते हैं। बसंत ऋतू में खिले बसंती फूलों की छटा मन मोह लेती है। प्रकृति ने प्रोत्साहित किया पूजा में बसंती फूलों को समर्पित किया। हवन यज्ञ आदि अनुष्ठान भी बसंती वास्तव को धारण कर सम्प्पन किये। यज्ञ की अग्नि में पीले चावल पका कर अर्पित किये। यह सब कुछ समर्पण की भावना के प्रतीक हैं। इतना ही नहीं धरती माता ने अपार धन धन्य की सम्पदा और औषधिंयों की भेंट प्रत्येक जीवधारी को समर्पित कर उनके लिए आरोग्य एवं सरक्षण दे उनके जीवन में भरण पोषण का प्रबंध किया।

भारत देश एक मात्र ऐसा देश है जहाँ बसंती रंग ने त्याग के क्षेत्र में अनोखा इतहास ही रच डाला है। मातृ भूमि के लिए अपने प्राणो को निछावर करने का जब जब समय आया तब तब रण -बांकुरों ने बसंती बाना  धारण कर पुरे विश्व के समक्ष अपनी छाप छोड़ी है।

हंस हंस कर अपने प्राणो की बलि चढ़ा दी है। इसमें राजपूतों की कहानियां तो सबसे अग्रणी मानी  जाती हैं। युद्ध में शत्रु के हाथों पराजय कोई नहीं चाहता जब कभी ऐसी परिस्तिथि आती और युद्ध से जीवित लौट कर आना संभव न दीखता तो सिपाही कूच करने से पहले बसंती वस्त्र धारण कर लेते थे जिसका अर्थ था की आज देश के लिए प्राणों को निछावर करने का समय आ गया है। वीरों को अश्रुपूर्ण विदाई देने के बाद राजपूत इस्त्रियाँ अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिए आत्मदाह कर लेती थीं। 
बात अधिक पुरानी  नहीं जब एक माँ अपने घर के आँगन में बैठी अपने पति की पगड़ी रंग रही थी तब उसके नन्हे बालक ने पास आ कर कहा ,”माँ मेरा चोला भी बसंती रंग दे “माँ ने मुस्कुराते हुए कहा था “हाँ रंग दूंगी “.ये बालक बड़ा हो कर देश का दीवाना भगत सिंह बना। जब जब भगत सिंह को देश के लिए जेल जाना पड़ा तब तब उस जेल के आंगन में उनका प्रिय गीत गूंजा “माये रंग दे बसंती चोला ,मेरा रंग दे बसंती चोला “इस पुकार ने देश के हर नौजवान के मन में देश भक्ति की आग फूँक दी। वीरों को कर्तव्य मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाला ये गीत आज भी जब कभी सुनाई पड़ता है तो रोम रोम सिहर उठता है ऐसी बसंत ऋतू को शत शत प्रणाम जिसने मानव जाति को बसंती  रंग दे क़ुरबानी की राह दिखाई।
पुलवामा में जवानो को पुकारने का समय ही नहीं मिला ,पर उनके बलिदान ने पूरे देश को गफलत की नींद से जगा दिया है। वीरों का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं गया अब भी नहीं जायेगा,हमें अपने हिस्से का कर्तव्य निभाना होगा ताकि शम्मा जलती रहे। 
– नीरा भसीन- ( 9866716006 )
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