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राम नाम के बहाने, आज की राजनीति के मायने

Tez Samachar by Tez Samachar
June 5, 2019
in Featured, विविधा
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राम नाम के बहाने, आज की राजनीति के मायने

( राजेंद्र कुमार चड्डा ) भारत में राम नाम की महिमा के सार्वकालिक महत्व की बात को कोई नहीं झुठला सकता. यह देश राम राज्य की आदर्श कल्पना से लेकर गांधी के राम तक के प्रयोग का साक्षी रहा है. पिछले सप्ताह जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का काफिला बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र के भाटपारा क्षेत्र (24 परगना जिला) से गुजर रहा था तो कुछ व्यक्तियों ने जय श्रीराम के नारे लगाये. जिसके बाद ममता बनर्जी नाराज हो गई थी. इस घटना के एक वीडियो में, ममता को यह कहते हुए सुनी गई कि आप अपने बारे में क्या सोचते हैं? आप दूसरे राज्यों से आएंगे, यहाँ रहेंगे और हमारे साथ दुर्व्यवहार करेंगे! मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूंगी. आप सभी की मुझे अपमानित करने की हिम्मत कैसे हुई? आप सभी के नाम और विवरण लिए जाएंगे. अब ऐसे में समझने वाली बात यह है कि भला जय श्रीराम का उद्बोधन अपमानजनक कैसे हुआ और यह दुव्र्यवहार की श्रेणी में कैसे आया?

एक यही नाम था जिसे लेकर मोहनदास करमचंद गांधी ने स्वतंत्रता संघर्ष में हिंदू समाज से जोड़कर उसकी आंतरिक शक्ति को सक्रिय किया था. गांधी कहते हैं कि राम से रामनाम बड़ा हैै. वे अपने बचपन की घटना के बारे में बताते हैं कि बाल्यास्था में मुझे अंधेरे से भूत-प्रेत से डर लगता था . मेरी आया ने मुझे कहा कि अगर तुम राम नाम लोगे तो तमाम भूत प्रेत भाग जायेंगे. मैं उस समय था तो बच्चा ही, पर आया कि बात पर मुझे श्रद्धा थी, मैंने उसकी सलाह पर पूरा अमल किया और मेरा डर भाग गया. यदि एक बच्चे का यह अनुभव है तो वयस्क आदमियों द्वारा बुद्धि और श्रद्धा के साथ राम नाम लेने से उन्हें कितना लाभ हो सकता है. गांधी कहते हैं राम शब्द के उच्चारण से लाखें करोड़ो हिंदुओं पर फौरन असर होगा और गाॅड शब्द का अर्थ समझने पर भी उन पर उसका कोई असर नहीं होगा. चिरकाल के प्रयोग से और उसके उपयोग के साथ-साथ संयोजित पवित्रता से शब्दों की शक्ति प्राप्त होती है.

समाज के अंतिम व्यक्ति तक राम नाम की पहुंच को ध्यान में रखते हुए गुमिया में संथालों के बीच सार्वजनिक सभा में एक भाषण में गांधी कहते हैं, आपको पूरी आस्था व भक्ति के साथ राम नाम लेना सीखना चाहिये. राम नाम पढ़ने पर आप तुलसीदास से सीखेंगे कि इस दिए नाम की आध्यात्मिक शक्ति क्या है. आप पूछ सकते हैं कि मैंने ईश्वर के अनेक नामों में से केवल राम नाम को ही क्यों जपने के लिए कहा यह सच है कि ईश्वर के नाम अनेक हैं किसी नाम वृक्ष की पत्तियों से अधिक है ओर में आपको गॉड शब्द का प्रयोग करने के लिए भी कह सकता था लेकिन यहां के परिवेश में आपके लिये उसका क्या अर्थ होगा गॉड शब्द के साथ यहां आपकी कौन सी भावनाएं जुड़ी हुई हैं. गॉड शब्द का जप करते समय आपको हृदय में उसे महसूस भी हो, उसके लिये मुझे आपको थोडी अंग्रेजी पढ़नी होगी. मुझे विदेशों की जनता के विचार ओर उनकी मान्यताओं से भी आपको परिचित करना होगा, परंतु राम नाम जपने के लिये कहते हुए मैं आपको एक एक ऐसा नाम दे रहा हूँ जिसकी पूजा इस देश की जनता न जाने कितनी पीढ़ियों से करती आ रही है. यह एक ऐसा नाम है जो हमारे यहां के पशुओं पक्षियों वृक्षों ओर पाषाण तक के लिए हजारों हजारों वर्षों से परिचित रहा है आप अहिल्या कि कथा जानते हैं पर मैं देख रहा हूँ कि आप नहीं जानते पर, रामायण का पाठ करने से आपको पता चल जायेगा कि राम के स्पर्श से ही कैसे सड़क के किनारे पड़ा एक पत्थर प्राण युक्त सजीव हो गया था. राम के नाम लेना आपको इतनी भक्ति व मधुरता के साथ लेना सीखना चाहिये कि उसके सुनने के लिये पक्षी अपनी करलव बन्द कर दें. उस नाम के एक संगीत पर मुग्ध होकर वृक्ष अपने पत्र आपकी ओर झुका दें, जब आप ऐसा करने में समर्थ हो जायेंगे तो मैं आपसे कहता हूँ कि मैं बम्बई से पैदल चल कर एक तीर्थ यात्री कि भांति आपको सुनने आऊॅंगा. उसके मधुरिमा पग नाम में ऐसी शक्ति निहित है जो हमारी सारी बुराईयों के लिए रामबाण है.

