बच्चियां बनना चाहती हैं आईपीएस, कौन समझेगा दुख इनका
जलगाँव ( तेज़समाचार प्रतिनिधि ) – बात शुरू करने से पहले एक पुरानी फिल्म का गीत याद आने लगा कि जो हमने दास्तां अपनी सुनाई, आप क्यों रोए …बस ऐसा ही कुछ नजारा था जब 16 वर्ष से लेकर सबसे छोटी 5 वर्ष तक की बच्ची ने अपने मुंह से दोहराया कि मैडम मैं आईएएस – आईपीएस अधिकारी बनना चाहती हूं. जब इन अबोध सी बच्चियों से पूछा गया कि यह आईपीएस अधिकारी क्या होता है, और तुम क्यों बनना चाहती हो तो इन बच्चियों ने अपनी थोड़ी सी जानकारी को कुछ इस तरह परोसा की वहां पर उपस्थित कोचिंग संस्थानों से जुड़ी महिला मालिकों के आंखों में पानी तैर गया. हालातों व विकट परिस्थितियों से अपना जीवन सुधारने जलगांव के रिमांड होम में गुजर बसर कर रही इन बच्चियों ने बताया कि जब उन्हें मार्गदर्शन देने पुलिस व उच्च अधिकारी आते हैं तो उनका रुतबा व झलक देखकर हमें भी लगता है कि हम बड़े होकर इसी तरह से बड़े अफसर बनेंगे और देश की सेवा करेंगे.
शनिवार 2 मार्च को जलगांव के प्रोफेशनल टीचर एसोसिएशन की महिला कोचिंग उद्यमी सदस्यों के एक समूह ने मिलकर जलगांव जिलाधिकारी कार्यालय के पास स्थित रिमांड होम का दौरा किया. इन महिला शिक्षिकाओं ने कुछ दिन पहले ही आपस में मिलकर तय किया था कि वह सभी लोग अपनी योग्यता व सामाजिक दायित्व को जरूरतमंदों के साथ सांझा करेंगे. इसी आधार पर निर्णय लेते हुए मोनिका चड्ढा मैडम , सविता वाणी मैडम ,श्रीमती मलार मैडम, सुवर्णा काबरा मैडम , ममता सिंह मैडम, कविता इंगले मैडम ने पहले मार्च माह की शुरुआत का औचित्य स्थापित करते हुए रिमांड होम के 100 से अधिक बच्चों को शैक्षणिक सामग्री, मिठाई, बिस्किट- चॉकलेट आदि वितरित करने का निर्णय लिया. इन सभी शिक्षिकाओं ने आपस में इस खर्च को बांटते हुए शुक्रवार 2 मार्च को जलगांव के रिमांड होम में जाकर अपना सामाजिक दायित्व प्रारंभ किया.
बनना चाहती हैं आईपीएस
जब यह सभी शिक्षिकाएं वहां मौजूद लड़कों और लड़कियों से मिली तब इन्हें महसूस हुआ कि इन सब बच्चियों को एक अच्छे मार्गदर्शन काउंसलिंग के साथ साथ उत्कृष्ट शिक्षा की भी आवश्यकता है. रिमांड होम में मौजूद लड़कों व लड़कियों से बातचीत करते हुए इन शिक्षिकाओं ने लगभग 3 घंटे से अधिक का समय वहां व्यतीत किया और बच्चों की भावनाओं को करीब से समझा. अधिकांश लड़कों ने खुद को पुलिस सेवा में समर्पित करने की बात कही जबकि लड़कियों ने खुद को शिक्षिका, नृत्यांगना, एथलीट, आईएएस व आईपीएस अधिकारी बनने की ख्वाहिश जाहिर की.
शिक्षिकाओं की आंखें तब नम हो उठी जब एक मात्र 4 या 5 वर्ष की बेटी ने आकर बताया कि उसे पुलिस अधिकारी बनना है. जानकारी मिली है कि यह बच्ची हाल ही में दो-तीन दिन पहले ही परिस्थितियों के चलते इस रिमांड होम में आई है.
