राठ ( आदेश खेवरिया तेजसमाचार के लिए ) – उत्तरप्रदेश का बुंदेलखंड इलाका शुरू से ही अपने विकास की राह जोह रहा है. सरकारों के आने जाने का सिलसिला स्थानीय लोगों में एक सीमा तक आस निर्माण करता है. लेकिन वर्ष बीत जाने के बाद आंकलन करने पर स्थिति पहले जैसे ही दिखाई देती है. जल संकट से जूझते बुंदेलखंड को परम्परागत तरीकों से हटकर नए वैज्ञानिक द्रष्टिकोण की आवश्यकता है. इसके लिए विद्यमान सरकार द्वारा कुछ सकारात्मक प्रयास भी किये जारहे हैं किन्तु यह सरकारी मशीनरी स्तर पर तो ठीक हैं लेकिन जमीनी हकीकत के लिए अभी भी व्यापक बदलाव की आवश्यकता है.
बात करें हमीरपुर जिले की तो यहाँ का रोजगार, आवक, खर्च सबकुछ खेती-किसानी पर निर्भर है. वर्षों से किसान परम्परिक गेहूं, दलहन की खेती करते हुए गुजर बसर कर रहा है. जानकारियों व उत्पाद के बाज़ार के अभाव में स्थानीय किसान चाह कर भी खेती के नित नए प्रयोगों को स्वीकार नहीं कर पाता. कितु कुछ वर्षों से जिले की राठ तहसील के किसान अधिक मुनाफे की खेती के प्रयोगों को साध्य करने का प्रयास कर रहे हैं.
लगभग आठ वर्ष पूर्व आर्गेनिक इंडिया कंपनी के कर्मचारियों के प्रयास से गोहांड, राठ व सरीला ब्लाक क्षेत्रों के गांवों में औषधीय खेती शुरू कराई गई थी. सरकार के उद्यान विभाग की ओर से औषधीय खेती के किए जा रहे प्रयासों की वजह से जिले में धीरे धीरे किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है. आज तह्सील में तुलसी की व्यापक खेती के साथ ऐलोबेरा का उत्पादन भी होने लगा है. राठ व पनवाड़ी ब्लाक के उमरिया, रिंगवारा, अमूंद, नदना, वहपुर, सरसई, औता, चिल्ली, तुरना, कछवाकला, दांदो, गुगवारास नौगांव, पहाडिय़ा समेत चार दर्जन गांवों में तुलसी व अन्य औषधीय खेती चिकौरी, किनौवा, अश्वगंधा व कैमोमाइल की खेती बड़ी संख्या में किसानों ने शुरू की है.
अब स्थानीय किसान बारिश के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. बारिश प्रारम्भ होते ही किसान खेतों में तुलसी के पौधों की रोपाई शुरू कर देंगे. इस वर्ष तुलसी की खेती कर रहे चार हजार किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया है. किसान कहते हैं कि तुलसी की खेती लाभदायक है. आर्गेनिक इंडिया कंपनी से हुए अनुबंध के अनुसार 9200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से तुलसी की सूखी पत्तियां खरीद ली जाती हैं. शासन स्तर से पिछले कई कुछ वर्ष से सूखे से गुजर रहे किसानों को बागवानी और औषधीय खेती के लिए अनुदान देना शुरू किया है.
बीते वित्तीय वर्ष में शासन ने 40 हेक्टेयर पर तुलसी की खेती करने वालों को अनुदान दिया गया था. वहीँ इस बार औषधीय खेती में सर्वाधिक तुलसी के लिए 182 हेक्टेयर क्षेत्रफल का लक्ष्य दिया है.इस वर्ष सरकार द्वारा 20 हेक्टेयर में ऐलोबेरा व 5 हेक्टेयर में सतावर पैदा कराए जाने पर अनुदान लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिले में ज्यादातर किसान परंपरागत खेती से हटकर औषधीय खेती के साथ बागवानी अपने रहे हैं. शासन ने राज्य आयुष मिशन योजना के तहत उद्यान विभाग के जरिये औषधीय खेती करने वाले किसानों को लाभांवित करने की योजना संचालित की है. जिसके तहत चालू वित्तीय वर्ष में शासन ने तुलसी की खेती के लिए 182 हेक्टेयर क्षेत्रफल का लक्ष्य निर्धारित किया है.
सरकारी योजना के माध्यम से औषधीय करने के इच्छुक किसान यूपी एग्रीकल्चर डाट कॉम पर अपना पंजीयन करा सकते हैं. आर्गेनिक प्रा.लि.इण्डिया ने राठ व गोहांड में खेतों को बढ़ावा देने के लिये हब बनाया है.
मध्यप्रदेश में उद्यमिता विकास केंद्र, भोपाल के माध्यम से औषधीय खेती व इसके उत्पाद निर्माण के लिए व्यापक प्रयास किये गए. जिन्हें देखते हुए विभिन्न राज्यों में भी औषधीय खेती के लिए मांग उठने लगी. लेकिन किसानो को फसल के बाज़ार क्षेत्र का अभाव इस प्रकार की मुनाफे भरी खेती से दूर ले जाता रहा है. अब उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा नोडल एजंसी यां निजी संस्थानों के माध्यम से फसल विक्रय के प्रयास किये जा रहे हैं, वह सकारात्मक कदम है. अभी भी किसानो को औषधीय खेती को लेकर कोई ठोस भरोसा यां सुरक्षा का अभाव जान पड़ता है. जिसे पूरा करना सरकारी मशीनरी की जिम्मेदारी बन जाता है.
बता दें कि तुलसी की ओसिमम बेसिलिकम प्रजाति को तेल उत्पादन के लिए उगाया जाता है. तुलसी की इस प्रजाति की भारत में बड़े पैमाने पर खेती होती है. इसका प्रयोग परफ्यूम और कास्मेटिक इंडस्ट्री में किया जाता है. देश विदेश में परफ्यूम व इतर के लिए प्रसिद्ध कन्नोज भी हमीरपुर जिले से सटा हुआ है. ऐसे में यहाँ के किसानो को उत्पाद को बेचने के लिए भटकना नहीं पडेगा. वैसे भी आर्गेनिक इंडिया कंपनी किसानो से 9200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से तुलसी की सूखी पत्तियां खरीदती हैं.