पुणे (तेज समाचार डेस्क). महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक डॉ नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में सीबीआई ने शनिवार को मुंबई से दो लोगों को गिरफ्तार किया था. रविवार को कस्टडी के लिए उन्हें पुणे के सेशन कोर्ट में पेश किया गया जहां उन्हें एक जून तक सीबीआई कस्टडी में भेजने का आदेश दिया गया. ज्ञात रहे कि 20 अगस्त 2013 को मॉर्निंग वाक पर गए डॉ दाभोलकर की पुणे में हत्या कर दी गई थी. वे अपने जीवनकाल में अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाते रहे.
– मुंबई में हुई थी गिरफ्तारी
शनिवार को पुनालेकर तथा भावे को मुंबई से गिरफ्तार करने के बाद रविवार की सुबह दोनों को पुणे सत्र न्यायाधीश एस. एम. सोनवणे के समक्ष पेश किया गया. सीबीआई के विशेष सरकारी वकील प्रकाश सूर्यवंशी ने जिरह करते हुए कहा कि डॉ. दाभोलकर हत्या प्रकरण में आरोपियों ने इस्तेमाल की गई दोपहिया बरामद करने के लिए भावे की जांच करना जरूरी है. वहीं एड. पुनालेकर ने डॉ. दाभोलकर तथा पत्रकार गौरी लंकेश हत्या प्रकरण में इस्तेमाल की गई रिवाल्वर नष्ट करने में मदद की है. इस साजिश की व्याप्ति को देखते हुए भावे और पुनालेकर से जांच करना जरूरी है.
– एड. पुनालेकर ने रखा अपना पक्ष
एड. पुनालेकर ने अपना पक्ष खुद रखते हुए कहा कि कर्नाटक पुलिस द्वारा दर्ज किए गए शरद कलसकर के बयान के आधार पर मुझे गिरफ्तार किया गया है. कलसकर पिछले आठ माह से पुलिस हिरासत में है. हिरासत में लेने के बाद ही उसका बयान दर्ज किया गया. अगर उसके बयान के आधार पर मुझे गिरफ्तार किया गया है तो इतनी देर क्यों लगाई गई? कलसकर मेरा मुवक्किल है. उसके कृत्य के लिए मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. इस प्रकरण के आरोपियों का मैं वकील हूं. इसलिए मुझ पर इस प्रकार की कार्रवाई करना गलत है. दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद न्यायाधीश सोनवणे ने पुनालेकर तथा भावे को 1 जून तक सीबीआई की हिरासत में रखने का आदेश दिया. बता दें कि इस मामले में सीबीआई सचिन प्रकाशराव अंदुरे और हिंदू जन जागृति समित के सदस्य वीरेंद्र तावड़े को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. इनसे पूछताछ में हुए खुलासे के बाद यह गिरफ्तारियां हुई है. सचिन का नाम नालासोपारा विस्फोटक बरामदगी मामले में गिरफ्तार शरद कलसकर से हुई पूछताछ में हुआ था. पुनालेकर और भावे पर आरोप है कि उन्होंने दाभोलकर के हत्यारों को मदद की औऱ वारदात से पहले रेकी की थी.
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पुनालेकर को बंदी बनाना सीबीआई का निंदनीय कृत्य!
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या प्रकरण में सीबीआई द्वारा हिन्दू विधिज्ञ परिषद के सचिव अधिवक्ता संजीव पुनालेकर और परिषद के आरटीआई कार्यकर्ता विक्रम भावे को बंदी बनाने का सनातन संस्था ने विरोध किया है. सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता, चेतन राजहंस ने कहा कि यह कृत्य निंदनीय है. इस कृत्य की हम निंदा करते हैं. केंद्र में हिन्दुत्ववादी सरकार होने पर भी अधिवक्ता पुनालेकर और विक्रम भावे को बंदी बनाने के पीछे कोई षड्यंत्रकारी कार्य कर रहा है.सनातन संस्था पर दबाव लाने की आधुनिकतावादियों की मांग के आगे सीबीआई झुक गई है. जिन्होंने मालेगांव बमविस्फोट प्रकरण में भगवा आतंकवाद की असत्यता सिद्ध की, जिन्होंने समाज के हित में अनेक याचिकाएं दर्ज कीं, उन अधिवक्ता पुनालेकर को बंदी बनाना गंभीर है. समाज, राष्ट्र और धर्म की निःस्वार्थ सेवा करनेवाले अधिवक्ता पुनाळेकर निर्दोष हैं, यह हमारी भावना है.