गांधी का मानना था कि राम सभी महजब को मानने वालों के लिए एक मान्य चरित्र है. वर्ष 1909 में विजयादशमी पर लंदन में हिन्दुओं के एक भोज कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गांधी ने कहा कि ऐतिहासिक पुरूष के रूप मे रामचन्द्रजी को प्रत्येक भारतीय सम्मान दे सकता है. जिस देश में श्रीरामचन्द्रजी जैसे पुरूष हो गए, उस देश पर हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियो को भी गर्व होना चाहिए, श्रीरामचन्द्रजी महान भारतीय हो गए, इस दृष्टि से प्रत्येक भारतीय के मान्य है.

इतना ही नहीं, गांधी राम नाम पर सर्वसमाज के अधिकार की बात मानते थे. उनके अनुसार, राम नाम सतत् थोड़े विशिष्ट व्यक्तियों के लिए नहीं है. वह सबके लिए है. जैसा कि उपनिषद् कहता है पूर्ण से पूर्ण निकाले तो पूर्ण ही शेष रहता है. वैसा ही राम नाम समस्त लोगों का शर्तिया इलाज है. फिर चाहे वे शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक हों. राम नाम ईश्वर के कई नामों में से ही एक है.

राम नाम की शक्ति पर गांधी को इतना भरोसा था कि धर्मान्तरित लोगों के हिंदू धर्म में वापिस आने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि शुद्धि संस्कार की कोई आवश्यकता नहीं जो अकारण ही धर्म परिवर्तन कर बैठे थे. वे खेद का अनुभव करते हुए ही वापस आयेंगे औेर ऐसी स्थिति में जो लोग उन्हें वापस ले उन्हें शुद्धि को वह कह सकते हैं. मैं तो उनसे केवल सौ बार राम नाम लेने को कहूँगा.

हिंदी के सुप्रसिद्व कवि रामधारी दिनकर लिखते हैं कि गांधी वैष्णव श्रेणी के भक्त थे. नाम संकीर्तन में उनका अटूट विश्वास था, अन्त में आकर तो उनको विश्वास हो गया था कि रामधुन से तो शारीरिक रोग भी दूर हो जाते है. पराकाष्ठा यह हुई कि जब गोलियां खाकर गिरे तब भी, ‘हे राम’ अनायास ही निकल पडा, बल्कि अनायास तो कहना नही चाहिए, तुलसीदास ने लिखा है कि जन्म जन्म मुनि जतन कराही, अन्त राम कहि आवत नाही. प्रसिद्व ललित निबंधकार कुबेर नाथ राय राम और गांधी के अटूट संबंध पर लिखते हैं कि राम के बारे में जो लोग कहते हैं राम से बढ़कर सत्य पथ पर कोई नहीं था भारतीयता का अर्थ है अर्थात् राम जैसा होना ही भारतीय होना है. गांधी ने भी राम जैसा होने की चेष्टा की थी वह राम से ऐसे जुड़े जैसे गाय से बछड़ा.

Tags: #best neet coaching jalgaon#Current Affairs #India #Politics#Mamata Banerjee#Jai Shri Ram
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