ज़िम्मेदारी लेंगे पीटीए के शिक्षक
अपने सामाजिक दायित्व को पूरा करते हुए इन महिला कोचिंग उद्यमी सदस्यों द्वारा एक बेहतर अनुभव महसूस किया और भविष्य में रिमांड होम के इन सभी लगभग 100 बच्चों को किसी ना किसी स्वरूप में लाभान्वित करने का निर्णय लिया. रिमांड होम की अधीक्षिका जयश्री पाटिल मैडम से विस्तृत बातचीत करते हुए वहां पर बच्चों के लिए लगने वाली विशेष आवश्यकताओं के बारे में भी जाना. जयश्री पाटिल मैडम ने बताया कि जलगांव में मध्यवर्ती स्थान पर रिमांड होम होने के कारण लोगों द्वारा भौतिक वस्तुएं निरंतर प्रदान की जाती हैं, किंतु आज इन बच्चों को काउंसलिंग के साथ साथ अच्छे शिक्षण व शिक्षा से जुड़ी आवश्यकता को पूरा करने की जरूरत है. इन सब चर्चाओं के बीच महिला कोचिंग उद्यमियों द्वारा जयश्री पाटिल मैडम को आश्वस्त किया गया कि वह जल्दी ही प्रोफेशनल टीचर एसोसिएशन के सभी सम्माननीय सदस्यों से मिलकर “स्वयं सेवक” के रूप में इन बच्चों को निशुल्क पढ़ाने की व्यवस्था करने का एक प्लान निर्धारित करेंगे. इसके अलावा इन बच्चों को शैक्षणिक स्तर पर लगने वाली आवश्यकताओं को भी पूरा करने का निर्णय लिया जाएगा.
शनिवार को रिमांड होम में बच्चों को शैक्षणिक सामग्री मिठाई चॉकलेट बिस्किट आदि वितरित करते समय इन बच्चों की जीवनशैली व उनके दर्द का आभास होने के लिए चड्ढा मैडम ने अपनी बेटी कनक चड्डा व ममता सिंह मैडम ने अपनी बेटियों अनुष्का व अवनी को भी साथ ले जाकर इनके हाथ से वस्तुएं वितरित करवाई .
चड्डा मैडम, वाणी मैडम, मलार मैडम, काबरा मैडम, सिंह मैडम आदि ने शनिवार को रिमांड होम में किए गए इस कार्य की कोई भी तस्वीर सोशल मीडिया पर सांझा ना करने का निर्णय भी लिया.
जिले के अन्य रिमांड होम में है ज़रूरतें
रिमांड होम की जयश्री पाटिल ने जब बताया कि जलगांव जिले के अन्य रिमांड होम के बच्चों को भी इस तरह के सहयोग की आवश्यकता है. सरकार व हमारे प्रयास तो रहते हैं लेकिन शिक्षा को लेकर वोलियन्तियर सहयोग अत्यधिक आवश्यक है. वहां तक समाजसेवी संगठनों या दानदाताओं की वस्तुएं नहीं पहुंच पाती. इसलिए लोगों को अब जलगांव शहर के अलावा ग्रामीण स्तर पर बनाए गए अन्य रिमांड होम तक अपनी सुविधाएं पहुंचाने की आवश्यकता है. उन्होंने रिमांड होम को लेकर लोगों के मन में निर्माण होने वाली शंकाओं के बारे में बताया कि लोग ऐसा मान लेते हैं कि रिमांड होम में सिर्फ अपराध से जुड़े बच्चे ही मौजूद रहते हैं. जबकि ऐसा नहीं है रिमांड होम में सिंगल पेरेंट्स, घर में व्यसनो की भरमार के कारण बच्चों की उपेक्षा, गरीबी की परिस्थिति से जूझ रहे परिवार के बच्चे भी एक अच्छे जीवन यापन की आशा के साथ यहां पहुंच जाते हैं.
इन महिला कोचिंग उद्यमी सदस्यों द्वारा भविष्य में इस अभियान से अन्य शिक्षकों को जोड़ते हुए जलगांव जिले भर के लगभग सभी रिमांड होम में पहुंचकर शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा स्वयं जाकर काउंसलिंग करने या पढ़ाने का निर्णय भी लिया गया.
अभिनंदन को किया गया याद
शनिवार को इन महिला कोचिंग उद्यमी सदस्यों द्वारा रिमांड होम में बच्चों को विशेष रूप से पेड़े भी बाँटे गये. मलार मैडम ने बताया की अभिनंदन उनके जिले का निवासी है. अभिनंदन की घर वापसी पर पेड़े बाँटने की खुशी तो भविष्य के आईपीएस, आइएएस, शिक्षक आदि बच्चों के साथ बाँटना ही चाहिए. सविता वाणी मैडम ने बच्चों को अलग से फाइव्स्टार चॉकलेट भी प्रदान की.